जयपुर में गली -मोहल्लों में धड़ल्ले से चल रहे है हुक्काबार, पुलिस की मिली भगत से फल- फूल रहा है हुक्काबार का कारोबार कॅॅालेज गोइंग बच्चे बन रहे हैं नशे के आदी

पुलिस बरते हुक्काबार के कारोबारियों पर सख्ती

जयपुर। गुलाबी नगर में इन दिनों गुलाबी सर्दी के साथ- साथ अवैध हुक्का बार का कारोबार चल निकला है। हुक्का बार पर समय – समय पर कार्रवाई भी होती है। लेकिन ज्यादा जुर्माने का प्रावधान नहीं होने से  इस कारोबार में बड़ी संख्या में लोग काम कर रहे है। जयपुर के  वैशाली नगर, झोटवाड़ा,  शास्त्रीनगर, राजापार्क, सिंधी कॅालोनी, जवाहर नगर, परकोटा, मालवीय नगर, सिविल लाइंन, सी- स्कीम, मानसरोवर, पीएनआर, प्रताप नगर, सांगानेर सहित ऐसा कोई इलाका नहीं बचा जहां पर हुक्का बार की बाहर नहीं हो।  हर छोटी- बड़ी कॅालोनी में हुक्का बार का संचालन हो रहा है। आज कल तो लोगों ने रेस्टोरेंट पर भी इसे रखना शुरु कर दिया है। जब बहुत ज्यादा शिकायत होती है तो पुलिस छापा मारकर दो – चार हुक्के जब्त कर लेती है। चलाने वाले की हाथों- हाथ जमानत हो जाती है। इसलिए हुक्का बार का चलन बढ़ता जा रहा है. इसमें अनेक फ्लैवर में नशा मिलता है। जिसके चलते युवक – युवतियां हुक्का बार में नशा करके मस्ती करते है। सबसे खास बात है कि हुक्के में  सेवन करने के बाद किसी तरह   की स्मैल नहीं आती है। इसलिए युवक- युवतियां हुक्के का नशा करने के बाद आराम से घर या यार- दोस्तों में भी चले जाते है। लेकिन कोई पहचान नहीं पाता। जब तक की अधिक मात्रा में हुक्के का सेवन नहीं किया जाता। अधिक मात्रा में हुक्के का सेवन नहीं किया जाता तब तक कोई पहचान नहीं सकता है। हां रेस्टोरेंट में जरुर युवाओं पर इसका सरुर  चढ़ता है तो वो सिर चढ़कर बोलता है। सबसे खास बात है कि हुक्का बार वाले इसकी कीमत भी मनमर्जी से वसूल करते है।  मोटा मुनाफा कमाकर युवा वर्ग को नशे की ओर धकेल रहे है।  हुक्का बार के कारण आस- पास का माहौल भी खराब हो रहा है। लेकिन लोगों की शिकायत का भी इन पर कोई असर नहीं पड़ता है। कारण साफ है क्योंकि  स्थानीय पुलिस प्रशासन की  मिली भगत के बगैर कोई लाखों रुपये खर्च करके इस तरह का गैर कानूनी धंधा नहीं करता है। लेकिन अब हुक्का बार के धंधे में बड़ेृ बड़े पैसे वालों के बच्चे उतर गए है। अब  स्कूल गोइंग बच्चे  इनके सबसे ज्यादा ग्राहक है। जिन्हें 11 वीं और 12 वीं कक्षा के बाद ही  इस तरह के नए – नए शौक लग जाते है। हालांकि इनमें से बच्चे अपना भला- बुरा नहीं पहचान पाते और इनके चुंगल फंस जाते है। बच्चे देखा- देखी के चक्कर में ही हुक्का बार के चुंगल में फंस रहे है। इसके बाद युवा वर्ग  में कॅालेज गोइंग बच्चों की सबसे पहली च्वाइस बन रहा है हुक्का बार। चमचमाते हुक्के में जान लेवा फ्लैवर का नशा देखने में अच्छा लगता है लेकिन फिल्मों की तरह दो कश लगाने के बाद जो युवा इसकी गिरफ्त में आता है तो फिर अपने दूसरे साथियों को भी इसमें धकेल देता है। इसलिए हुक्का बार के भी ग्राहक लगातार बढ़ते जा रहे है। लेकिन पुलिस को जयपुर के आस- पास की कॅालोनियों में बढ़ रहे इस अवैध धंधे पर लगाम लगानी होगी। जिस तरह की सख्त कार्रवाई इनके खिलाफ होनी चाहिए वो नहीं होने से इस कारोबार में उतरे लोग मजे कर हमारी युवा पीढ़ी को नशे में धकेल रहे है। जो सरासर गलत है। पैसों के लालच में गुलाबी नगर को नहीं बनाएं उड़ता जयपुर! 

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