नीरज मेहरा

शर्मा जी, अरे वर्मा जी कल रविवार का दिन है ,मेरी भी छुट्टी है और आपका भी अवकाश है। यार कल आपके प्लॉट वाला काम करवा ही देते है। मैंने दो-चार प्रोपर्टी डीलरों से बोला है और आपके बताए हुए इलाके में ही आपको प्लॉट दिलाते हैं। अरे वाह शर्मा जी बहुत-बहुत धन्यवाद आपका। यार आपने तो मेरी परेशानी को दूर कर ही दिया, काफी दिनों से ढूंढ रहा हूं लेकिन कोई सौदा बैठ नहीं रहा, चलो कल सुबह 10:00 बजे मेरे घर पर चाय,नाश्ता करके दोनों साथ साथ चलेंगे।

शर्मा जी वर्मा जी दोनों ही बचपन के दोस्त हैं दोनों में गहरी दोस्ती है। वर्मा जी अब यह चाहते हैं कि जिस बस्ती में वे रहते हैं वहां से निकल जाए और कितनी अच्छी कॉलोनी में घर लेले। वर्मा जी का प्रमोशन हो गया है, सैलरी भी सातवें वेतनमान के बाद अच्छी मिलने लग गई है। बच्चे बड़े हो रहे हैं तो वर्मा जी को लगता है कि अब यह बस्ती उनके रहने लायक नहीं बची है। हालांकि बस्ती में एससी वर्ग के ही लोग रहते है। उनमें भी ज्यादातर वर्मा जी की ही जाति बिरादरी के लोग ही रहते है। वर्मा जी की कॉलोनी में शर्मा जी जैसे 5-10 परिवार ही है और सब मिलजुलकर बड़े प्यार से रहते हैं। लेकिन वर्मा जी को लगने लगा है कि अब उनका स्टैंडर्ड बढ़ गया है और थोड़ा बहुत पैसा भी आ गया है तो अब इसके बजाए किसी अच्छी कॉलानी में घर लेना चाहिए।

