स्कूलों में एक-एक पद खाली तो किसकी होगी भर्ती?

कई स्कूलों ने फार्म लेने से किया इनकार ,तो कई स्कूलों ने नहीं दर्ज किए रिकॉर्ड

मनमर्जी से होगी भर्तियां अभ्यर्थी किससे करें पुकार?

जयपुर। राजस्थान सरकार ने महात्मा गांधी अंग्रेजी माध्यमिक विद्यालयों में 10,000 पदों पर संविदा पर टीचर और लेबर असिस्टेंट की भर्तियां निकाली है, इन पर लोग आवेदन भी कर रहे हैं । लेकिन इन भर्तियों में एससी, एसटी ,ओबीसी, एमबीसी और ईडब्ल्यूएस वर्ग के आवेदकों के साथ सबसे ज्यादा अन्याय होने वाला है। क्योंकि अधिकांश स्कूलों में 1,1 पदों पर तो किसी स्कूल में 2 पदों पर और बहुत कम स्कूलों में अधिकतम 4 पदों पर वैकेंसी खाली है ।ऐसी स्थिति में आरक्षित वर्ग को जिन स्कूलों में एक ,एक या दो पद खाली है, उन्हें कैसे लाभ मिलेगा यह समझ से परे है। sc.st.obc कर्मचारी महासंघ के अध्यक्ष राजपाल मीणा का कहना है कि अधिकांश स्कूलों में एक-एक पद प्रयोगशाला सहायकों के पदों पर भर्ती की जानी है अब इनमें से स्कूल प्रबंधन कैसे तय करेगा यह एक पद किस वर्ग के अभ्यर्थी को देना है ।यदि स्टूडेंट्स या अभ्यर्थी की परसेंटेज के आधार पर इसका निर्णय किया जाना है तो भी आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थियों का नंबर नहीं आना है, क्योंकि सबसे पहले जिस के सर्वाधिक नंबर होंगे उसी का उसमें चयन होगा। ऐसी स्थिति में इन 10000 पदों पर सीधा सीधा _सीधा नुकसान आरक्षित वर्ग से आने वाले छात्र-छात्राओं बेरोजगार अभ्यर्थियों पर पड़ेगा। क्योंकि इन पदों पर स्कूल प्रबंधन अपनी मनमर्जी से ही नियुक्तियां देता है ,जबकि ऐसी स्थिति में राजस्थान सरकार को इन पदों को लेकर स्पष्ट किया जाना चाहिए था कि कौन इसके लिए आवेदन कर सकता है ,कितने पद सामान्य वर्ग ,कितने पद आरक्षित वर्गों के लिए आरक्षित है। 1-1 के लिए चार चार सौ आवेदन आ रहे हैं ,अब ऐसी स्थिति में शाला प्रबंधन के सामने भी संकट खड़ा हो जाएगा कि आखिरकार किसका चयन करें, आरक्षित वर्ग वालों में सर्वाधिक परसेंटेज वालों का करें ,या फिर सामान्य वर्ग के सर्वाधिक परसेंटेज वाले अभ्यर्थी का चयन करें ,आरक्षित वर्ग में भी एससी का करें ,एसटी, ओबीसी , करें ईडब्ल्यूएस वालों का करें। इस संदर्भ में सरकार ने कोई दिशा निर्देश जारी नहीं किए हैं। ऐसी स्थिति में राजस्थान सरकार ने एक तरह से विद्या संबल योजना में 10000 पदों पर होने वाली भर्तियों पर आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थियों के हितों पर एक तरह से सीधा प्रहार किया है। और उन्हें भर्ती से वंचित कर दिया है ।इसको लेकर आरक्षित वर्ग के लोगों में खासा आक्रोश है। सरकार को इसके लिए किसी तरह की परीक्षा का आयोजन कराया जाना चाहिए था और सभी पदों का निर्धारण होना चाहिए था, जिससे जो इस कंपटीशन में फाइट कर पाता वह सफल अभ्यर्थी घोषित कर दिया जाता है ।ऐसा ही टीचर्स के लिए है टीचर्स के लिए भी पदों की संख्या हर स्कूल में एक दो ही है ऐसी स्थिति में भी जो शाला प्रबंधक प्रबंधक है उनके सामने अभ्यर्थियों के चयन का संकट खड़ा होगा ।क्योंकि वहां भी आरक्षण के नियमों का पालन नहीं हो सकता। आरक्षण के नियमों का पालन होता तो 1 या 2 पदों पर वह आखिर वह क्या करें यह कोई स्थिति स्पष्ट नहीं है। यदि वह अभ्यर्थियों की परसेंटेज के आधार पर भी निर्णय करेंगे तो फिर आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थी तो कभी भी उस कैटेगरी में शामिल नहीं हो सकेंगे ।यह तो सीधा-सीधा उनके हितों पर कुठाराघात ही है ।अंग्रेजी माध्यम वाले स्कूलों में होने वाली टीचर्स भर्ती के लिए हिंदी b.ed वाले भी फॉर्म भर रहे हैं, जब आपको पढ़ाई अंग्रेजी में करवानी है तो हिंदी माध्यम वाला कैसे अंग्रेजी पढ़ा लेगा इसको लेकर भी स्पष्ट दिशानिर्देश नहीं है । दूसरा कई स्कूलों ने अभ्यर्थियों के फार्म लेने से मना कर दिए उनके खिलाफ भी कार्यवाही होनी चाहिए । तीसरा स्कूल प्रबंधकों ने अभ्यर्थियों के फार्म तो ले लिये लेकिन कोई रिकॉर्डिंग नहीं रखा, ऐसे स्कूल प्रबंधकों पर भी कार्यवाही होनी चाहिए क्योंकि इससे बहुत ज्यादा मनमर्जी चलेगी, लोग अपने अपनों को भरने के चक्कर में महात्मा गांधी अंग्रेजी स्कूलों की पढ़ाई का स्तर सरकारी स्कूलों से भी नीचे का बना देंगे। जिससे आने वाले समय में स्टूडेंट्स का भला होने वाला तो नहीं है। सरकार की विद्या संबल योजना का सबसे बड़ा खामियाजा और नुकसान 10,000 अस्थाई पदों पर होने वाली भर्तियों में आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थियों को करना पड़ेगा, जिसको लेकर आने वाले समय में सरकार को भी विरोध का सामना करना पड़ेगा।

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