रुपनगढ़ ।अजमेर जिले के किशनगढ़ कस्बे में दलित समाज के एक युवक ने अपने माता-पिता कि दबंगों के हाथों से पिटाई होते देखी , विरोध किया , जब पुलिस से न्याय नहीं मिला तो एक पत्र लिखा और पत्र लिखकर आत्महत्या कर ली। मृतक ओमप्रकाश रैगर किशनगढ़ उपखंड क्षेत्र के रूपनगढ़ इलाके के नोसल गांव का रहने वाला था। मंगलवार दोपहर 3:00 बजे के आसपास कमरे की छत पर लगे हुक में फांसी का फंदा लगाकर उसने जान दे दी। ओमप्रकाश का सुसाइड नोट सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है । सुसाइड नोट में दीपावली पर स्थानीय व्यक्ति से झगड़े को लेकर रूपनगढ़ थाने में रिपोर्ट दर्ज करवाने और राजनीतिक दबाव में रिपोर्ट को हल्का करने के आरोप लगाया गया। सबसे खास बात है कि मृतक ने भीम आर्मी चंद्रशेखर आजाद से अपील की है वह उसके माता-पिता और बहन के स्वाभिमान की रक्षा करें । ओमप्रकाश ने सुसाइड नोट के आखिर में लिखा है कि मैं परिवार के लिए कुछ नहीं कर सका। मेरे बाद मेरे पापा- मम्मी और बहिन का क्या होगा मैं नहीं जानता लेकिन चंद्रशेखर आजाद रावण मेरे परिवार की रक्षा करना । उनके स्वाभिमान की रक्षा करना जय भीम। ओमप्रकाश रैगर को सिस्टम पर भरोसा नहीं है लेकिन उसे भरोसा है तो सिर्फ दलितों, आदिवासियों और वंचितों के लिए संघर्ष करने वाले चंद्रशेखर रावण पर। चंद्रशेखर रावण को जब दलित युवक के इस तरह से आत्महत्या करने की जानकारी मिली तो चंद्रशेखर भी दौड़े चले आए और आज ओमप्रकाश रैगर के हक की लड़ाई लड़ने के लिए रुपनगढ़ में परिजनों के साथ धरने पर बैठे है। रावण के आह्वान पर बड़ी संख्या में भीम आर्मी के कार्यकर्ता वहां पहुंच गए है। भीम आर्मी चीफ चंद्रशेखर आजाद का कहना है कि राजस्थान में दलित सुरक्षित नहीं है। बहन- बेटियां सुरक्षित नहीं है। कांग्रेस दलितों के वोटों पर सरकार तो बनाती है लेकिन उनकी सुरक्षा और मान- सम्मान की रक्षा नहीं करती। भीम आर्मी चीफ और स्थानीय लोगों ने दोषियों को हत्या के मामले में गिरफ्तार करने , रिपोर्ट दर्ज कर कार्रवाई नहीं करने वालों को बर्खास्त करने और मृतक के परिजनों को 50 लाख का मुआवजा और एक सरकारी नौकरी नहीं देने तक शव नहीं उठाने की घोषणा की है।

दलित उत्पीड़न से परेशान था मृतक

सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे मृतक ओमप्रकाश रेगर का सुसाइड नोट इस तरह से है ……

मेरे पिता नारायण रैगर दिवाली के दिन अपने खेत में गवार और बाजरे की फसल इकट्ठा कर रहे थे । तभी पड़ौसी किसना राम गुर्जर और उसके दो भतीजे कानाराम और नंदराम भेड़ बकरियां चराने वहां आ गए। उन्होंने कटी हुई फसल को खाने के लिए बेड बकरियों को छोड़ दिया। जिसका मेरे पिताजी ने विरोध किया तो मेरे विकलांग पिता को तीनों ने लाठियों से मारा पीटा । उन्होंने जैसे-तैसे कर अपनी जान बचाई और गांव की तरफ आ कर मुझे और मेरी मां को सारी बात बताई । जब हम वहां पहुंचे तो उन्होंने हमें भी घेर लिया और जातिसूचक शब्दों से अपमानित किया मारपीट करने की धमकी दी।

