जयपुर। राजधानी जयपुर के महात्मा गांधी हॉस्पिटल की घटना सामने आई है ।जिसमें सवाई माधोपुर की पीड़िता धोली देवी मीणा अपनी लिवर की बीमारी का इलाज करवाने महात्मा गांधी हॉस्पिटल में आई थी। यहां पर डॉक्टरों ने इलाज के दौरान बताया कि आप का ऑपरेशन होगा और ऑपरेशन कर दिया गया। ऑपरेशन के दौरान ही डॉक्टरों ने पेट के अंदर ऑपरेशन करने वाली कैंची छोड़ दी और धोली देवी मीणा को डिस्चार्ज कर दिया गया । जब धोली देवी मीणा को उठने बैठने में परेशानी होने लगी और उनके मलद्वार से खून आने लगा उनकी तबीयत ओर ज्यादा बिगड़ने लगी तो उन्होंने दोबारा सवाई मानसिंह हॉस्पिटल जयपुर में अपनी जांच करवाई। जांच के दौरान उनके एक्सरे में स्पष्ट रूप से केंची नजर आई । पेट में कैची देखते ही हॉस्पिटल प्रशासन में हड़कंप मच गया और यह जानकारी महात्मा गांधी हॉस्पिटल के लापरवाह डॉक्टरों को मिली।

s.m.s. अस्पताल में जांच में निकली पेट में कैंची

पीड़िता ने बताया कि हॉस्पिटल प्रशासन ने मुझे पूर्ण रूप से दबाने का प्रयास किया ।मैंने मेरी शिकायत संबंधित शिवदासपुरा थाने में दी लेकिन थाना अधिकारी ने मेरा मुकदमा दर्ज नहीं किया । ना ही मेडिकल टीम ने जांच की। पीड़िता के पति ने बताया कि मेरी बीवी की हालत बहुत ज्यादा गंभीर है उनकी जान कभी भी जा सकती है।

शिवदासपुरा थाना ने नहीं किया मुकदमा दर्ज
इस घटना को लेकर आज शिवदासपुरा थाने में सामाजिक संगठनों के लोग बड़ी संख्या में पहुंचे और घटना का विरोध किया घटना की जानकारी होते ही पूरे राजस्थान में पुरजोर सोशल मीडिया पर इस घटना का विरोध होने लगा। पीड़िता पति राजेश कुमार मीणा ने बताया कि जब तक मुझे न्याय नहीं मिलेगा मैं इस लड़ाई में पीछे नहीं हटूंगा।
इस दौरान संवैधानिक विचार मंच संस्थापक गीगराज जोड़ली विद्रोही भीम सेना प्रदेशाध्यक्ष रवि कुमार मेघवाल एडवोकेट संजू मूंडरू, डॉक्टर अतुल मीणा ,संतोष मीणा ,स्थानीय सरपंच प्रतिनिधि सहित सैकड़ों लोग उपस्थित रहे। डॉक्टरों द्वारा लापरवाही करने के मामले में नामजद परिवाद दर्ज कर जांच शुरू कर दी गई है।

महात्मा गांधी अस्पताल प्रशासन ने मामले में किसी भी तरह से बातचीत करने से इंकार कर दिया है उन्होंने हमारे संवाददाता को इस बारे में जानकारी चाहने पर किसी भी तरह का जवाब देने से मना कर दिया जबकि अस्पताल प्रशासन को चाहिए कि इस मामले में लापरवाही देखने डॉक्टर और नर्स स्टाफ को तुरंत बर्खास्त करना चाहिए था और उनके खिलाफ जांच बैठा देती है पीड़ित मरीज का इलाज करना चाहिए।

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