जयपुर। 660 मेगावाट की छबड़ा सुपर क्रिटिकल तापीय विद्युतगृह में विद्युत उत्पादन आरंभ हो गया है। अतिरिक्त मुख्य सचिव एनर्जी डॉ. सुबोध अग्रवाल ने यह जानकारी देते हुए बताया कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के दिशा-निर्देशों में एक और राज्य की बंद तापीय इकाइयों में प्राथमिकता से विद्युत उत्पादन शुरु किया जा रहा है । वहीं दूसरी और कोयला की उपलब्धता बढ़ाने के समन्वित प्रयास किए जा रहे हैं। योजनावद्ध प्रयासों का ही परिणाम है कि देशव्यापी विद्युत संकट के बावजूद प्रदेश में समय रहते समस्या का समाधान कर आमनागरिकों को परेशानी नहीं होने दी गई है। उन्होंने बताया कि मुख्यमंत्री गहलोत के निर्देशों के अनुसार दीपावली के त्यौहारी अवसर पर समूचे प्रदेश में निर्बाध विद्युत आपूर्ति बनाए रखी गई है। उन्होंने इसके लिए विद्युत उत्पादन, वितरण, उर्जा विकास निगमों सहित इस कार्य से जुड़े सभी अधिकारियों और कार्मिकों को बधाई भी दी है।
डॉ. अग्रवाल ने बताया कि एनर्जी मंत्री डॉ. बीडी कल्ला भी विद्युत उत्पादन, मांग और उपलब्धता की नियमित समीक्षा कर रहे हैं और उच्च स्तरीय बैठकों में आवश्यक मार्गदर्शन दे रहे हैं।
एसीएस माइंस, पेट्रोलियम व एनर्जी डॉ. सुबोध अग्रवाल ने बताया कि नवंबर माह में 5 नवंबर को पहलीबार कोल इंडिया व विद्युत विभाग की कोल माइंस दोनों से मिलाकर कोयले की 21 रैक डिस्पेच कराने में सफलता मिली है। इससे पहले पिछले कुछ दिनों से कोयले की औसतन प्रतिदिन 16-17 रैक डिस्पेच हो पा रही थी यहां तक कि 30 अक्टूबर को तो सब मिलाकर 13 रैक ही कोयले की डिस्पेच हो पाई थी। इसके बावजूद प्रदेश में कहीं भी बिजली की आपूर्ति व्यवस्था को सुचारु बनाए रखा गया और प्रदेश में कहीं भी बिजली की कमी के कारण कटौती नहीं होने दी गई।उन्होंने बताया कि 5 नवंबर को देर रात तक राज्य सरकार के कोल ब्लॉक पीकेसीएल से कोयले की 11 रैक डिस्पेच हुई है वहीं कोल इंडिया की अनुषंगी इकाई एनसीएल से 4 और एसईसीएल से कोयले की 6 रैक डिस्पेच कराने में सफलता मिली है।
डॉ. अग्रवाल ने बताया कि देशव्यापी कोयला संकट के दौरान प्रदेश में 2600 मेगावाट से अधिक की बंद इकाइयों में बिजली का उत्पादन शुरु किया गया है। उन्होंने बताया कि छबड़ा की 660 मेगावाट की सुपरक्रिटिकल इकाई संख्या 6 में विद्युत उत्पादन आरंभ हो गया है। इस इकाई में सालाना शटडाउन के चलते विद्युत उत्पादन नहीं हो रहा था।

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