जयपुऱ। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत जयपुर को वर्ल्ड सिटी बनाने के प्रयास में लगे हुए है। वहीं यूनिस्कों भी दिन रात जयपुर को विश्व धरोहर की शामिल करने के लिए जयपुर का कायाकल्प में जुटा है। करोड़ों रुपये का बजट भी इसमें स्मार्ट सिटी के नाम पर खर्च हो चुका है। लेकिन मुख्यमंत्री के प्रयासों को पलीता लगाने का काम जेडीए और नगर निगम की विजिलेंस टीमेंं ही कर रही है।

विजिलेंस टीम का काम सिर्फ उगाई करना

दरअसल जयपुर विकास प्राधिकरण और नगर निगम हैरिटेज और ग्रेटर दोनों की विजिलेंस टीमों का काम ही शहर को अतिक्रमण मुक्त करना है। जहां पर सरकारी जमीनों पर कब्जों को हटाना है। या फिर सरकार के नियमों के विरुद्द कोई भी निर्माण कार्य हो उसे तोड़ना है। लेकिन बताया जा रहा है कि जेडीए की विजिलेंस टीम हो या फिर नगर- निगम ग्रेटर और हैरिटेज की विजिलेंस टीमें ये अतिक्रमण की शिकायत मिलने पर उन्हें हटाने की बजाए, उन्हें रिश्वत खाकर उऩ्हें बढ़ावा देने का कार्य कर रही है। जिससे शहर लगातार अतिक्रमणों की भेंट चढ़ता जा रहा है। शहर में सरकारी जमीनें हो या सरकारी इमारतें सब अतिक्रमण की चपेट में है। यहां तक की जयपुर का परकोटा भी सुरक्षित नहीं बचा है। आज परकोटे के ऊपर और दोनों दिशाओं ने अतिक्रमणकारियों के कब्जे हो गए है।

अतिक्रमियों के हौसले बुलंद

अतिक्रमणकारियों के हौंसले इतने बुलंद है कि वे कहीं भी कब्जे कर रहे है। परकोटे में सरकार की रोक के बावजूद प्राचीन हवेलियां को तोड़कर उनके स्थान पर बड़े – बड़े कॅाम्पलेक्स खड़े हो रहे है। लेकिन कोई रोकने वाला नहीं है। आखिरकार लगातार बढ़ते अतिक्रमण के चलते कब सरकार इन पर शिकंजा कसेगी।

शहर में बढ़ रहे है अतिक्रमण के मामले

शहर में जगह- जगह अतिक्रमण के मामले लगातार बढ़ते जा रहे है लेकिन कोई ध्यान देने वाले नहीं है। विजिलेंस टीम के सदस्य खुद घूम- घूम कर पैसा वसूली करते है। फिर अतिक्रमणकारियों को अतिक्रमण करने की छूट देते हैं। जयपुर में कहावत है पैसा फैंकों और बीच सड़क पर कब्जा कर लो कोई रोकने वाला नहीं है। शहर में परकोटा और परकोटे के बाहरी इलाकों में सड़कों के किनारे और सड़क के बीचों- बीच धार्मिक स्थलों के नाम पर भी लगातार कब्जे हो रहे है। यहां तक की लोगों ने वन विभाग और मंदिरों , मस्जिदों और कब्रस्तिान की जमीनों तक पर कब्जे कर लिये लेकिन विजिलेंस टीम ने कोई कार्रवाई नहीं की। यहां तक की बाजारों में भी और कॅालोनियों में बगैर सैटबैक छोड़े निर्माण हो रहे है। पड़ौसी शिकायत करे तो सबसे पहले शिकायतकर्ता को धमकाया जाता है। सैटबैक तोड़ा नहीं जाता।

अधिकारियों की मिलीभगत

अधिकारियों की मिलीभगत ऐसी है कि शहर में अतिक्रमणों की बाढ़ सी आ गई है। लोग दिन दहाड़े अतिक्रमण कर रहे है। रास्तों , चौराहों, कॅालोनियों , अस्पताल, स्कूल परिसर के आस- पास कोई हटाने वाला नहीं है। अब तो लोगों ने नालियों तक पर कब्जे कर लिए। लेकिन शिकायतों के बावजूद विजिलेंस टीमें इन पर कार्रवाई नहीं करती। ऐसे में मुख्यमंत्री गहलोत का सपना कैसेे साकार होगा। कैसे बनेगा जयपुर शहर वलर्ड सिटी समझ से परे है।

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