क्या भिड़ेंगे पुराने दिग्गज

चुनाव से पूर्व नजदीक आएंगे राजे विरोधी

राजेंद्र राठौड़, गुलाबचंद कटारिया बदलेंगें पाला

जयपुर । राजस्थान की राजनीति में वर्ष 2023 में घमासान होगा। भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस के बीच ही सीधा मुकाबला होगा। लेकिन बहुजन समाज पार्टी, आम आदमी पार्टी और हनुमान बेनीवाल बेनीवाल की राजद ,बिटीपी यहां कई सीटों पर बीजेपी ,कांग्रेस के समीकरण बिगाड़ने का काम करेगी। माना जा रहा है कि विधानसभा चुनाव में एक बार फिर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के बीच ही चुनावी मुकाबला होने जा रहा है।

गहलोत वर्सेज राजे

पिछले 20 सालों से राजस्थान की राजनीति मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और वसुंधरा राजे के बीच सिमटी हुई है। यहां एक बार गहलोत दूसरी बार वसुंधरा राजे मुख्यमंत्री बनते रहे हैं । एक बार कांग्रेस, एक बार भारतीय जनता पार्टी की सरकार रही है। ऐसे में अभी भी सूबे की जनता यह मान कर चल रही है कि राजस्थान में जो चुनाव होने वाले हैं वह मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और वसुंधरा राजे की बीच ही होने जा रहा है। कांग्रेस पार्टी और भारतीय जनता पार्टी इन दोनों नेताओं के नेतृत्व में ही चुनाव लड़ने जा रही है । हालांकि चुनाव से पूर्व इस बात की भी चर्चा जोरों पर है की राजस्थान में चुनाव से पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को हटाया जा सकता है और कमान सचिन पायलट को सौंपी जा सकती है। ऐसी स्थिति में भी बीजेपी सतीश पूनिया की बजाए वसुंधरा राजे पर ही दांव खेलेगी। लेकिन जिस तरह के बयान सामने आ रहे हैं उससे लगता है कि कांग्रेस पार्टी मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को बदलने का जोखिम नहीं उठाएगी और वर्ष 2023 के होने वाले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस से मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और भारतीय जनता पार्टी से पूर्व सीएम वसुंधरा राजे के नेतृत्व में दोनों पार्टियां आमने-सामने होंगी।

पायलट वर्सेज पूनियां

दूसरी और भारतीय जनता पार्टी का एक खेमा यह मानकर चल रहा है कि राजस्थान में विधानसभा चुनाव बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया के नेतृत्व में लड़ा जाएगा और भारतीय भारतीय जनता पार्टी का राष्ट्रीय नेतृत्व भी पूनिया के नेतृत्व में ही चुनाव लड़ने की तैयारी में है । संघ परिवार भी चाहता है कि सतीश पूनिया के नेतृत्व में ही चुनाव लड़ा जाए। राजस्थान में करीब 65 सीटें ऐसी हैं, जहां पर जाट समाज का बाहुल्य है और सतीश पूनिया खुद जाट समाज से आते हैं । अब तक जाट समाज का झुकाव कांग्रेस पार्टी की तरह रहा है।

ऐसे में माना जा रहा है कि यदि भारतीय जनता पार्टी सतीश पूनिया के नेतृत्व में चुनाव लड़ती है तो पहली बार जाट समाज के वोटों का झुकाव भाजपा की तरफ हो सकता है । इसके साथ ही वे साफ छवि के व्यक्ति हैं ।।सतीश पूनिया पर अभी तक किसी तरह के आरोप प्रत्यारोप नहीं है। क्योंकि वे किसी भी अभी संवैधानिक पद पर नहीं रहे हैं । ऐसी स्थिति में संघ परिवार का साथ और कुछ का जातीय समीकरण भी उनके पक्ष में लामबंद नजर आता है ।तो माना जा रहा है कि सतीश पूनिया के नेतृत्व में ही इस बार जनता पार्टी चुनाव लड़ेगी ।

