जयपुर। मानसरोवर के शिप्रापथ मैदान पर आज सुबह से प्रदेश के अलग- अलग कोनों से लाखों की संख्या में पहुंचे एससी, एसटी के लोगों में एक की बात को लेकर आक्रोश देखा गया कि उन्हें आज भी कांग्रेस और अन्य राजनीतिक दल अपना वोट बैंक समझते है। जब देने का नंबर आता है तो आरक्षित वर्ग के हितों पर कुंडली दूसरे ही लोग मार बैठते है। यहां तक की समाज कल्याण बोर्ड तक का अध्यक्ष सामान्य वर्ग से बना दिया जाता है। जिसका आरक्षित वर्ग से कोई लेना – देना नहीं होता। जो कभी भी आरक्षित वर्गों का भला नहीं कर सकता। 2 अप्रेल 2018 में प्रदर्शन के दौरान आरक्षित वर्ग के लोगों पर दर्ज मुकदमें वापस लेने का दावा कांग्रेस सरकार लगातार कर रही है लेकिन आज तक मुकदमें बंद नहीं हुए। युवा तारीखें साध रहे है। हजारों रुपये बर्बाद कर चुके। युवाओं का केरियर खराब हो गया लेकिन सरकार ने आज तक मुकदमें वापस नहीं लिए। जबकि गुर्जर आंदोलन के दौरान, किसान आंदोलन के दौरान, और अन्य राजनीतिक दलों की रैलियों और धरने प्रदर्शन के दौरान दर्ज मुकदमें वापस हो चुके। जबकि एससी, एसटी के लोगों पर रेल की पटरियां उखाड़ने , थाने जलाने, सरकारी संपत्ति जलाने या तोड़- फोड़ के मुकदमें दर्ज नहीं है। लेकिन फिर भी सरकार का मुकदमें वापस नहीं लेने से आरक्षित वर्ग के लोगों में आक्रोश है।

केंद्र और राज्य सरकार पर लगाया दलित – आदिवासियों की उपेक्षा का आरोप

महापंचायत में नेताओं ने दलित और आदिवासियों की उपेक्षा करने का आरोप लगाया है। नेताओं ने कहा कि पार्टी कोई भी हो सबको दलितों और आदिवासियों के वोट चाहिए लेकिन उनके हक कोई नहीं देना चाहते। उनके अधिकारों पर डाका सब मारना चाहते है। यदि दलित आदिवासी कोई आंदोलन भी करे तो जातिवाद का आरोप लगता है। जबकि दूसरे सभी समाज अपने- अपने समाज की मांग कर रहे है। दलित आदिवासी तो इन वर्गों में शामिल सभी जातियों की बात करते है। जो संविधान द्वारा प्रदत उसी की मांग कर रहे है।

एससी, एसटी की आबादी के अनुसार कुछ नहीं

एससी, एसटी की प्रदेश में ही नहीं देश में सर्वाधिक आबादी है। लेकिन आरक्षित वर्ग पर टिकट देना भी राजनीतिक दलों की मजबूरी है। वरना तो ये टिकट भी नहीं दे। सरकारी नौकरियों में आरक्षण मिलता है लेकिन उसकी इमानदारी से पालना नहीं होती। सालों से बैक लाग पर भर्तियां नहीं होती। कोई भी अफसर या मंत्री इसे पूरा करना ही नहीं चाहते। संविदा पर भर्तियां होती है उसमें आरक्षण का प्रावधान नहीं रखा जाता। फिर सरकार बैकडोर एंट्री करके इन्हें नियमित कर देती है जिससे आरक्षित वर्ग का नुकसान हो रहा है। आरक्षित वर्ग के लोगों को सरकारी नौकरियां मिल नहीं रही । निजी कंपनियों में भर्तियां होती नहीं है। निजी क्षेत्र में तो आरक्षित वर्ग के लोगों को नौकरियां ना के बराबर मिलती है। वहां ये कहकर नकार दिया जाता है की आरक्षित वर्ग से इन्हें तो सरकारी नौकरी मिल जाएगी दूसरों को अवसर दो। जिसके चलते आरक्षित वर्ग के लोग प्राइवेट सेक्टर में सिर्फ चपरासी या गेटकीपर या श्रमिक का जॅाब ही पाते है। अन्य जॅाब पर उन्हें रखा ही नहीं जाता। एससी, एसटी के लोगों ने सरकार से मांग की बैकलाग पूरा किया जाए । निजी कंपनियों में भी नौकरियां आरक्षित की जाए।

