सरकार झूठी या मांगे गैर वाजिब

जयपुर । राजधानी जयपुर में पिछले 7 दिन से पुलवामा शहीदों की वीरांगनाओं का जयपुर में धरना प्रदर्शन चल रहा है कभी अमर जवान ज्योति तो कभी सिविल लाइंस वाटर तो कभी मुख्यमंत्री आवास पर घुसने का प्रयास तो कभी राज्यपाल को ज्ञापन भाजपा के नेता डॉ किरोड़ लाल मीणा इस पूरे आंदोलन का नेतृत्व कर रहे हैं और भाजपा नेता उनका समर्थन कर रहे हैं डॉ किरोड़ी लाल मीणा लगातार सरकार पर वादाखिलाफी का आरोप लगा रहे हैं यहां तक कि डॉ किरोड़ी लाल मीणा सचिन पायलट के घर के बाहर धरने पर बैठे हैं जबकि सचिन पायलट वर्तमान में सिर्फ एक विधायक है उनसे मिलने के लिए प्रताप सिंह खाचरियावास शकुंतला रावत सहित कई मंत्री भी धरने पर पहुंच चुके हैं और सभी ने उनकी मांगों का समर्थन किया है लेकिन इसी बीच मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने एक बयान जारी कर कहा कि और आंदोलन राजनीति से प्रेरित है और इसमें शहीदों की वीरांगनाओं को मोहरा बनाया जा रहा है सरकार की ओर से जो पूर्व में निर्धारित शहीद हुए जवानों का पैकेज था वह इन सभी वीरांगनाओं को दिया जा चुका है लेकिन अब डॉक्टर किरोडी लाल मीणा कुछ गैर वाजिब मांगों को जबरदस्ती सरकार से बनवाना चाहते हैं जो सरकार के स्तर पर मांगना उचित नहीं है क्योंकि राजस्थान में शहीदों की संख्या बहुत ज्यादा है और इसी तरह से यदि शहीदों की वीरांगनाओं को को उकसा कर गैर वाजिब मांगों के लिए अलोकतांत्रिक तरीके से धरना प्रदर्शन कर दबाव बनाया जाने लगा तो फिर सरकार के लिए यह कार्य मुश्किल होगा यही नहीं उन्होंने इस संदर्भ में केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह से भी बातचीत की और उन्हें इस पूरे प्रकरण की जानकारी दी और बताया कि राजस्थान सरकार की ओर से दिया जाने वाला पैकेज इन शहीदों की विधवाओं को दिया जा चुका है।

शहीद हेमराज मीणा

मुख्यमंत्री के बयान के अनुसार राजस्थान सरकार शहीद हेमराज मीणा की पत्नी को राज्य सरकार की ओर से दिया जाने वाला पैकेज दे चुकी है। उनकी स्मृति में दो मूर्तियां सरकार की ओर से लगाई जा चुकी है। अब हेमराज मीणा की तरफ पत्नी गांव के ही तीसरे सरकारी स्कूल में मूर्ति लगवाना चाहती है ,जो उचित नहीं है। यदि इसी तरह से सभी शहीदों के परिजनों ने तीन- तीन मूर्ति लगाने की मांग कर दी तो फिर यह संभव नहीं होगा। राज्य सरकार की ओर से शहीद की स्मृति में एक स्कूल या किसी सार्वजनिक स्थल पर मूर्ति लगाने का प्रावधान है ।जबकि हेमराज मीणा की स्मृति में 2 स्कूलों में दो स्थानों पर मूर्तियां पहले से ही लगी हुई है, अब तीसरी स्कूल में मूर्ति लगाने की मांग को लेकर आंदोलन किया जा रहा है । और तमाम बीजेपी के नेता इसका समर्थन कर रहे हैं ،,जो कहीं न कहीं पूरी तरह से गैर वाजिब है और अलोकतांत्रिक भी है । क्योंकि राजस्थान में शहीदों की संख्या बहुत ज्यादा है और इसी तरह यदि सभी ने एक शहीद की स्मृति में तीन मूर्ति लगाने की मांग कर दी तो फिर राजस्थान की स्कूल है कम पड़ जाएगी।

शहीद रोहिताश लांबा

इसी तरह से पुलवामा शहीद रोहिताश लांबा की धर्मपत्नी मंजू जाट चाहती है कि उनके देवर को सरकारी नौकरी मिले। उन्हें ₹5000000 नगद और शहीदों का जो पैकेज दिया जाता है ,वह सरकार की ओर से दिया जा चुका है । उनकी स्कूल में मूर्ति लगाई जा चुकी है । लेकिन अब मंजू जाट लगातार सरकार पर इस बात का दबाव बना रही है कि उसके देवर को नौकरी मिले । जबकि सरकार में प्रावधान है कि यह नौकरी शहीद की पत्नी या उनके बच्चों को दी जा सकती है। रोहिताश लांबा के बच्चे भी है जिनकी आयु 18 वर्ष होने के बाद उन्हें सरकार की ओर से नौकरी दिया जाना प्रस्तावित है। लेकिन अभी तक कहीं पर भी देवर को नौकरी दिए जाने का प्रावधान नहीं है ऐसे में यह मांग भी पूरी तरह से गैर वाजिब है और असंवैधानिक है । जबकि भाजपा नेता लगातार सरकार पर इस बात का दबाव बना रहे हैं कि देवर को नौकरी दी जाए । सरकार पर वीरांगनाओं की बात नहीं सुनने का आरोप भी लगाया जा रहा है जबकि है सरासर गलत है। पति का कहना है कि यदि शहीद की पत्नी के देवर को नौकरी दे दी गई तो शहीदों के बच्चों का क्या होगा और आने वाले समय में बच्चों की जिम्मेदारी कौन लेगा इसलिए नियमों में प्रावधान है कि जब भी शहीद के बच्चे युवावस्था में होंगे उन्हें सरकार नौकरी देगी।

जीतराम गुर्जर

तीसरे शहीद जीत राम गुर्जर की पत्नी भी चाहती है कि उनके देवर को नौकरी मिले। जबकि सरकार की ओर से जीत राम गुर्जर की पत्नी और उनके परिवार को सरकार की ओर से दिया जाने वाला पूरा पैकेज दिया जा चुका है ।मुख्यमंत्री का कहना है कि इस विषय पर राजनीति हो रही है और शहीदों की विधवाओं को उकसाया जा रहा है और कुछ नेता अपनी राजनीतिक रोटियां सेकने के लिए इन्हें आगे करके पूरा खेल खेल रहे हैं । इस पूरे मामले से उन्होंने रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और राज्यपाल को भी अवगत करा दिया है ।जाहिर की बातें की नियमानुसार इन शहीदों की वीरांगनाओं को तमाम पैकेज सरकार ने पहले ही दे दिए हैं जिनकी वे हकदार थी। वहीं दूसरी ओर डॉक्टर किरोड़ी लाल मीणा का आरोप है कि सरकार उनकी बात सुन नहीं रही है और सरकार इन्हें नजरअंदाज कर रही है।

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