गंगापुरसिटी। जिले की रामनगर दोषी गांव में एक बोरवेल में गिरी महिला मोना (बाई) बैरवा(25 साल) का शव 6 दिन लगातार चले रेस्क्यू के बाद निकाल लिया गया । शव को निकालने में एनडीआरएफ और एसटीआरएफ की टीम ने पुलिस प्रशासन के सहयोग से लगातार ऑपरेशन चलाया और उसके बाद महिला का शव निकाला गया । हालांकि महिला बोरवेल में कैसे गिरी? उसकी मृत्यु कैसे हुई ?इसका अभी तक कोई सबूत नहीं मिल पाया है और ना ही कोई जवाब मिल सका। महिला के परिजनों की ओर से भी किसी तरह का मुकदमा नहीं कराया गया है । लेकिन शक की सुई इसलिए घुम रही है, क्योंकि महिला का शव बोरवेल में मिला है और उसकी दोनों चप्पल बोरवेल से दूर पड़ी मिली थी । जाहिर सी बात है कि यदि यह महिला के साथ हादसा होता तो चपल भी महिला के साथ बोरवेल में ही होती । इससे साफ है कि महिला ने या तो आत्महत्या की है या फिर महिला के साथ दुष्कर्म की घटना के बाद उसे बोरवेल में धक्का देकर मारा गया है । हकीकत क्या है यह पुलिस जांच और पोस्टमार्टम रिपोर्ट के बाद ही साफ हो सकेगा कि आखिरकार इस महिला के साथ हुआ क्या यह बोरवेल में गिरी तो कैसे गिरी क्योंकि बोरवेल इनका खुद का ही खुलवाया हुआ था जिसमें पानी नहीं निकलने के कारण उसे ढक दिया गया था ऐसी स्थिति में भी महिला का उसमें गिरना संभव नहीं लगता कि महिला विवाहित और समझदार थी ऐसे में वह बोरवेल में गिरने के लिए जानबूझकर तो नहीं गई होगी लेकिन अभी जांच का विषय है लेकिन क्या पुलिस स्टेशन में जांच करेगी यह आने वाला समय बताएगा। टीआरएफ टीम को सब निकालने में कई परेशानियों का सामना करना पड़ा बताया जा रहा है कि बोरवेल में पानी भरने के कारण मशीन में काम नहीं कर रही थी ऑक्सीजन लेवल कम हो गया था 7 दिन से परेशान से बदबू भी आ रही थी इसके बावजूद टीम लगातार काम करती रही टीम के मेंबर इकबाल खान की उत्सव को निकालने में खास भूमिका रही अंतिम चरण में खुदाई से लेकर बॉडी को निकलने तक ऑपरेशन इकबाल खान नहीं पूरा किया। बताया की मां बोरवेल से 5 फीट की दूरी पर दूसरा बोरवेल 100 फीट गहरा बनाया गया इसके जरिए बड़े-बड़े पाइपों को अंदर डाला गया इन्हीं पाइपों के जरिए उतरकर टीम ने आदि खुदाई की उन्होंने में बोरवेल से 3 फीट चौड़े बोरवेल तक सुरंग बनाई थी उसका में बॉलर से शराब नहीं जुड़ सकता दोबारा से सही लाइन में बिठाकर खोजा गया मां बोरवेल से जैसे ही सूरत का पेंशन मिल तो बड़े बोरवेल में पानी आने लगा क्योंकि एनडीआरएफ की टीम में बोरवेल के अंदर ड्रिल मशीन चलाई जिसके चलते पानी और कीचड़ हो गया सुरेश बैरवा ने ही बोरवेल बनवाया था उसने पानी नहीं निकला था लेकिन पत्नी मोना के गिरने के बाद उसमें पानी निकलने लगा बोरवेल में काफी पानी भरा हुआ था जब दूसरा तो अपनी धीरे-धीरे लग गय
हालांकी दूसरे बोरवेल के चारों ओर लोहे के बड़े पाइपों को डाला गया था वही पाइपों के अंदर ही काम चल रहा था । बोरवेल के अंदर पानी आने लगा तो सभी घबरा गए ।खड़े रहकर ही काम करना पड़ रहा था पानी और कीचड़ के कारण मशीन भी नहीं चल पाई।
मोना की मौत का रहस्य भी गहरा है ?
