जयपुर । मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को यूं ही सूड़ पॉलिटिशियन नहीं कहा जाता। वे वाकई में राजनीति के चाणक्य हैं । मुख्यमंत्री ने हाल ही में 6 राजनीतिक सलाहकार नियुक्त किए हैं और इन को लेकर बीजेपी लगातार हमलावर हो रही है। बीजेपी में उप नेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ ने राज्यपाल को बाकायदा लिखित में शिकायत दी है कि मुख्यमंत्री ने आखिरकार किस हैसियत से 6 राजनीतिक सलाहकार नियुक्त किए हैं । उनकी राजनीतिक नियुक्तियां रद्द की जाए। क्योंकि दूसरे प्रदेशों में भी इस तरह से राजनीतिक सलाहकारों की नियुक्तियों को असंवैधानिक माना गया है ।

15% सके ज्यादा विधायको को नहीं बनाया जा सकता मंत्री

सरकार का जो मंत्री बनाने का कोटा है वह 15 फ़ीसदी का है ।ऐसे में 30 से ज्यादा मंत्री राजस्थान में संवैधानिक रूप से नहीं बनाए जा सकते । लेकिन मुख्यमंत्री अशोक गहलोत तमाम नियम कायदों को ताक पर रखकर राजनीतिक सलाहकार और संसदीय सचिव नियुक्ति कर संविधान द्वारा निर्धारित नियम कायदे को तोड़ रहे हैं । लगातार इस तरह के आरोप विपक्ष लगा रहा है। विपक्ष के आरोपों पर चुप्पी तोड़ते हुए मुख्यमंत्री गहलोत ने कहा कि राजनीतिक सलाहकारों की नियुक्ति करना मेरा क्षेत्राधिकार है। मैं जिसे चाहूं और जितने चाहूं उतने लोगों को अपना राजनीतिक सलाहकार नियुक्त कर सकता हूं । मुझे इसमें किसी से भी राय लेने की आवश्यकता नहीं है । यह मेरा विशेषाधिकार है । रही बात राजनीतिक सलाहकारों को कैबिनेट या राज्य मंत्री का दर्जा देने की बात तो हमने किसी भी राजनीतिक सलाहकार को कोई भी दर्जा नहीं दिया है। नहीं किसी को हमने कैबिनेट मंत्री बनाया और ना ही किसी को राज्यमंत्री बनाया, तो फिर संविधानिक व्यवस्था का के उल्लंघन करने का तो सवाल ही नहीं उठता है ।

सलाहकारों को नहीं मिलेगा गाड़ी बंगला

मुख्यमंत्री के इस जवाब से साफ हो जाता है कि जिन छह विधायकों को राजनीतिक सलाहकार नियुक्त किया गया है, उन्हें किसी भी तरह का अधिकार नहीं होगा । ना बंगला, ना गाड़ी और ना ही किसी भी तरह का कोई संवैधानिक अधिकार। वे सिर्फ मुख्यमंत्री के राजनीतिक सलाहकार ही होंगे।

राजनीतिक सलाहकारों की प्रतिष्ठा रहेगी बरकरार

मुख्यमंत्री अपने राजनीतिक सलाहकारों को भले ही किसी भी तरह का कैबिनेट और राज्यमंत्री का दर्जा नहीं दे रहे हैं । उन्हें भले ही गाड़ी या बांग्ला नहीं मिल रहा हो । लेकिन उनका राजनीतिक रुतबा किसी भी कैबिनेट और राज्यमंत्री से कम नहीं होगा और यही उनका सबसे बड़ा मान सम्मान हुआ, भले ही वे किसी अधिकारी को सीधे तौर पर अपना आदेश नहीं दे सकेंगे । लेकिन उनके आदेश की अवहेलना भी कोई अधिकारी करने की हिम्मत नहीं जुटा पाएगा। क्योंकि वे मुख्यमंत्री के सलाहकार है। मंत्रियों और विधायकों को भी वे अपनी बात तो कम से कम सीधे तौर पर मनवा ही सकेंगे ,क्योंकि इतना सा सम्मान तो मंत्री भी मुख्यमंत्री के राजनीतिक सलाहकारों को करेंगे ही।

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