कई अफसर काम के मारे तो कई बैठे खाली ….
जयपुर। राजस्थान में एक तरफ अधिकारियों के पास कई- कई विभागों की जिम्मेदारी है जिसे वे संभाल नहीं पा रहे दूसरे अधिकारी जो बगैर काम के सिर्फ दफ्तर में कुर्सियां तोड़ रहे है। हाल ही में दर्जनों आईएएस अफसरों के पास- तीन से आठ- दस विभागों की जिम्मेदारी है। जिसके चलते वे किसी भी विभाग की जिम्मेदारी संभाल नहीं पा रहे। वहीं दूसरी और आरएएस से आईएएस में प्रमोट हुए दर्जनों अधिकारी आईएएस तो बन गए लेकिन उनके पास काम नाम मात्र का भी नहीं है। या तो सरकार को इन पर भरोसा नहीं है या फिर ये काम के नहीं है। क्योंकि शासन सचिवालय में ही दर्जनों अधिकारी बिना किसी काम या विभाग के है। एक तरफ ऐसे भी अधिकारी है जिनके पास कई विभागों का दायित्व है लेकिन संभल एक भी नहीं रहा। जनता से जुड़े मुद्दों का जब तक समाधान नहीं होता जनता की भी शिकायत रहती है। लेकिन सरकार के मुखिया भी उन्हीं अधिकारियों को एक के बाद एक करके काम सौंप रहे हैं जो पहले से काम के बोझ तले दबे हुए है। कई बार ऐसा लगता है जैसे मुखिया को इन्हीं अधिकारियों पर भरोसा है। यदि ऐसा है तो फिर जो अधिकारी बगैर काम के उन्हें वीआरएस देकर घर क्यों नहीं भेजा जा रहा । या तो ऐसे अधिकारियों को महत्वपूर्ण विभागों की जिम्मेदारी देकर उन्हें मजबूत किया जाना चाहिए। लोगों का कहना है की जो अधिकारी प्रमोशन से सीनियर बने है उनके अनुभव का लाभ लेना चाहिए। लेकिन यहां सब उल्टा हो रहा है सरकार आरएएस से आईएएस बने अधिकारियों के अनुभव का लाभ उठाने की बजाए उन्हें ठंडे बस्ते में डाल रही है। जिससे वे बेकाम और नकारा बन रहे हैं। उनके काम पर भी विपरीत प्रभाव पड़ रहा है। ऐसे में सरकार को इस तरह खाली बैठे अधिकारियों को भी कुछ महत्वपूर्ण विभागों की जिम्मेदारी देनी चाहिए। जिससे जिन अफसरों पर ज्यादा विभागों की जिम्मेदारी है उन्हें थोड़ी राहत मिल सके और जिन्हें सरकार नकारा मानकर फ्री बैठाकर वेतन दे रही है वे अपनी प्रतिभा साबित कर सके। ऐसा करने से जनता को भी राहत मिलेगी और जो फ्री में वेतन ले रहे है उन्हें अपनी प्रतिभा दिखाने का अवसर भी मिलेगा।