नई दिल्ली। राष्ट्रपति चुनाव के नतीजे भले ही 21 जुलाई को आएंगे लेकिन आज मतदान के रुझान से साफ हो गई। राष्ट्रपति चुनाव में एनडीए उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू की जीत लगभग निश्चित है। एनडीए की नाकेबंदी और चुनाव लड़ने की रणनीति ने द्रौपदी मुर्मू के पक्ष में उन नेताओं को खड़ा कर दिया जो शुरुआती दौर में भाजपा का विरोध कर रहे थे या भाजपा उम्मीदवार का विरोध करते । जिसके चलते इस बार राष्ट्रपति चुनाव टिफिक्कल नजर आ रहा था और यह माना जा रहा था कि राष्ट्रपति चुनाव में बीजेपी को मुंह की खानी पड़ सकती है। लेकिन भाजपा की रणनीति का ही परिणाम है कि उन्होंने पहली बार देश में एक आदिवासी महिला को राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार घोषित कर दिया । द्रौपदी मुर्मू के समर्थन में झारखंड मुक्ति मोर्चा शिवसेना ,बहुजन समाज पार्टी, सपा के कई नेता सहित कई पार्टियां खुलकर मैदान में आ गई। इन पार्टियों ने भले ही भारतीय जनता पार्टी का विरोध किया हो लेकिन द्रौपदी मुर्मू के समर्थन में खुलकर मतदान की अपील की है। उनमें उड़ीसा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक, बिहार के मुख्यमंत्री नितीश बाबू झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन, बहुजन समाज पार्टी की राष्ट्रीय अध्यक्ष कुमारी मायावती ,समेत कई नेता ऐसे हैं जो भाजपा का विरोध कर रहे हैं । लेकिन आदिवासी और महिला होने के कारण द्रौपदी मुर्मू का समर्थन कर रहे हैं। वोटों का प्रतिशत में देखा जाए तो लगभग 61 फीसदी वोट द्रौपदी मुर्मू को पड़ने जा रहे हैं। विपक्षी पार्टियों के उम्मीदवार यशवंत सिन्हा के पक्ष मे वोटिंग हो रही है। ऐसे में माना जा रहा है द्रौपदी मुर्मू का देश का अगला राष्ट्रपति बनना लगभग तय है । यह 21 जुलाई को तय हो जाएगा। विपक्षी पार्टी के उम्मीदवार यशवंत सिन्हा को हार का सामना करना पड़ेगा। वहीं 25 जुलाई को द्रोपदी मुर्मू राष्ट्रपति के सर्वोच्च पद पर शपथ लेने वाली पहली आदिवासी महिला होगी।

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