जयपुर। राज्यसभा चुनावों के दौरान एक चर्चा सोशल मीडिया और मीडिया जगत के दिग्गजों की जूबान पर अक्सर सुनी जा रही थी। जो लगातार सुभाष चंद्रा के चुनाव मैदान में कूदने से लेकर मतदान के दिन तक ये राग अलाप रहे कि इन चुनावों में असली खेल वे विधायक करेंगे जिन्होंने अमित शाह से पैसा लिया था। सरकार गिराने के समय लिया हुआ पैसा अब राज्यसभा चुनावों के दौरान वे वोट डालकर चुकाएंगे। हालांकि कांग्रेस विधायक गुटबाजी छोड़कर पहले दिन से ही एकजूट नजर आए।

चर्चाओं का रहा बाजार गर्म

बड़े – बड़े धुरंधर इस बात को लेकर कयासबाजी लगाते रहे और सुभाष चंद्रा को असंतोष , बगावती , पैसों के आधार पर तथा कथित खऱीदे गए वोटों के आधार बिके विधायकों के वोटों के आधार चुनाव जीताते रहे। ये ही नहीं कुछ पत्रकारों ने तो विधानसभा और लोकसभा चुनावों की तरह इस तरह की बयानबाजी कर लोगों के मूंह में ये शब्द भी घूसड़ने की कोशिश की। जबकि उन्हें पता था कि दाल गलने वाली नहीं है। लेकिन वे इस बात को फैलाते रहे कि जिन विधायकों ने सरकार गिराने के दौरान अमित शाह से पैसा लिया था उन्होंने अमित शाह को इऩ विधानसभा चुनावों में साथ देने का वादा किया है। इसलिए यहां कांग्रेस के प्रमोद तिवारी फैल होंगे भाजपा समर्थित निर्दलीय सुभाष चंदा यहां से आसानी से चुनाव जीत सकेंगे। लेकिन चुनाव नतीजों ने सारे समीकरणों की हवा निकाल दी।

आखिर वे कौन से विधायक थे जिन्होंने सुभाष चंद्रा को फोन किए

चर्चा ये भी है कि आखिर वे कौन- कौन से विधायक है जिन्होंने सुभाष चंद्रा को फोन कर कहा कि इस बार आपका साथ नहीं दे सकते। पार्टी का कमिटमेंट निभाना पड़ेगा। लोगों में चर्चा इस बात को लेकर हो रही है कि सुभाष चंद्रा ने दिल्ली लौटने से पूर्व कहा था कि कई विधायकों ने फोन कर उनसे माफी मांगी है। इस बार हम आपका साथ नहीं दे सके।

सुभाष चंद्रा ने बाते बहुत की पैसा नहीं फैंका

निर्दलीय सुभाष चंद्रा ने बातें तो खूब की लेकिन निर्दलीयों विधायकों की तरफ भी पैसा नहीं फैंका। वो सिर्फ बातें करते रहे। जिन लोगों को जिम्मा मिला था । वे लोग विधायकों के नाम पर लास्ट तक सुभाष चंद्रा के खिलाफ काम करते रहे।

खुफिया तंत्र ने उड़ाई नींद

खुफिया तंत्र के लोगों ने भी मीडिया संस्थानों और लोगों की कयासबाजी के आधार पर अपने आकाओं को भी लास्ट तक ये रिपोर्ट दी की जिन विधायकों ने एडवांस में पैसा ले रखा है वे आखिर में अपना कर्ज चुकाएंगे। भले ही वे मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के साथ रहे, या फिर सचिन पायलट के साथ दिख रहे हो। इन पैसे लेने वाले विधायकों ने 6 महीने पहले अमित शाह से मिटिंग कर उन्हें भरोसा दिलाया था कि पैसे तो खर्च हो गए लेकिन उन पैसों का कर्ज वे राज्यसभा चुनावों में उतारेंगे। इसलिए इस तरह की कयासबाजी लास्ट तक देखी गई। लेकिन ये सिर्फ खुफिया तंत्र से जुड़े लोगों की कयासबाजी थी। अपनी एनर्जी को खत्म करने के समान थी। हालांकि कई बार खुफिया तंत्र की अफवाहें भी सामने वाले को सतर्क कर देती है।

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