मिलीभगत करके कम्पनी विशेष को लाभ पहुॅचाने का मामला भा

भारत सरकार से प्राप्त अनुदान का अनुचित प्रयोग

कम्पनी विशेष को टेण्डर देकर उड़ा दी निविदा के नियमों की धज्जियाँ

न्यायालय में मामला लम्बित होने पर भी जारी कर दिया आदेश ।

नियम कायदों को रखा ताक पर

क्यों है KRSHNNA डायग्नोस्टिक फार्म पर अधिकारियों की मेहरबानी

जयपुर । राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत जनता को राहत देने का काम कर रहे हैं और प्रदेश में महंगाई राहत कैम्प चला रहे हैं । लोगों को सस्ता और अच्छा इलाज मिल सके इसके लिए 2500000 रुपए तक का इलाज फ्री भी किया है। लेकिन मुख्यमंत्री के निर्देश के बावजूद चिकित्सा विभाग के आला अधिकारी कमीशन के चक्कर में सरकार को करोड़ों का चूना लगाने काम कर रहे हैं, हाल ही में चिकित्सा मैं भ्रष्टाचार का बड़ा मामल मामला सामने आया है ।

राजस्थान सरकार के द्वारा स्पोक एवं हब मॉडल पर निःशुल्क डायग्नोस्टिक सेवाओं को उपलब्ध कराये जाने के लिए रू 450 करोड़ रूपये का टेण्डर निकाला गया था, जो कि 02 बार निरस्त किया गया। तीसरी बार आमंत्रित की गयी निविदा में 02 निविदादाताओं कस्नKRSHNNA डायग्नोस्टिक डायग्नोस्टिक एवं पी०ओ०सी०टी० सर्विसेज) के द्वारा प्रतिभाग किया गया। राजस्थान सरकार के अधिकारी कस्ना डायग्नोस्टिक के साथ मिलीभगत करके नियमों की अनदेखी करते हुए एकल रूप से करना डायग्नोस्टिक को अर्ह घोषित कर दिया गया। अन्य बोलीदाता का कहना है कि उनके द्वारा दिये गये रिप्रेजेन्टेशन को नजरअंदाज करते हुए अनियमितता पूर्वक क्रस्ना डायग्नोस्टिक को अर्ह करने की कार्यवाही सम्पादित की गयी, जिसके कारण अन्य निविदादाता के द्वारा मा० न्यायालय की शरण ली गयी और रिट याचिका दाखिल की गयी।

राजस्थान सरकार के द्वारा यह भी स्वीकार किया गया है कि मूल दस्तावेज जैसे – कन्सशियम एग्रीमेन्ट को ऑन-लाइन नहीं लगाया गया था, उसे बाद में ऑफ लाइन प्रेषित किया गया है। KRSHNNA डायग्नोस्टिक से के द्वारा किया गया यह कार्य ऑन-लाइन टेन्डरिंग प्रक्रिया एवं आर०टी०पी०पी० एक्ट के नियमों का उल्लंघन है। अन्य निविदादाता के द्वारा मा० न्यायालय में दाखिल की गयी रिट याचिका में यह बताया गया है कि करना डायग्नोस्टिक के द्वारा सब्मिट की गयी बिड कन्डीशनल है क्योंकि कस्ना डायग्नोस्टिक के द्वारा अपने कन्सोशियम एग्रीमेन्ट में उल्लिखित किया गया है कि यदि वह निविदा में एल-1 आते हैं, तो उनके द्वारा शेयर होल्डिंग में परिवर्तन किया जा सकता है, जबकि निविदा बिना किसी शर्त के दाखिल की जाती है। यही कारण है कि यह निविदा स्वीकार करने योग्य नहीं है।

इतना ही नहीं क्रस्ना डायग्नोस्टिक के द्वारा पावर ऑफ एटॉनी में भी छेड़छाड़ की गयी, जिसको रिट याचिका के माध्यम से मा0 न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत किया गया है, जिस पर निर्णय अभी मा० न्यायालय में विचाराधीन है। राजस्थान सरकार के द्वारा अनियमित रूप से मा0 न्यायालय में मामला लम्बित होने के बावजूद क्रस्ना डायग्नोस्टिक को कार्य सौंपे जाने हेतु मिलीभगत करके लैटर ऑफ एक्सेप्टेन्स जारी किया जा रहा है।

पता नहीं राजस्थान सरकार के स्वास्थ्य विभाग को कौन सी हड़बड़ी है। यह एक प्रकार का घोटाला है, जिसमें अनुचित रूप से कम्पनी को लाभ पहुँचाकर स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी लाभान्वित होना चाहते। इस पूरे मामले में राज्य के चिकित्सा मंत्री की भूमिका भी संदिग्ध लग रही है कि आखिरकार उन्होंने इस मामले को गंभीरता से क्यों नहीं लिया ,क्यों नहीं प्रमुख शासन सचिव स्वास्थ्य और अन्य अधिकारी इस मामले पर ध्यान दे रहे हैं। जबकि दूसरी प्रतिद्वंदी कंपनियां लगातार इस बात का विरोध करती रही है कि स्वास्थ्य स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी एक कंपनी को विशेष लाभ देने का प्रयास कर रहे हैं। क्योंकि कंपनी की ओर से अधिकारियों को मोटा मुनाफा देने की पेशकश की गई है। पूर्व में भी इस तरह के मामले आए थे जब एक लाख की मशीनरी करोड़ों में खरीदी गई थी ।जाहिर सी बात है कि यह सरकार को चूना लगाने की बात की है और कहीं न कहीं इस मामले में भ्रष्टाचार की बू आ रही है। सरकार को चाहिए कि इस पूरे मामले की जांच कराएं और इस टेंडर को निरस्त कर नए सिरे से टेंडर आमंत्रित किए जाने चाहिए ।जिससे और भी कंपनियां इसमें आवेदन कर सके और सरकार पर लग रहे आरोपों का भी पटाक्षेप हो सके।

इस मामले में केंद्र सरकार के स्वास्थ्य मंत्रालय ने भी संज्ञान ले लिया है और वह भी अपने स्तर पर इस पूरे प्रकरण की जांच कराने के आदेश दिए हैं। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के अधिकारियों ने कहा कि यह एक भारत सरकार के अनुदान का दुरुपयोग करने के समान है और इस तरह के मामले में राज्य सरकार को पूरी तरह पारदर्शिता बरतनी चाहिए। मामला 450 सौ करोड़ रुपए का है ।जनता के स्वास्थ्य से जुड़ा हुआ मामला है, ऐसे में यदि इसके टेंडर में कोई गड़बड़ी की संभावना जता रहा तो इस पूरे प्रकरण को सरकार को गंभीरता से लेना चाहिए।

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