प्रदेश में परफ्युजनिस्ट की आवश्यकता 25 सालों से
लेकिन नियुक्ति अभी तक नहीं हुई

ओपन हार्ट सर्जरी, हार्ट ट्रांसप्लांट, कोरोना इलाज हो रहा प्रभावित
सेवा नियम के आभाव के चलते नहीं हो रही नियुक्ति
SMS अस्पताल में 10 और अन्य मेडिकल कॉलेजों में 3-3 परफ्युजनिस्ट की आवश्यकता
परफ्यूजन का UG और PG CPT डिप्लोमा करने वाले युवाओ भविष्य भी अधर

MBBS,BSC स्टूडेंट ही करते हैं पीजी सीपीटी डिप्लोमा


जयपुर। प्रदेश के सरकारी अस्पतालों में बीते 25 साल से ओपन हार्ट सर्जरी हो रही है लेकिन आपको जानकर हैरानी होगी कि 25 साल बाद भी परफ्युजनिस्ट टेक्नोलॅाजिस्ट (पीजी डिप्लोमा इन सीपीटी) के पदों के लिए कोई नियुक्ति नहीं हुई। परफ्युजनिस्ट की नियुक्ति के बीच सबसे बड़ा रोड़ा सेवा नियम का बताया जा रहा है। जयपुर के सवाई मानसिंह अस्पताल में ओपन हार्ट सर्जरी की शुरुआत 1996 में हुई थी तभी से अस्पताल में परफ्युजनिस्ट की आवश्यकता थी ,लेकिन अभी तक परफ्युजनिस्ट की अभी तक नियुक्ति नहीं हुई। जिसके चलते ओपन हार्ट सर्जरी, हार्ट ट्रांसप्लांट और कोरोना ग्रसित गंभीर मरीजों का इलाज प्रभावित हो रहा है। ऐसे में काम चलाने के लिए अभी एसएमएस अस्पताल में RMRS द्वारा प्रतिदिन के मानदेय पर डिप्लोमा प्राप्त परफ्युजनिस्ट को बुलाकर काम चलाया जाता है। परफ्युजनिस्ट नहीं मिलने पर गैर अनुभवी नर्सिग या अन्य टेक्निकल कर्मचारी से काम करवाया जा रहा है। इसके पीछे सबसे बडा कारण पूर्व में परफ्यूजनिस्ट टेक्नोलॅासिट के डिप्लोमाधारियों का अभाव भी था। क्योंकि पूर्व में इस तरह का डिप्लोमा सिर्फ साउथ में कुछ मेडिकल कॅालेज कराते थे। जिनकी पोस्टिंग डिप्लोमा करते ही हो जाती थी। क्योंकि हार्ट सर्जरी में जो मशीनें काम में आती है उन्हें ऑपरेट करने का काम परफ्यूजनिस्ट टेक्नोलॅाजिस्ट ही करते है। जिन्हें सबसे पहले तो मोटे वेतन पर कंपनी वाले ही रख लेते थे। या फिर नामचीन अस्पताल वाले। राजस्थान में हार्ट का इलाज तो हो रहा था लेकिन इसके सेवा नियम नहीं होने से किसी ने इस पर ध्यान ही नहीं दिया। जबकि एनेथिस्या की तरह ही परफ्यूजनिस्ट टेक्नोलॅास्ट की पोस्ट जरुरी है। इस काम को अब तक सरकारी अस्पतालों में लोकल नर्सिंग स्टॅाफ से ही कराया जा रहा था। या एक दो- लोग डिप्लोमाधारियों को हायर किया जाता है जो प्रति ऑपरेशन के हिसाब से पैसा चार्ज करते हैं। हालांकि एसएमएस में एक परफ्यूजनिस्ट संविधा पर रखा हुआ है। लेकिन यहां 10 लोगों की जरुरत है। इस बात को ह्दयरोग विभाग के हैड भी मानते है। लेकिन सेवा नियमों के चलते वे कुछ नहीं कर पाते। दूसरा ये कि परफ्यूजनिस्ट टेक्नोलॅाजी डिप्लोमा करने वाले स्टूडेंटस भी काफी कम है। जिनकी राजनीतिक अप्रोच नहीं होने के कारण अब तक किसी सरकार ने भी ध्यान नहीं दिया। अब आरयूएचएस भी ये डिप्लोमा कराने लगा है । ऐसे में स्टूडेंट लाखों रुपये खर्च ये कोर्स कर रहे है। लेकिन जब वे जॅाब के लिए अप्लाई करते है तब पता लगता है कि इस तरह की कोई पोस्ट ही नहीं है। जबकि एम्स सहित दूसरे अन्य बड़े अस्पताल इस पद पर भर्ती करने के लिए बड़े – बड़े विज्ञापन निकाल रहे हैं। अब सरकार एसएमएस की कार्डियोलॉजी विभाग को 50 करोड़ की लागत से देश का सबसे सेंटर बनाने जा रही है। ऐसे में परफ्युजनिष्ट की आवश्यकता अधिक होगी, लेकिन सेवा नियम नहीं होने के चलते केडर स्थापित करने और पद सृजित करने की समस्या आ रही है। सवाई मानसिंह अस्पताल के कार्डियो थेरेसिक सर्जरी विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ राजकुमार यादव ने बताया की अस्पताल में ओपन हार्ट सर्जरी की शुरुआत होने के बाद 1997 में राज्य सरकार ने एक परफ्यूजन का पद स्वीकृत किया था। लेकिन अभी तक सेवा नियम के आभाव में भर्ती नहीं हो पाई है। सरकार और मेडिकल एजुकेशन विभाग को प्राचार्य द्वारा लगातार लिखा जा रहा है लेकिन अभी सेवा नियम नहीं बनाये गए। वर्तमान में एसएमएस अस्पताल में कम से कम 10 और अन्य मेडिकल कॉलेजों में 3-3 परफ्युजनिष्ट की आवश्यकता है। लेकिन सेवा नियम नहीं होने के कारण ये पद नहीं भरे जा सकते। इसके लिए सरकार को पहले राजस्थान अधीनस्थ सेवा अधिनियम चिकित्सा एवं स्वास्थ्य सेवा नियम 1965 में संशोधन जरुरी है। यदि सरकार जल्दी से यह करें तो ओपन हार्ट सर्जरी, हार्ट ट्रांसप्लांट और कोरोना ग्रसित गंभीर मरीजों का इलाज करने में आसानी होगी। वहीं सेवा नियम नहीं होने के कारण परफ्यूजन का यूजी और पीजी डिप्लोमा करने वाले युवाओ का भविष्य भी अधर में है। तो दूसरी और ह्दय रोगी जो ऑपरेशन कराता है उसकी जान भी जोखिम में रहती है।

बाइट – डॉ राजकुमार यादव, विभागाध्यक्ष, SMS अस्पताल

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