वर्मा जी की श्रीमती जी भी और बच्चे भी कई बार इस बात को बोल चुके की पापा अब हमें दूसरी जगह घर लेना चाहिए। यही कारण है कि वर्मा जी लंबे समय से परेशान है और एक प्लॉट या मकान की तलाश में लंबे समय से लगे हैं। लेकिन हर बार पति, पत्नी घूम फिरकर आ जाते है लेकिन जुगाड़ बैठा नहीं। चलो संडे का दिन भी आ गया और शर्मा जी को साथ लेकर वर्मा जी के अपनी नई SUV कार से निकल पड़ते हैं प्लॉट की तलाश में। शहर से 15-20 किलोमीटर दूर निकलने के बाद बहुत सारी नई नई कॉलोनियां कट रही है। शर्मा जी भी वर्मा जी को लेकर प्रॉपर्टी डीलर के पास पहुंचते हैं डीलर भी इंतजार ही कर रहा होता है। राम-राम दुआ सलाम होती है उसके बाद प्रॉपर्टी डीलर एक के बाद एक करके करीब 7-8 प्लॉट दिखा देता है। प्लॉट दिखाने के बाद जब वर्मा जी और शर्मा जी प्रोपर्टी डीलर के ऑफिस में बैठकर बातचीत को आगे बढ़ाते हैं। तब प्रॉपर्टी डीलर बोलता है देखो जी अपनी कॉलोनी की खास बात है ये की इस कॉलोनी में सब उजली जाति के लोग रहते हैं। वर्मा जी चौकते से हुए क्या मतलब। आपके आस पड़ोस मैं शर्मा जी मिलेंगे, गुप्ता जी मिलेंगे, जैन साहब मिलेंगे ,कपूर साहब मिलेंगे ,सब आस पडौसी सामान्य वर्ग के ही होंगे। मतलब साफ है कि हमने इस कॉलोनी में आज तक किसी भी एससी ,एसटी वाले को कोई प्लॉट नहीं बेचा है । हमने ही नहीं आस -पास की कॉलोनियों में भी सबने तय कर रखा है कि हम प्लॉट एससी, एसटी वर्ग के लोगों को नहीं बेचते। हम सब का प्रयास होता है कि हम किसी भी एससी, एसटी वाले को प्लॉट नहीं बेचे। आप निश्चिंत रहे आपको सब पड़ौसी सामान्य वर्ग के ही मिलेंगे। वर्मा जी बोलते हैं मुसलमानों को मुसलमानों को तो बिल्कुल भी नहीं देते। गलती से यदि किसी ने रिसेल में एससी ,एसटी वालों ने प्लॉट खरीद लिया तो पडौसी उसे इतना प्रताड़ित करते हैं कि उसे छोड़कर भागना ही पड़ता है। खैर मैं भी आपसे यह बातें क्यों बोल रहा हूं आप तो पंडित जी के साथ आए है हो तो आप तो उजली जाती के ही होंगे। इतने में ही शर्मा जी बोलते हैं हां हां अपने ही आदमी है मेरे बचपन के दोस्त है। अच्छा सा सौदा दिखाना लेकिन मेरे यह बात समझ नहीं आ रही कि क्या आज भी इस तरह का व्यवहार हो रहा है। बिल्कुल शर्मा जी इस कॉलोनी में एससी ,एसटी के लोग रहेंगे तो कॉलोनी में भाव ही नहीं बढ़ेंगे।अगर गलती से कोई मुसलमान आ जाए तो फिर दूसरे लोग रहना नहीं चाहते ,तो हमने तो तय कर रखा है कि हम हमारी कॉलोनी में हम सामान्य वर्ग के लोगों को ही प्लॉट देंगे । शर्मा जी बोलते हैं लेकिन तुम ऐसा कैसे कर सकते हो अपनी कॉलोनी में किसी एससी, एसटी वालों को प्लॉट नहीं दोगे तो कोई तुम्हारे खिलाफ मुकदमा दर्ज करा देगा। अरे शर्मा जी आप भी कैसी बात करते हो हमने कोई बोर्ड थोड़े ही लगा रखा है ,कि हम एससी, एसटी वालों को प्लॉट नहीं देंगे । ये बात तो में आपको बता रहा हूं क्योंकि आप घर के आदमी है। शर्मा जी इस बात का पता कैसे लगता है कि सामने वाला कौन है । वह तो ग्राहक से प्लॉट दिखाने से पहले हम लोग उनसे बात बात में पूछ लेते हैं । जब उसकी जाति, समाज और धर्म के बारे में पता लगता है तो फिर हम उसी के अनुरूप उन्हें सौदा दिखाते हैं। इसके बावजूद भी यदि कोई बोले कि नहीं हमें इसी कॉलोनी में चाहिए तो टालने के लिए भाव ही इतना बताते हैं कि वो वैसे ही भाग जाता है। फिर भी यदि कोई ज्यादा दबाव डाले तो टालने के 50 बहाने है। लेकिन शर्मा जी यदि कोई आपका परिचित SC,ST से हो तो बता देना पास वाली कॉलोनी में सौदा दिला देंगे। इस कॉलोनी से 5 -10 हज़ार सस्ता ही मिलेगा क्योंकि वहां सब मिक्स है। एससी वालों बाहुल्य है। लेकिन वर्मा जी के लिए तो इसी कॉलोनी में ये कॉर्नर वाला ठीक रहेगा। अलग में गुप्ता जी, बगल में शर्मा और पीछे सुखीजा जी। शानदार सौदा है बस आप तो ले लो। रहने और भविष्य में बेचने के हिसाब से भी फायदे का सौदा है।

अब शर्मा जी और वर्मा जी दोनों ने प्रॉपर्टी डीलर से बोलते हैं भाई हमें प्लॉट तो पसंद आ रहा ,अब एक बार परिवार वालों को दिखाना जरूरी है। परिवार वालों को पसंद आएगा उसके बाद ही आगे बात बढ़ेगी। इतना कहकर शर्मा जी और वर्मा जी कार में बैठ जाते हैं । प्रॉपर्टी डीलर की बातों को सुनकर वर्मा जी काफी निराश और हताश हो जाते हैं। वर्मा जी बोलते हैं शर्मा जी सब लोग आपके परिवार और आपकी तरह नहीं होते , जिन्होंने बचपन से लेकर आज तक इस बात का एहसास नहीं होने दिया कि हम कौन है। अपन दोनों तो बचपन से जब भी मौका लगा एक ही प्लेट में खाना खाते हैं , एक दूसरे के घरों में आना जाना है । हमने कभी भी एक दूसरे को अलग समझा ही नहीं, लेकिन इस प्रॉपर्टी डीलर की बातें सुनकर लगता है ,जैसे समाज में अभी भी एक बड़ा तबका ऐसा है जो भले ही शहरों में बस गया हो, लेकिन उनकी सोच में अभी भी गंदी जातिवादी गहरी जड़े जमाए बैठी है। जब तक दिमाग मे एक को ऊंचा और दूसरे को नीच मानने की मानसिकता रहेगी तब तक भले ही हम हिन्दुस्तान के किसी कोने में रहे या फिर इग्लैंड और अमेरिका में भी क्यों न बस जाएं हमारी सोच कोई नहीं बदल सकता। जब तक लोग शर्मा जी की तरह मानव -मानव को एक समान नहीं समझेंगे तब तक मन की दूरियां खत्म नहीं होगी तब तक ऐसा ही चलता रहेगा, भले जी वर्मा जी कुछ भी बन जाए।

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