जयपुर। राजस्थान की राजनीति में बड़ा फेरबदल होने वाला है । नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया को राज्यपाल बनाए जाने के बाद अब नेता प्रतिपक्ष कौन होगा को लेकर चर्चाएं जोरों पर है और राजनीति के गलियारों में अलग-अलग नामों पर खुली चर्चा जारी है। माना जा रहा है कि राजेंद्र राठौड़ उप नेता प्रतिपक्ष है तो उन्हें यह जिम्मेदारी मिल सकती है। कुछ लोग पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा जी को भी नेता प्रतिपक्ष की दौड़ में मान रहे हैं। कई लोग दूसरे नामों पर भी चर्चा कर रहे हैं ।सत्ता के गलियारों में अब चर्चा और बहस सिर्फ नेता प्रतिपक्ष को लेकर हो रही है। लेकिन सूत्रों का कहना है कि नेता प्रतिपक्ष के पद पर भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष और आमेर से विधायक सतीश पूनिया को जिम्मेदारी दी जा सकती है। सतीश पूनिया को अध्यक्ष पद से हटाकर नेता प्रतिपक्ष बनाए जाने से किसी तरह का किसी तरह का आक्रोश भी नहीं होगा और वसुंधरा राजे को प्रदेश अध्यक्ष बनाए जाने का रास्ता भी साफ हो जाएगा। सतीश पूनिया को नेता प्रतिपक्ष बनाए जाने से उन्हें भी एक संवैधानिक पद पर जाने का मौका मिलेगा। उन्होंने पिछले लंबे समय से राजस्थान में भाजपा को मजबूत करने में कोई कसर नहीं छोड़ी है। पूरे प्रदेश का वह लगातार दौरा कर रहे हैं और पार्टी को मजबूत किया है । एक धड़े के विरोध के बावजूद भी उन्होंने लगातार पार्टी को मजबूत करने की कोशिश की है ,लेकिन उनके कार्यकाल के दौरान 9 विधानसभा उपचुनाव में से 8 चुनाव में पार्टी का हारना एक बड़ा कारण माना जा रहा है । जिसके चलते पार्टी के राष्ट्रीय स्तर के नेतृत्व को लगता है कि राजस्थान में नेतृत्व परिवर्तन जरूरी है। हालांकि जेपी नड्डा को राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाए जाने के बाद कयास लगाए जा रहे हैं , कि सतीश पूनिया पुनिया अपने पद पर बने रहेंगे और वसुंधरा राजे को ही नेता प्रतिपक्ष बनाया जाएगा । गुलाब चंद कटारिया को नेता प्रतिपक्ष से हटाकर राज्यपाल नियुक्त करने से नेता प्रतिपक्ष की सीट खाली हो गई है। ऐसे में नेता प्रतिपक्ष के पद पर उप नेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ को प्रमोट करने की भी चर्चाएं जोरों पर है। लेकिन सबसे ज्यादा चर्चा सतीश पूनिया को लेकर चल रही है कि पार्टी उन्हें नेता प्रतिपक्ष बनाकर, वसुंधरा राजे को प्रदेश अध्यक्ष बनाएगी ।जिससे दोनों बड़े पदों पर पूनिया और वसुंधरा आसीन हो जाएंगे ।

वसुंधरा राजे प्रदेश अध्यक्ष, पूनिया नेता प्रतिपक्ष ?

गुलाबचंद कटारिया को राज्यपाल बनाए जाने के बाद खुद कटारिया का कहना है कि वसुंधरा राजे को राजस्थान की राजनीति से अलग नहीं किया जा सकता। वे दो बार राजस्थान की मुख्यमंत्री रही है। ,केंद्रीय मंत्री रही है आज भी राजस्थान में सक्रिय है ,ऐसे में राजस्थान में बड़ी जिम्मेदारी मिलनी चाहिए। वसुंधरा राजे समर्थकों का भी यही मानना है कि राजे को एक बार फिर से प्रदेश की जिम्मेदारी मिलने चाहिए। जिससे वे भाजपा को राजस्थान में सत्तासीन कर सकें और इसके लिए माना जा रहा है कि प्रदेश अध्यक्ष बनाए जाने की संभावना सबसे ज्यादा है।

सतीश पूनिया पार्टी प्रदेश अध्यक्ष के तौर पर बहुत बेहतरीन काम कर रहे हैं लेकिन फिर भी उनके नेतृत्व में राजस्थान में हुए विधानसभा उपचुनाव में पार्टी को सफलता नहीं मिली, यह उनके लिए सबसे बड़ा ड्रॉबैक है। इसलिए उन्हें प्रदेश अध्यक्ष की जिम्मेदारी से मुक्त करके विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष बनाया जा सकता है। जिससे उनका कद भी बना रहे हैं और उनके समर्थकों में किस तरीके नाराजगी भी नहीं जाए। उनको नेता प्रतिपक्ष बनाए जाने से उनके कद में भी किसी तरह की कमी नहीं होगी, बल्कि एक संवैधानिक बड़ा पद और मिल जाएगा । राजस्थान में होने वाले विधानसभा चुनाव में वसुंधरा राजे और सतीश पूनिया दोनों मिलकर भाजपा को जिताने में कामयाब हो सकते हैं ऐसा करने से जाट समाज भी नाराज नहीं होगा और दूसरे समाज में किसी तरह की नाराजगी नहीं जाएगी। क्योंकि प्रदेश अध्यक्ष पद पर वसुंधरा राजे और सतीश पूनिया को नेता प्रतिपक्ष बना कर दोनों को संतुलित किया जाएगा और दोनों को मिलकर चुनाव लड़ने के पार्टी की तरफ से निर्देश दिए जा सकते हैं ऐसे कयास बाजी चल रहे हैं देखना है कि पार्टी इस संदर्भ में क्या निर्णय करती है यह तस्वीर आने वाले कुछ दिनों में ही साफ हो जाएगी।

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