जयपुर। जयपुर विकास प्राधिकरण में जेडीए उपायुक्तों को लेकर लोगों की भारी शिकायतें है। लोगों का कहना है कि जेडीए में लोग परेशान होकर जाते है। लेकिन अधिकांश उपायुक्त जनता से मिलते ही नहीं है। जब भी उनके कार्यालय में जाओ तो बाहर बैठा चपरासी यही बोलता है साहब मिटिंग में या फिल्ड में है। लेकिन हकीकत में न तो साहब मिटिंग होते हैं और फिल्ड में गए होते है। दरअसल वे आम लोगों से मिलना ही नहीं चाहते। जब तक भी बहुत बड़ा दबाव नहीं आता है। यहां काम करने वाले लोगों का कहना है कि अधिकांश उपायुक्त शाम को 4 बजे बाद आते है। इसके बाद देर रात तक रुकते है। इस दौरान उनके पास खास लोग ही आते है। फाइलें लेकर आने वाले या तो बिल्डर होते है या बड़े बिल्डरों के लाइजनर होते है। ऐसा लगता है ये उपायुक्त सिर्फ उनके लिए काम करते है। आम जनता तो अपने काम के लिए चक्कर पर चक्कर लगाती रहती है लेकिन उनकी कोई सुनने वाला नहीं है। आम लोग यदि जेडीए की जमीन पर भी अतिक्रमण की शिकायत करे तो उस पर कार्रवाई नहीं होती। अपितु उस पर शिकायत करने वाली की जानकारी भूमाफियाओं को दे दी जाती है जिससे वे उसे फोन कर और डराते है। ये ही नहीं जेडीए में उपायुक्त आम लोगों को मिलने के समय भी मिटिंग होने का बहाना करके टालते रहते है। लेकिन वे देर रात तक बैठकर सिर्फ जेब गर्म करने के लिए टेबल मिटिंग करते है। इससे पूर्व कई बार एसीबी ने यहां के कई उपायुक्तों को रिश्वत लेते हुए रंगे हाथों गिरफ्तार किया है। इसके बावजूद उनके मन में कोई डर नहीं है। सरकारी जमीनों पर कब्जे हो रहे है। लोग नियम कायदों की धज्जियां उड़ा रहे है। लेकिन इनको सिर्फ अपनी जेब भरने की चिंता है। ऐसे में इनकी शिकायत भी लोग करे तो कहां करे।

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