पद, प्रतिष्ठा, पेशा, इंसानियत को किया शर्मसार

जयपुर। जिस तरह का वीडियो वायरल हो रहा है। सर शर्म से झुक जाता है। क्या ऐसे पुलिस अधिकारी और महिला कांस्टेबल हमारे समाज के आदर्श और रक्षक हो सकते है। आखिर क्यों कर सरकार ऐसे अय्याश पुलिस अधिकारी और पुलिस महिला कांस्टेबल को पद पर बनाए हुए है। आखिरकार क्यों नहीं सरकार इन दोनों हवस के पुजारियों को पद से बर्खास्त नहीं कर रही। कुछ ऐसे ही सवाल है जो राजस्थान के आर पी एस अधिकारी हीरालाल सैनी और एक महिला कांस्टेबल के एक मासूम बच्चे के साथ स्विमिंग पुल के वीडियो वायरल होने के बाद चर्चा में है ।

सरकार अय्याश आरपीएस और कांस्टेबल को बर्खास्त क्यों नहीं करती?

आखिरकार सरकार क्यों कर इस मामले में चुप है। क्यों नहीं इस तरह के गुनहगार को जो समाज का गुनहगार है । जिसमें एक मासूम को इस गुनाह में शामिल कर लिया। जो बच्चा इस बारे में न जानता है, न समझता है, उस मासूम को भी आरपीएस अधिकारी हीरालाल सैनी और हवस की पुजारी महिला कांस्टेबल ने जिस तरह से इस्तेमाल किया वह इंसानियत के भी खिलाफ है। साफ तौर पर वायरल वीडियो महिला पुलिस कांस्टेबल और आरपीएस अधिकारी हीरालाल सैनी की सहमति से ही बनाया हुआ लगता है । क्योंकि जिस तरह से उन दोनों का फोकस और यहां तक कि बच्चे का फोकस कैमरे में मोबाइल की तरफ रहता है । उससे साफ है कि यह सारा कृत्य इन दोनों ने आपसी रजामंदी और सहमति से किया ।

अय्याशी के चक्कर में मासूम को बनाया शिकार

लेकिन इसमें भागीदार बना दिया एक ऐसे मासूम को जो इन सबसे बिल्कुलअनजान है। बिल्कुल निर्दोष है मासूम है, जिसे तो यह भी पता नहीं है कि आखिरकार यह हो क्या रहा है। पर इन दोनों ने इंसानियत की सारी हदें पार कर दी । ऐसे दोषी पुलिस अधिकारी और कांस्टेबल को अब तक सरकार पद पर बनाए हुए हैं। आखिरकार क्या मजबूरी है सरकार की ,ऐसे लोगों को तो मैं पद पर रहने का अधिकार है और ना ही समाज में रहने का हक। क्योंकि जो लोग अपनी हवस में मासूम बच्चों को भी धकेल दे, उन से समाज क्या सबक लेगा। क्या शिक्षा लेगा! ऐसे लोग समाज के लिए भी घातक है, वैसे भी उन्हें समाज से बहिष्कृत कर देना चाहिए। ऐसा लोगों का कहना है की अश्लील वीडियो में महिला कांस्टेबल आरपीएस अधिकारी हीरालाल सैनी को तुरंत पदमुक्त कर देना चाहिए। इस मामले में सरकार अब तक आरपीएस अधिकारी हीरालाल सैनी, महिला सिपाही को एपीओ किया है।

चार पुलिस अधिकारियों पर गिरी गाज

इस मामले लापरवाही बरतने वाले 6 पुलिस अधिकारियों पर भी गाज गिरी है। सरकार ने 4 पुलिस अफसर को सस्पेंड भी किया है। उनमें झोटवाड़ा एसीपी हरिशंकर शर्मा, कुचामन सीओ मोटाराम बेनीवाल, कालवाड़ थाना प्रभारी गुरुदत्त सैनी और चिड़ावा थाना प्रभारी ओमप्रकाश मीणा शामिल है । पुलिस केडीजीपी का कहना है कि यदि इस मामले में और भी पुलिस अधिकारी दोषी होंगे तो उन्हें भी गिरफ्तार किया जा सकता है ।यदि इन पांचों पर मामला दबाने का आरोप भी साबित होगा उन पांचों पुलिस अधिकारियों को भी गिरफ्तार किया जा सकता है। देश के सबसे घिनौने वीडियो के आरोपियों को तुरंत बर्खास्त करना चाहिए। ऐसा लगातार मांग उठाई जा रही है । क्योंकि उन्होंने रिश्ते,पेशे और समाज सब को शर्मसार किया है। कॉस्टेबल ने 13 जुलाई को ही मुकदमा दर्ज कराने का प्रयास किया था। महिला कांस्टेबल ने बताया था कि मेरी पुरुष मित्र के साथ स्विमिंग पुल की फ़ोटो भेजकर 50 लाख रुपए मांगे गए थे। वीडियो वायरल करन की धमकी देकर इंटरनेट कॉलिंग के जरिये पैसे मांगे गए। चर्चा में यह भी है कि चितावा थाने में एक आरपीएस ने हीरालाल सैनी से 5000000 रुपए की रिश्वत मांगी थी। मगर रुपए नहीं पहुंचने पर यह मामला आगे बढ़ गया यदि आरोपियों पर कार्रवाई हो जाती तो ये मामला सामने ही नहीं आता।

वहीं जांच में सामने आया कि वीडियो 1 माह पहले ही पुष्कर में एक होटल के रिसोर्ट में बनाया गया था। कई संगठनों ने आरपीएससी हीरालाल लाल ओर महिला कांस्टेबल को तुरंत बर्खास्त करने की मांग की है । साथ ही इन पर आईपीसी की धाराओं के तहत कठोर से कठोर कार्रवाई करने की मांग की है। लोगों का कहना है कि जब कैलाश बोहरा को रिश्वत में अस्मत मांगने पर बर्खास्त कर दिया गया था तो फिर हीरालाल सैनी पर मेहरबानी क्यों?

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