श्रीगंगानगर। खबर राजस्थान के गंगानगर और बीकानेर जिले के बॉर्डर गांव से हैं जहां एक नवजात प्रसूता को सरकार की 104 एंबुलेंस ने नियमों का हवाला देते हुए 2 दिन की नवजात प्रसूता को बच्चे सहित रास्ते में उतारा।

मामला रावला सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र का है यहां पर रेशमा परिहार पत्नी अमीन खान ने ने बच्चे को जन्म दिया । बच्चे के जन्म के 2 दिन बाद डॉक्टरों ने जच्चा-बच्चा दोनों को अस्पताल से छुट्टी दे दी । इसके बाद अमिन खान ने सरकार की ओर से जच्चा बच्चा को दी जाने वाली निशुल्क एंबुलेंस सेवा 104 से संपर्क किया। इस पर उसे 104 एंबुलेंस सेवा भी मिल गई और वह अपनी पत्नी और नवजात बच्चे के साथ अपने गांव के लिए रवाना हो गया। अस्पताल से बहुत हंसी खुशी रवाना हुआ परिवार उस समय परेशान हो गया ,जब एंबुलेंस चालक ने उन्हें अपने घर से 7 किलोमीटर पहले ही बीकानेर और श्रीगंगानगर जिले के बीच केपीडी गांव में ही उतार दिया। एंबुलेंस चालक का कहना था कि वह जिले की सीमा समाप्त हो चुकी है। ऐसे में आगे नहीं जा सकता है उसकी मजबूरी है। आपको अपनी गाड़ी करवानी होगी या फिर दूसरी गाड़ी मंगवानी होगी। दोनों पति पत्नी एंबुलेंस सेवा के ड्राइवर से मिन्नतें करते रहे कि वह उन्हें बीच रास्ते में नहीं छोड़े, लेकिन वह नहीं माना और नियमों का हवाला देते हुए उन्हें उतार दिया। इसके बाद अमीन और रेशमा ने अपने स्तर पर निजी गाड़ी की और फिर अपने गांव गए।

सरकार के पर एजेंसियों लगा रही पलीता

सरकार की ओर से जच्चा बच्चा को निशुल्क इलाज भी दिया गया। घर से अस्पताल में ले जाया गया, लेकिन वापस लौटते समय नियम की आड़ में एंबुलेंस के ड्राइवर ने सरकार की ओर से सारे किए धरे पर पानी फेरना दिया । ऐसी स्थिति में एंबुलेंस चालक को मानवता दिखाते हुए कम से कम जच्चा और बच्चा को उनके घर तब त छोड़ना जरूरी था क्या सरकार एंबुलेंस सेवा 108 के खिलाफ इस संदर्भ में कार्रवाई करेगी या फिर मरीज ऐसे ही परेशान होते रहेंगे।

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