जयपुर । कांग्रेस पार्टी में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और सचिन पायलट की लड़ाई के बीच अब चर्चा इस बात की चल पड़ी है कि आखिरकार इन दोनों नेताओं की लड़ाई रोकने के बाद तीसरा ऐसा कौन सा नेता है जो कांग्रेस में मुख्यमंत्री हो सकता है। कुछ लोगों ने डॉक्टर सीपी जोशी का नाम बताया तो कुछ लोग रघु शर्मा नाम बता रहे हैं। वहीं हरीश चौधरी, तो कुछ लोगों का कहना है कि कांग्रेस पार्टी का जो मूल वोट बैंक है sc-st और अल्पसंख्यक उनमें से भी सबसे वरिष्ठ नेता रामनारायण मीणा ,परसादी लाल मीणा ,अशोक बैरवा , अमीन खान, मुख्यमंत्री पद के दावेदार क्यों नहीं हो सकते ? आखिरकार कांग्रेस पार्टी के साथ आज भी एससी एसटी के लोग जुड़े हुए हैं और कांग्रेस पार्टी को ही एससी, एसटी अल्पसंख्यक समुदाय के लोग वोट देते हैं ।राजस्थान में एक बार जरूर कुछ दिनों के लिए दलित वर्ग से जगन्नाथ पहाड़िया को बरख्तूलाह खान को राजस्थान का मुख्यमंत्री बनने का मौका मिला है। लेकिन आदिवासी समाज को आज तक एक बार भी राजस्थान में इस तरह का अवसर नहीं मिला है। एससी, एसटी वर्ग के लोगों का कहना है यदि कांग्रेस पार्टी को एससी एसटी के लोगों को साधना है और भविष्य में सरकार बनानी है क्यों नहीं इस वर्ग के किसी नेता को यह अवसर दिया जाए । जब इस विषय पर बातचीत की गई तो लोगों ने 5 बार के विधायक और एक बार कोटा से सांसद रहे रामनारायण मीणा का नाम सबसे उपयुक्त बताया। हालांकि परसादी लाल मीणा को भी इस पद के लिए फिर बताया गया। लेकिन परसादी लाल मीणा एक बार कांग्रेस पार्टी छोड़कर निर्दलीय विधायक रह चुके हैं । उनके नाम पर ज्यादा सहमति नहीं दिखी लेकिन अनुसूचित जाति , जनजाति वर्ग के लोगों का कहना है कि कांग्रेस पार्टी ने रामानारायण मीणा को हर बार सामान्य सीट से टिकट दिया । हर बार अलग-अलग सामान्य वर्ग की सीटों से ही विधायक चुने गए। कोटा ,बूंदी लोकसभा सीट जो बीजेपी का गढ़ है उन्हें वहां से भी टिकट दिया गया वहां से भी वह सांसद चुने गए। ऐसी स्थिति में सौम्य व्यवहार और राजनीति में पारंगत सभी लोगों को साथ लेकर चलने की क्षमता वाले रामनारायण मीणा के प्रति लोगों की सहानुभूति नज़र आई । हालांकि कांग्रेस पार्टी में इतने समय से विधायक और सांसद रहने के बावजूद भी कांग्रेस पार्टी ने उन्हें एक बार विधानसभा में उपाध्यक्ष जरूर बनाया था लेकिन उसके बाद आज तक उन्हें कभी मंत्री भी नहीं बनाया गया। जबकि उनके बाद पैदा हुए नेता कैबिनेट मंत्री है ।लोगों को लगता है कांग्रेस पार्टी की यही सबसे बड़ी गलती है । सचिन पायलट पहली बार विधायक का चुनाव लड़े और पहली बार ही उन्हें विधायक का चुनाव जीतने पर डिप्टी सीएम बनाया गया ।अब उन्हें सीएम बनाने बात तो थी चल निकली तो कांग्रेस पार्टी के ही अलग-अलग दलों से अलग अलग नाम निकल कर सामने आए इनमें जाट समाज से रिश्वत दी और गोविंद सिंह डोटासरा का नाम भी मुख्यमंत्री पद की दावेदारी में शामिल किया जा सकता है क्योंकि जाट समाज भी करीब 65 सीटों पर अपना रुतबा रखता है करीब 40 के विधायक जीते हैं ऐसी स्थिति में जाट समाज को भी कांग्रेस पार्टी दरकिनार नहीं कर सकती है माना जा रहा है कि कांग्रेस आलाकमान के सामने फिलहाल मुख्यमंत्री एक बड़ी चुनौती के रूप में देखा जा सकता है। इससे कहीं न कहीं असन्तोष भी बढ़ सकता है।