बच्चों में बच्चे बने गहलोत

गहलोत और पत्नी सुनीता ने निभाई अभिभावक की भूमिका अभिभावक

बच्चों को अपने हाथों से खिलाया खाना, बच्चों में बच्चे बने गहलोत

जयपुर । कॉविड काल के दौरान अनाथ हुए बच्चों के संग मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और उनकी धर्मपत्नी अभिभावक की भूमिका में नजर आए। मुख्यमंत्री गहलोत ने खुद अपने हाथों से बच्चों को भोजन कराया। सुनीता गहलोत बच्चों को लाड प्यार और दुलार कर रही थी। उन्होंने भी अपने हाथों से बच्चों को खाना खिलाया । जिन बच्चों के महामारी के दौरान सर से माता पिता का साया उठ जाए और उस प्रदेश का मुख्यमंत्री खुद बच्चों का अभिभावक होने का फर्ज निभाएं तो यह समाज को प्रेरणा देने वाली ही बात है।

इस तरह मुख्यमंत्री का प्यार, स्नेह और आशीर्वाद देखकर यूं लगा जैसे बच्चे अपने अभिभावक की शरण में आ गये हों। गहलोत ने बच्चों के साथ गेम खेला, उनकी मनपसंद की चीजें ओर खिलौने दिए । पटाखे भी दिए और पटाखे फोड़ने के लिए बंदूक भी दी। कुल मिलाकर बच्चों के साथ यह अपने आप में एक बहुत ही उम्दा कार्यक्रम रहा । जिसमें उन्होंने अपने अभिभावक होने का फर्ज अदा किया ।

प्रदेश के करीब 200 बच्चे एवं अभिभावक भी मुख्यमंत्री आवास पर पहुंचे मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार कोविड-19 बच्चों की सार संभाल की पूरी प्रतिबद्धता के साथ निभा रही है। उन्होंने बच्चों के सपने देखने, उन्हें पूरा करने के लिए खूब पढ़ाई करने और मेहनत करने के लिए प्रेरित भी किया । उन्होंने कहा कि राज्य सरकार हर घड़ी में आपके साथ खड़ी है। सभी के जीवन में परेशानियां आती रहती है। सुख दख का चक्र भी चलता रहता है और हमें अपने लक्ष्य को पूरा करने के लिए अथक प्रयास करने होंगे। गहलोत ने बच्चों के साथ भोजन भी किया । बच्चों को अपने हाथों से भोजन भी कराया और उन्हें उपहार भी भेंट किए।

गहलोत में बच्चों से संवाद भी किया

टोंक से आए सोनू बैरवा ने बताया कि वह प्रथम वर्ष के छात्र हैं और फौजी बनना चाहता हुं। अधिकारियों द्वारा जब मुझे बताया गया कि आपने मुख्यमंत्री निवास पर दीपावली पर्व के लिए आमंत्रण भेजा है तो मेरी खुशी का ठिकाना नहीं रहा । आपके द्वारा चलाई जा रही योजनाओं की जानकारी मुझे सोशल मीडिया द्वारा मिलती रहती है। आपसे मिलकर बहुत खुशी हुई। आपके द्वारा दी गई सहायता और संभल ने हमारा जीवन संवार दिया। आपका आशीर्वाद मिलता रहे।

अलवर से प्रिया और पायल ने भी की मुलाकात

मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से मिलकर अलवर की पायल और प्रिया भी बहुत खुश थी। दोनों ने कहा कि आपने हमारी कठिन परिस्थितियों को समझकर जो सहायता दी हमारा सपोर्ट किया उसके लिए आपका लाख-लाख शुक्रिया है । मम्मी पापा के जाने के बाद हम अकेले हों गए थे लेकिन हमें गवर्नमेंट ने सपोर्ट किया ,हमें जीने की राह दिखाई, हमारी शिक्षा का खर्च उठा कर आगे बढ़ने के लिए प्रोत्साहित किया। इसके लिए हम आपका तहे दिल से आभार व्यक्त करते हैं। सरकार द्वारा ₹100000 की तत्काल सहायता समय पर मिल गई । उस समय पहले 18 वर्ष की आयु पूरी होने पर ₹500000 की सहायता भी मिल गई है उनसे हमारा जीवन सही तरीके से हो सकेगा और हम पढ़ लिख कर योग्य बन सकेंगे।

डूंगरपुर से दिव्यांशी

डूंगरपुर से आई दिव्यांशी ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत सरकार की योजनाओं की तारीफ की। दिव्यांशी बोली मुझे आगे भी आपकी तरफ से सहायता मिलती रहेगी तो हम किसी से पीछे नहीं रहेंगे। इसी तरह से पाली से जया राठौर कोटा से महावीर सिंह भीलवाड़ा से साहिबा, आशीष साहू युक्ति शर्मा ने भी मुख्यमंत्री के समक्ष अपने अनुभव साझा किए। इस मौके पर बच्चों के लिए संगीत ,डांस ,बैंड बाजा, मैजिक शो ,सहित कई कार्यक्रमों का आयोजन किया गया। मुख्यमंत्री खुद भी बच्चों के साथ इन सब खेलों का और मनोरंजन का आनंद लिया

आपको बता दें कि राज्य सरकार ने गोविंद काल में कोविड-19 काल में अनाथ हुए बच्चों विधवाओं एवं उनके बच्चों को आर्थिक सामाजिक एवं शैक्षणिक संभल प्राप्त करने की प्रदान करने के लिए कई योजनाएं चलाई है। जिसका लाभ इन परिवारों को बच्चों को मिलता है । इस योजना के तहत बालक बालिका को तत्कालिक सहायता के रूप में ₹100000 18 वर्ष की आयु होने पर ₹500000 की राशि मिलती है। इस योजना के अंतर्गत विधवाओं को ₹100000 पेंशन दी जा रही है। बच्चों को 18 वर्ष की आयु पूरी होने जा रहे हैं । इस मौके पर शिक्षा मंत्री बीडी कल्ला ,यूडीएच मंत्री शांति धारीवाल, चिकित्सा मंत्री परसादी लाल मीणा ,जलदाय मंत्री महेश जोशी ,पीडब्ल्यूडी मंत्री भजन लाल जाटव, महिला एवं बाल विकास मंत्री ममता भूपेश, सामाजिक एवं न्याय एवं अधिकारिता मंत्री टीकाराम जूली ,गृह राज्य मंत्री राजेंद्र सिंह यादव, तकनीकी शिक्षा मंत्री सुभाष चंद्र गर्ग सहित कई विधायक और जनप्रतिनिधि मौजूद थे।

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