एससी, एसटी के न्यायाधीश और कुलपति लगाने की मांग

एससी, एसटी के लोगों के साथ आज भी जातिगत भेदभाव होता है। सरकारी – गैर सरकारी कार्यालयों में ही नहीं पॅाश काॅलोनियों में आरक्षित वर्ग के लोग भेदभाव के शिकार होते है। यहां मंदिरों में होने वाले सार्वजनिक कार्यक्रमों में इन्हें प्रवेश नहीं मिलता। प्रवेश मिलता है उन्हें अलग- थलग किया जाता है। किसी बड़ी काॅलोनी में बड़ा अफसर भी है तो उससे चंदा जरुर लिया जाता है। लेकिन मुख्य कार्यक्रमों से दूर रखा जाता है। जब वह उसमें भागीदारी निभाने की कोशिश करता है तो उसे इस बात का अहसास होता है कि उसके साथ ऐसा बर्ताव जाति के कारण किया जा रहा है। इसलिए इन वर्गों के लोगों की मांग है कि न्यायिक सेवा में भीआरक्षण का लाभ मिले। विश्वविद्यालयों में भी कुलपति आरक्षित वर्ग के लगाए जाएं तो आरक्षित वर्ग के लोगों उच्च स्तर पर बेधड़क जा सकेंगे। न्यायिक सेवा में भी लोग आरक्षित वर्ग के मामलों का निपटारा जल्द होगा। लोगों को न्याय आसानी से और जल्द मिलने की संभावना होगी। इसलिए महापंचायत में कुलपतियों और न्यायपालिका में भी आरक्षित वर्ग के लोगों को प्राथमिकता देने की मांग उठी।

एससी, एसटी एक्ट की पालना नहीं होना

कुछ समय से लगातार एससी- एसटी के लोगों पर अत्याचारों की खबरें लगातार आ रही है। लंबे अंतराल के बाद अचानक लगा कि दलित वर्ग के दुल्हे घोड़ियों से उतारे जा रहे है। मारपीट की जा रही है। मंदिरों में प्रवेश नहीं दिया जा रहा है। शमशान घाटों तक पर भेदभाव हो रहा है। इस तरह की घटनाएं बढ़ना सरकार के लिए भी चिंता की बात है।आखिर आजादी के 76 साल बाद भी लोगों की मानसिकता नहीं बदली। इसका प्रमुख कारण सरकार और शासन में बैठे लोगों का एससी, एसटी एक्ट का ढिंढोरा तो ज्यादा पीटा गया लेकिन इसकी पालना ढंग से नहीं होना है जिससे लोग आज भी इस वर्ग के लोगों को गांव- कस्बों और कार्यालयों और स्कूलों तक में प्रताड़ित करते है। महापंचायत के नेताओं ने सरकार से एससी, एसटी एक्ट को प्रभावी ढ़ंग से लागू करने की मांग की है। जिससे इन वर्गों पर अत्याचार रुक सके।

एससी, एसटी के लोगों का कहना है कि सभी लोग जातिगत रैलियां कर रहे है। महापंचायतें कर रहे है। सभी एससी, एसटी से परेशानी है लेकिन एससी , एसटी के लोगों ने कभी भी दूसरी जातियों को क्या दिया जा रहा है पर एतराज नहीं जताया। लेकिन सबको एससी, एसटी को मिलने वाले आरक्षण और लाभ से परेशानी जरुर है।

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