ओमप्रकाश में लिखा है कि हमारे साथ हमेशा ऐसा ही करते हैं। जब भी हम खेत में फसल तैयार करते हैं तो लास्ट में आकर पहले खेत में भेड़ बकरियां छोड़ देते हैं । जब विरोध करते हैं तो मारपीट करते हैं। हमें दलित होने के कारण परेशान करते हैं। थाने में रिपोर्ट दर्ज करवाने गए तो थानेदार में मेडिकल करवाने के बाद डरा धमका कर रवाना कर दिया । बोला कल आना , कल गए तो बोले भगा दिया जब हमने कोर्ट में जाने का नाम लिया तब मुकदमा दर्ज कर लिया । मृतक ने पत्र में पूर्व सरपंच रणजीत सिंह राठौड़ पर भी इस मामले में अपराधियों का साथ दिया। उनकी बड़ी पहचान है इसीलिए उन्होंने थानाधिकारी अयूब खान से मिलकर मेरे साथ छोटे भाई राहुल और मेरे अंकल जुगल किशोर पर भी झूट्टी एफ आई आर दर्ज करवा दी। लोकेंद्र दादरवाल बयान करने गांव आया तो वह भी रणजीत सिंह राठौड़ के घर जाकर बैठ गया और इस सब मिल गए। आज तक कोई कार्यवाही नहीं हुई । मैं अपने मां- पिता का सम्मान नहीं बचा पाया । उनके सामने जाने में भी शर्मिंदगी महसूस करता हूं । जिन्होंने मुझे इतना पढ़ा लिखाया। लेकिन मैं उनके आत्मसम्मान की रक्षा नहीं कर पाया। अब तक मैंने जिस संविधान को पढ़ा और समझा फिर भी मैं कुछ नहीं कर पाया । इस सिस्टम की वजह से पूर्व सरपंच के पास पॉलिटिकल बल है और इसी ताकत के सहारे उन्होंने मेरे केस को पॉलिटिकल बना दिया। एक तरह जो मैंने कानून की सहायता ली जबकि उन्हें हम पर ही झूठी कसमें दर्ज करा दिया। अब जो मैं कर रहा हूं मैं जानता हूं बहुत गलत कर रहा हूं। लेकिन मेरे पास इसके अलावा कोई ऑप्शन नहीं है । मेरी मां मैं तेरा इस जन्म में नहीं हो सका, मुझे माफ करना और मेरी सिस्टर नीतू मैं तेरे लिए कुछ नहीं कर पाया। मुझे इस बात का बहुत बड़ा अफसोस है । नीतू, मम्मी- पापा का ध्यान रखना और हिम्मत मत हारना तुम लोग समझौता मत करना । इस साजिश में जो शामिल है उन पर कार्रवाई करना चाहे घर बिक जाए सब कुछ बिक जाए। अपने को छोटा मत समझना इन सब को सबक सिखाना।

मुझे पता नहीं यह लोग तुम्हारे साथ क्या करेंगे मेरे पापा मम्मी और परिवार को बचा लेना चंद्रशखर आजाद रावण से मेरी विनती है, मेरी जय भीम। यह लिखकर ओमप्रकाश रैगर ने आत्महत्या कर ली । इस घटना के बाद से दलित समाज में आक्रोश और गुस्सा है । लोगों का कहना है कि आज भी दलित समाज के साथ इस तरह का बर्ताव होता है। यदि वह विरोध करते हैं या तो उन्हें मर दिया जाता है क्या उन्हें मारपीट कर गांव छोड़ने को मजबूर किया जाता है । उनकी फसलें जला दी जाती है । विरोध करने पर मारने- मरने को मजबूर किया जाता है । महिलाओं के साथ दुर्व्यवहार होना आम बात है । तमाम बातों को लेकर दलित समाज ने अभी तक कि मृतक के शव का अंतिम संस्कार नहीं किया है पुलिस नवाज में मौके पर तैनात है।

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