लेकिन दूसरी ओर कांग्रेस पार्टी में भी एक धड़ा सचिन पायलट के नेतृत्व में चुनाव लड़ने की बात कह रहा है और लगातार जिस तरह से दिल्ली में इस बात पर मंथन चल रहा है । जाहिर सी बात है कि यदि किसी भी स्थिति में अशोक गहलोत बदला जाता है तो सचिन पायलट को ही सचिन पायलट गुर्जर समाज का वोट है वह एक साथ कांग्रेस के खेमे में जाता है इसलिए कुछ भी कहना चाहती है सेफ जोन में रहना चाहती है उनमें रहने के लिए सचिन पायलट की है लगातार माहौल भी बनाया जा रहा है कि सचिन पायलट के पक्ष में माहौल खड़ा किया जाए और सचिन पायलट के साथ दूसरे समाज भी जुटे हुए हैं जिससे उनकी सभाओं में उनके कार्यक्रमों में लोगों की भीड़ उमड़ती है उससे भी कांग्रेस पार्टी का राष्ट्रीय नेतृत्व यह चाहता है कि आने वाले चुनाव सचिन पायलट के नेतृत्व में लड़ा जाए हो सकता है रोचक मुकाबला होगा।

चुनाव से पूर्व राजे विरोधी बदलेंगे पाला

राजस्थान बीजेपी का एक धड़ा पहले दिन से ही सतीश पुनिया के खिलाफ काम कर रहा है और वसुंधरा राजे के समर्थकों ने कभी भी सतीश पूनिया को अपना नेता स्वीकार ही नहीं किया। पहले दिन से ही एक पैरलर टीम के सदस्यों के पूनियां के खिलाफ पूरे समय काम किया। इसके बावजूद भी कई ऐसे बड़े नेता जो वसुंधरा राजे के साथ रहे हैं। उन्होंने सतीश पूनिया का साथ दिया और वे अब भी सतीश पूनिया के साथ खड़े रहे । इनमें गुलाबचंद कटारिया ,राजेंद्र राठौड़ ,मदन दिलावर, वासुदेव देवनानी समेत कई प्रमुख नेता है ।माना जा रहा है कि चुनाव नजदीक आने के साथ ही इन नेताओं में से कुछ नेता वसुंधरा राजे के साथ जा सकते हैं ।हाल ही में राजेंद्र राठौड़ और गुलाबचंद कटारिया के बयानों ने साफ कर दिया कि उनको वसुंधरा राजे से किसी तरह का परहेज नहीं है। यानी कि यदि केंद्रीय बोर्ड चाहेगा सीएम वहीं बनेगा ऐसी स्थिति में माना जा रहा है कि राजेंद्र राठौड़ ,गुलाबचंद कटारिया एक बार फिर से वसुंधरा राजे के साथ जा सकते हैं।

बेनीवाल ,बसपा और बीटीपी बिगाड़ेगी की खेल

राजस्थान में हनुमान बेनीवाल की पार्टी राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी आदिवासियों की पार्टी बी टीवी बीटीपी और बहुजन समाज पार्टी राजस्थान कि कई सीटों पर कांग्रेस बीजेपी का खेल बिगाड़ सकती है। हनुमान बेनीवाल भी पिछले 5 साल से लगातार मेहनत कर रहे हैं ।वर्तमान में तीन विधायक और एक सांसद उनके मौजूद है ।लगातार लोगों के बीच जा रहे उपचुनाव में भी उनकी पार्टी ने अपनी उपस्थिति दर्ज कराई है । बहुजन समाज पार्टी से भी हर बार 6 विधायक विधानसभा पहुंचते हैं । हालांकि यह बात दूसरी है कि विधायक हमेशा पार्टी बदल कर पाला बदल लेते हैं ।लेकिन फिर भी बहुजन समाज पार्टी राजस्थान में 5 से 6 सीट के बीच में चुनाव जीत सकती है। करीब 10 सीटों पर समीकरण बिगाड़ सकती है। हनुमान बेनीवाल की पार्टी के विधायकों की संख्या बढ़ने वाली है। वर्तमान में 3 विधायक हैं । ऐसा माना कि डूंगरपुर बांसवाड़ा इलाके में बिटीपी का दायरा बढ़ सकता है।। आम आदमी पार्टी भी कांग्रेस और जनता पार्टी की सीटें घटा सकती है । आने वाले विधानसभा चुनाव रोचक होने वाले हैं।

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