जयपुर। भाजपा राजस्थान में ब्राह्मण  को मुख्यमंत्री के तौर पर आगे करना चाहती है। लेकिन रिस्क कैसे ले ये समझ से परे हैं। यही कारण है कि भाजपा राजस्थान में विधानसभा चुनाव किसी भी स्थानीय नेता के चेहरे पर नहीं लड़कर पीएम मोदी के चेहरे पर लड़ेगी। माना जा रहा है कि देश में जिन प्रदेशों में भाजपा की सरकारें है किसी में भी ब्राह्मण  मुख्यमंत्री नहीं है। जबकि ब्राह्मण  आज की तारीख में सबसे ज्यादा बीजेपी के कट्टर समर्थक माने जाते है। यहां तक की ब्राह्मणों की आबादी सबसे ज्यादा यूपी में है वहां भी ब्राह्मण  सीएम नहीं है। जिसके चलते आए दिन सीएम योगी का भी ब्राह्मण  समाज कई बार विरोध कर चुका है। लेकिन मामला संघ और समाज का है तो ये विरोध ज्यादा मुखर नहीं होता।

ब्राह्मण समाज भाजपा का प्रमुख वोट

राजस्थान में ही नहीं देश में ब्राह्मण  समाज को भाजपा का प्रमुख वोट बैंक माना जाता है। यहां तक की संघ में भी सबसे ज्यादा संख्या ब्राह्मण  समाज की है। लेकिन न तो देश का पीएम ब्राह्मण  है और न- ही- किसी प्रदेश का सीएम ब्राह्मण  है । इसलिए ये बात ब्राह्मण  समाज के मंच पर पूरे देश में उठने लगी है कि जब समाज की जड़े भाजपा से जुड़ी हुई तो फिर क्यों नहीं उसे उसकी सत्ता में भागीदारी दी जाए। धीरे- धीरे अब ब्राह्मण  समाज खुले मंच से भाजपा नेताओं से सवाल भी पूछने लगा है। आखिर माजरा क्या है कि ब्राह्मण  समाज की इतनी उपेक्षा क्यों। राजस्थान में भी ब्राह्मण  समाज बड़ी संख्या में है। भाजपा विचारधारा का ही समर्थक माना जाता है। इसके बावजूद लंबे समय तक ब्राह्मण  समाज का प्रतिनिधित्व नाम मात्र का था। यहां तक महेश शर्मा के बाद किसी को भाजपा का प्रदेश अध्यक्ष तक नहीं बनाया गया। इसलिए धीरे- धीरे ब्राह्मण  समाज में ये मांग उठने लगी की क्या भाजपा ने ब्राह्मण  समाज को सिर्फ वोट बैॆंक समझ लिया। इसलिए अब, जब कांग्रेस राज में राजस्थान में ब्राह्मण  समाज को देने के नाम पर भरपुर दिया जा रहा है। सीपी जोशी, विधानसभा अध्यक्ष , बीडी कल्ला शिक्षा मंत्री, महेश जोशी जलदाय मंत्री, बृजकिशोर शर्मा खादी बोर्ड के अध्यक्ष, महेश शर्मा विप्र बोर्ड के अध्यक्ष, इसके अलावा भी कई बोर्ड, आयोगों में चेयरमैन और सदस्य ब्राह्मण  समाज से है। इसलिए भाजपा से तो समाज की उम्मीद कई गुना बढ़ जाती है। इसलिए आजकल सोशल मीडिया में ब्राह्मण  समाज के कई संगठन खुलकर ये मांग करने लगे हैं। इसलिए माना जा रहा है कि राजस्थान में वर्तमान में 17 ब्राह्मण  विधायक कांग्रेस – भाजपा और अन्य पार्टियों के दो सांसद है। इसलिए ब्राह्मण  समाज भाजपा से मुख्यमंत्री पद की मांग कर रहे हे। क्योंकि अब तक राजस्थान के हीरा लाल शास्त्री, जयनारायण व्यास, टीकाराम पालीवाल और हरिदेव जोशी मुख्यमंत्री रह चुके हैं। ये सभी चारों ब्राह्मण  मुख्यमंत्री कांग्रेस पार्टी के राज में ही रहे। भाजपा में आज किसी भी ब्राह्मण  को मुख्यमंत्री नहीं बनाया गया। इसलिए भी ब्राह्मण  समाज ये मांग उठाने लगा है।

उत्तर प्रदेश- सीएम योगी आदित्यनाथ सिंह यहां मुख्यमंत्री राजपूत समाज से है।

उत्तराखंड- पुष्कर सिंह धामी- रावत- राजपूत समाज

हरियाणा- मनोहर लाल खट्टर- पंजाबी- अरोड़ा

गुजरात – भूपेंद्र भाई पटेल- ओबीसी

असम- विश्वजीत दैमारी

गोवा- प्रमोद सांवत

मेघालय – कॅानराड संगमा- आदिवासी

मध्यप्रदेश- शिवराज सिंह चौहान- धाकड़

इनमें से एक भी मुख्यमंत्री ब्राह्मण  नहीं है। ऐसे में ब्राह्मण  समाज का मुख्यमंत्री नहीं है। इसलिए माना जा रहा है कि भाजपा राजस्थान में केंद्रीय मंत्री अश्वनी वैष्णव, पार्टी के प्रदेशाध्यक्ष सीपी जोशी, अरुण चतुर्वदी, घनश्याम तिवाड़ी से भी कोई चेहरा हो सकता है। भाजपा इनके अलावा किसी नए चेहरे को भी अंतिम समय में मुख्यमंत्री के तौर पर उतार सकती है। लेकिन माना जा रहा है कि चुनावों से पूर्व किसी का भी नाम घोषित नहीं किया जाएगा। क्योंकि चुनावों से पूर्व भाजपा में मुख्यमंत्री पद के दावेदारों की सूची लंबी है। जिन्हें दरकिनार किया जाऩा संभव नही है। सबसे ज्यादा और प्रमुख नाम वसुंधरा राजे सिंधिया का जो दो बार मुख्यमंत्री रह चुकी है। इसके साथ ही केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत, नेता प्रतिपक्ष राजेंद्र सिंह राठौड़, राज्यवर्धन सिंह राठौड़, लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला के नाम प्रमुख है. जो राजस्थान में भाजपा की सरकार बनने पर मुख्यमंत्री की दौड़ में सबसे आगे है।

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