मुंबई। महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे राजनीति के बिल्कुल अनाड़ी खिलाड़ी साबित हुए। आज से 5 दिन पहले जब शिवसेना के विधायक और यूडीएच मंत्री एकनाथ शिंदेने बगावत की थी तब उनके साथ 22 विधायक थे। इसके बावजूद भी उद्धव ठाकरे ने किसी भी तरह की राजनीतिक परिपक्वता का उदाहरण पेश नहीं किया। वे चाहते तो 22 विधायकों के जाने के बाद बचे हुए अन्य विधायको से जो भी सरकार का समर्थन कर रहे थे उनसे बातचीत करके अन्य विधायको की बाड़ेबंदी कर सकते थे। जिससे एकनाथ शिंदे का कुनबा जो आज नज़र आ रहा है शायद नहीं होता।

उद्धव ठाकरे बने रहे तमाशबीन

उद्धव ठाकरे सिर्फ तमाशा देखते रहे ,वह इंतजार करते रहे और जब मौका लगा तब वह एकनाथ शिंदे के सामने गिड़गिड़ाने लगे । शिवसेना मेंगिड़गिड़ाने वाले नेताओं को पसंद नहीं किया जाता। वहां तो तोड़फोड़ करने वाले नेताओं को पसंद किया जाता है। उद्धव ठाकरे सीधे-साधे व्यक्ति हैं। राजनीतिक चालबाजी उनमें नहीं है यही कारण है कि वे शिंदे की राजनीतिक चालबाजी को समझ नहीं पाए शिंदे पिछले दो ढाई साल से खुद को मजबूत कर रहे थे और शिवसेना का अपने आप को बड़ा नेता साबित करने में भी कामयाब सफल हो गए। दरअसल वे विधायकों पर लगाम रखते और शिवसैनिकों से सीधा संबंध रखते तो आज इन हालातों का सामना नहीं करना पड़ता यही कारण है कि उनके हाथ से सत्ता जाती रही और उनको एहसास तक नहीं हुआ उनके खुद के विधायक जो उनके लिए जान देने को तैयार थे वह टूट कर उनसे दूर चले गए और उन्हें पता तक नहीं चला और जब पता लगा तो वह खुद मुख्यमंत्री का बंगला का लेकर मातोश्री में होता है जिससे साबित हो गया कि उद्धव ठाकरे खुद भी लड़ना नहीं चाहते।

राज ठाकरे आए याद

जब बाला साहब ठाकरे उद्धव ठाकरे को शिवसेना की कमान सौंप रहे थे ,तो उस समय शिवसेना में अधिकांश नेता राज ठाकरे को शिवसेना की कमान सौंपने की मांग कर रहे थे । खुद राज ठाकरे को लगता था कि बाला साहब ठाकरे उन्हें ही शिवसेना की बागडोर सौंपेंगे। लेकिन आखिरकार उनका पुत्रमोह जाग गया और उन्होंने सालों साल से शिवसेना की बारीकियों को समझने वाले भतीजे राज ठाकरे को दरकिनार कर दिया और राजनीति में ज़ीरो कहे जाने वाले उद्धव ठाकरे को शिवसेना की कमान सौंप दी। शिव सैनिकों का कहना है कि भले ही आपने उस समय उद्धव ठाकरे को शिवसेना की कमान सौंप दी हो । राज ठाकरे ने अपनी पार्टी बना ली हो लेकिन वे सत्ता में न रहते हुए भी कद्दावर नेता है। पुराने शिवसैनिकों का कहना है कि आज अगर राज ठाकरे होते, तो एकनाथ शिंदे जैसे लोगों की बगावत करने की हिम्मत तक नहीं होती। कहीं ना कहीं यह उद्धव ठाकरे की कमजोरी का फायदा उठाने का काम एकनाथ शिंदे और उनके साथ गए विधायकों ने किया है ।अगर आज उद्दव के स्थान पर राज ठाकरे जैसा मंझा हुआ खिलाड़ी होता तो, एकनाथ जैसे लोगों की हिम्मत भी नहीं होती बगावत करना तो बहुत दूर की बात है।

एकनाथ शिंदे ने तोड़ा भरोसा

उद्धव ठाकरे को लगता था कि शिवसेना एक परिवार है और परिवार के लोगों में नाराजगी और रूठना मनाना चलता रहता है। उन्हें यह भरोसा नहीं था की एकनाथ शिंदे इतना बड़ा कदम उठाएंगे और एकनाथ शिंदे के मन में यह कब से चल रहा है कि उन्होंने एक नहीं 37 शिवसेना विधायकों को तोड़ दिया और उद्धव ठाकरे को पता तक नहीं लगा, 12 विधायक निर्दलीयों को भी अपने साथ ले गए कुल 49 विधायक साथ होने का दावा कर रहे हैं। इस बात की भनक तक उद्धव ठाकरे को नहीं लगी। जाहिर सी बात है कि उनका खुफिया तंत्र पूरी तरह विफल रहा । खुफिया तंत्र ने उद्धव ठाकरे को सरकार गिराने की साजिश की भनक तक नहीं लगने दी इससे और बड़ी शर्म की बात क्या हो सकती है।

बीजेपी ने पर्दे के पीछे रहकर खेला खेल

एक बार महाराष्ट्र में मुंह की खा चुकी बीजेपी ने इस बार समझदारी दिखाई, सामने भी नहीं आई और पूरी बाजी पलट दी । सबसे पहले एक साथ शिवसेना विधायकों को बीजेपी शासित प्रदेश गुजरात में ले जाना । फिर गुवाहाटी में ले जाना। यह सब बीजेपी के बड़े नेताओं का काम रहा। बड़े नेता एक के बाद एक चाल चलते रहे और शिव से जुड़े विधायक कहीं न कहीं बीजेपी के इस जाल में फंसते गए ।शिवसेना के कई विधायकों पर सीबीआई और ईडी की कार्यवाही भी पिछले दिनों हुई थी। जिससे भी शिवसेना के विधायकों में इस बात को लेकर डर था विधायकों के कई कारोबार है। या उनके रिश्तेदारों के बड़े कारोबार हैं ,ऐसे में वे केंद्र सरकार से भी टकराव मोल नहीं ले सकते थे । ऐसे उन्हें डर था कि यदि बीजेपी के साथ नहीं जाएंगे तो उनका नुकसान होना तय है। शिवसेना के एकनाथ शिंदे ने उन्हें साफ कह दिया कि उनके पीछे एक देश की बहुत बड़ी शक्ति काम कर रही है। डरने की जरूरत नहीं है और हम लोग कामयाब होंगे। यही कारण है कि बीजेपी अब तक भी खुलकर सामने नहीं आई और पूरा सत्ता बदलने का खेल भी कर दिया। देवेंद्र फडणवीस मुख्यमंत्री की कुर्सी से कुछ कदम दूरी पर है। ऐसे में वह दिल्ली मिलने गए हैं ।आलाकमान को जानकारी देने हैं कि मुंबई में तमाम गणित हो गई है अब आशीर्वाद दें!

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