जयपुर। सचिन पायलट ने भले ही अपनी ही पार्टी की सरकार के खिलाफ हजारों समर्थकों के साथ अनशन कर दिया हो। लेकिन वे पार्टी छोड़ने की भूल कभी नहीं करेंगे। माना जा रहा है कि पायलट ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत पर दबाव डालने के लिए अनशन किया। वहीं पार्टी के राष्ट्रीय स्तर के नेता इस मामले ंमें पायलट के अनशन पर बैठने से नाराज थे। पार्टी के प्रदेश प्रभारी सुखजिंदर सिंह रंधावा ने भी उनके इस एक्शन की निंदा की।

दो दिन से पायलट के पार्टी छोड़ने की चर्चा जोरों पर थी। लोगों को लग रहा था कि पायलट  अब पार्टी छोड़  देंगे। कई नेताओं ने उन्हें आम आदमी पार्टी तो कुछ ने आरएलपी तो कुछ नेताओं ने भाजपा तक ज्वाइन करवा दी। कुछ जल्दबाजी करने वाले नेताओं ने तो तीसरा मोर्चा का संयोजक और नई पार्टी बनाने तक की बात कह दी।

शाम होते – होते पायलट ने कयासों पर लगाया विराम

लेकिन शाम होते- होते पायलट ने पार्टी छोड़ने और नई पार्टी बनाने सब पर  विराम लगा दिया। वे बोले पार्टी में त्याग , बलिदान किया है। जब मेरी सुनवाई नहीं हो रही तो गांधीवादी तरीके से अपनी बात कही है। अब दिल्ली में राष्ट्रीय नेताओं से बात कर अपनी बात रखुंगा। पायलट दिल्ली में कांग्रेस नेताओं से मिलने जा रहे हैं। पायलट रणछोड़दास नहीं बनना चाहते। वे  पार्टी में अब तक की गई सेवा का ईनाम मुख्यमंत्री की कुर्सी चाहते है। यहां से पार्टी छोड़कर जाने का मतलब कुर्सी से दूर जाना है। क्योंकि भाजपा में नेताओं की लंबी फेहरिस्त है । आप का भविष्य कोई नहीं जानता। तीसरा मोर्चा में नेताओं के बीच आपसी स्वार्थ टकराएंगे। इसलिए उन्होंंने किसी भी गठबंधन में शामिल होने या नया मोर्चा बनाने वे सीएम बन नहीं सकते। पार्टी उन्हें फ्यूचर का नेता बता रही है। ऐसे में अब सबको सचिन के अगल कदम का इंतजार है। 

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