मोना और मोनिका पत्नी सुरेश बैरवा मै आत्महत्या की या फिर उसकी हत्या की गई यह खुलासा नहीं हुआ है लेकिन माना की शादी 3 साल पहले सुरेश पुत्र हजारीलाल से हुई थी। सुरेश का परिवार पहले बामनवास तहसील के रहने लगा में रहता था। उसके पिता हजारीलाल ने 2001 में करीब 5 बीघा जमीन रामनगर दोषी के बेरवा थाने में खरीदी थी तब से पूरा परिवार यही रहने लग गय उनके अन्य परिवार गांव में ही रहता है सुरेश चार भाइयों में सबसे छोटा है पिता की सड़क हादसे में मौत हो चुकी है सुरेश ने बताया कि वह दो भाइयों अशोक और विनोद के साथ दिल्ली में रहता है और दिल्ली में प्लंबर का काम करता था पत्नी मोना भी उसके साथ दिल्ली किराए कमरे बहती है उसकी पत्नी का हाल ही में ऑपरेशन हुआ था उसकी तबीयत ठीक नहीं थी इसी वजह से सुरेश पत्नी मोना को भी 15 दिन पहले गांव में देखभाल के लिए लेकर आया था ।तब से मोना गांव में थी और सुरेश वापस दिल्ली लौटकर चला गया था। मंगलवार को ही दिल्ली से आया था तब उसकी पत्नी उसे घर पर नहीं मिली । इसी बीच हादसे की खबर मिली। जब सुरेश ने अपने परिजनों को पत्नी मोना के बारे में पूछा तो उन्होंने कहा की सोच के ले गई होगी घंटे दो घंटे इंतजार करने के बाद भी जब मना घर पर नहीं पहुंची तो सभी की टेंशन बढ़ गई और सुरेश ने भी पत्नी को ढूंढने की कोशिश की लेकिन रात हो गई और रात में पत्नी का पता नहीं लग सकता सुबह होते ही पूरा परिवार वापस मोना को ढूंढने लगा तब मोना की चपले बोरवेल के पास में खुली भी मिली इस पर जब बोरवेल में झांक कर देखा गया और मोबाइल की टॉर्च से उजाला किया गया तो लुगड़ी नजर आई इस पर उन्हें लगा कि होना हो मोना बोरवेल में गिर गई इसके बाद पूरे मामले की जानकारी एसडीएम को दी गई पुलिस को दी गई इसके बाद पूरे परिवार में चीख पुकार मच गई और सब लोग मोना को बोरवेल से निकलने में जुट गए लेकिन माना आखिरकार बोरवेल में कैसे गिरी किसी ने गिराया या उसकी हत्या की गई या सुरेश के आने से पहले ही मोना को बोरवेल में फेंक दिया गया तमाम जांच का विषय है और जब तक इस मामले की जांच नहीं हो तब तक माना की मौत का खुलासा नहीं हो सकता है हो सकता है बोना की मौत में परिवार के ही किसी सदस्य का हाथ हो या फिर आज पड़ोस में दूसरे किसी व्यक्ति का हाथ हो जिसकी नजर मना कर रही हो और उसने इन 15 दिनों के दौरान मोना से नजदीकी बढ़ाने की कोशिश की हो या फिर बुरी नजर रखता हो या फिर उसके साथ गलत काम करने का प्रयास किया हो या फिर गलत काम कर दिया हो लेकिन मामले का खुलासा होने से बचने के लिए या महिला ने विरोध किया हो तो उसे ठिकाने लगाने के लिए बोरवेल में धक्का दे दिया हो तमाम तरह के सवाल लोगों के छह लौट रहे हैं और इस तरह के सवाल वहां जब ब्रेस्ट क्यों का काम चल रहा था तब भी लोग रह कर पूछ रहे थे कि आखिरकार मोना बोरवेल में स्वयं तो नहीं गिरी क्योंकि जिस तरह से उसकी छापने बोरवेल के पास खुली पड़ी थी और मोना का सब प्रॉब्लम में था जाहिर सी बात है कि कोई भी समझदार व्यक्ति जानबूझकर बोरवेल में तो नहीं खुलेगा इससे साफ है कि कहीं कहीं मोना के साथ जरूर हुई है और इसका खुलासा पुलिस जांच और पोस्टमार्टम रिपोर्ट के बाद ही हो सकेगा ।