कोटा । राजस्थान सरकार में यूडीएच मंत्री शांति धारीवाल अपने बड़बोलेपन के लिए जाने जाते हैं और इन दिनों तो वे पार्टी आलाकमान पर भी सवालिया निशान उठा रहे हैं । मामला कोटा का है जहां यूडीएच मंत्री शांति धारीवाल एक कार्यक्रम में मौजूद थे और मैंने इस दौरान कांग्रेस आलाकमान पर भी सवालिया उठा दिया।

बीडी कल्ला थे निशाने पर

दरअसल उनके निशाने पर राजस्थान के शिक्षा मंत्री बीडी कल्ला थे और कल्ला पर वे मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की मौजूदगी में भी पिछली बार कैबिनेट की बैठक में आरोप लगा चुके है। उन्होंने साफ तौर पर कहा कि जब कांग्रेस के कार्यकर्ता लगातार उनसे इस बात के लिए कई अर्जियां लगा चुके हैं। वे लगातार इस बात की शिकायत कर रहे है कि जिन संघ और बीजेपी से जुड़े सालों से जमे कर्मचारियों के तबादले गोविंद सिंह डोटासरा ने किए थे कल्ला ने उन सबको शिक्षा संकुल में लगा दिया। उस समय तो मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने मामला शांत करा दिया था लेकिन आज फिर कोटा में एक कार्यक्रम के दौरान उन्होंने अपनी ही पार्टी के टिकट बंटवारे के फार्मूले पर ही सवालिया निशान उठा दिए। धारीवाल ने कहा कि जब फैसला करने वाले ही उस समय अपनी बात पर कायम नहीं रहते हैं फिर हम से कैसे उम्मीद की जा सकती है ? आलाकमान ने पहले फैसला किया कि लगातार दो बार हारने वालों को टिकट नहीं दिया जाएगा। लेकिन जब बीकानेर का नंबर आया तो फिर उन्होंने दो बार हारने वाले बीडी कल्ला को टिकट क्यों दे दिया। जाहिर सी बात है कि आलाकमान खुद भी अपनी बात पर कायम नहीं रहता, तो फिर हम से कैसे उम्मीद की जा सकती है ।

आलाकमान नहीं रहते अपने फैसलों पर कायम

इस तरीके के पहले भी कई बार नियम कायदे बनते है लेकिन समय पर कई बातों पर विचार बदलने पड़ जाते है। लगातार दो बार हारने वाले व्यक्ति को टिकट नहीं देने की बात कही गई है लेकिन जब देने का समय आता है तब उसकी जीतने की संभावना देखते हुए टिकट देना भी पड़ता है।

शिक्षा विभाग में तबादलों को लेकर चल रही नूरा- कुश्ती

आपको बता दें कि बीडी कल्ला और शांति धारीवाल के बीच तबादलों को लेकर नूरा कुश्ती चल रही है । डॉक्टर बी डी कल्ला शिक्षा मंत्री बनने के बाद उन्होंने भाजपा से जुड़े हुए लोगों को खास तौर पर संघ से जुड़े हुए लोगों को ज्यादा तव्वजो दे दी। शिक्षा संकुल में भी सर्वाधिक इनकी ही संख्या है । उऩका कहना है कि जिनका तबादला खुद गोविंद सिंह डोटासरा ने कर दिया था। उन्हें भी बीड़ी कल्ला ने वापस बुला लिया । इसी बात को लेकर शांति धारीवाल बार-बार यह मुद्दा उठाते हैं । इस बार तो हद हो गई जब उन्होंने सोनिया गांधी पर भी सवालिया निशान उठा दिया और साफ तौर पर कहा कि पार्टी आलाकमान को जो फैसले करते हैं, उस पर कायम रहना चाहिए। यदि एक बार ये फैसला हो गया कि दो बार हारने वालों को टिकट नहीं देंगे तो फिर दूसरे व्यक्ति को ही मौका दिया जाना चाहिए। बार बार चुनाव हारने के बाद भी उसी को टिकट देना उचित नहीं है। फिर से नए कार्यकर्ताओं को अवसर नहीं मिलता है ।

आलाकमान के फैसलों पर भी उठाई अंगुली

जाहिर सी बात है कि शांति धारीवाल के इस बयान से पार्टी आलाकमान पर भी उंगली उठ रही है। उनके फैसलों पर भी उंगली उठ रही है। क्या शांति धारीवाल अब इतने बड़े हो गए हैं कि वे अब अपनी ही पार्टी की मुखिया के फैसलों पर सवालिया निशान उठा रहे हैं? क्या वे आलाकमा से बड़े हो गए है। धारीवाल के बयान से लग रहा है कि सरकारे कर्मचारियों के साथ भी राजनीतिक दलों के आधार पर बदले की भावना से काम करती है। इस तरह की सोच जब नेताओं की हो जाती है तो फिर कहीं न कहीं कर्मचारियों में भी बदले की भावना घर कर जाती है। ऐसे में देखना यह होगा कि क्या पार्टी आलाकमान शांति धारीवाल के खिलाफ कोई एक्शन लेता या फिर धारीवाल बेबाक तरीके से पार्टी आलाकमान के निर्णयों पर भी यूं ही सार्वजनिक मंचों से आरोप- प्रत्यारोप लगाते रहेंगे। यूं ही बेलगाम होकर अपनी ही सरकार के मंत्री को ललकारते रहेंगे।

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