जयपुर। माना की राजनीति में पक्ष और पक्ष के नेताओं के बीच में नौक झोंक भी चलती है आरोप प्रत्यारोप भी चलते हैं। लेकिन जिस तरह से राजस्थान प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रतिशत अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा और पूर्व नेता प्रतिपक्ष रहे राजेंद्र राठौड़ के बीच में सोशल मीडिया और सार्वजनिक कार्यक्रमों में जिस तरह की बयान बाजी चल रही है और एक दूसरे को नीचा दिखाने की होड़ मची है। यह राजस्थान की राजनीति में गिरावट की पराकाष्ठा है। यह दोनों नेता तो अपने-अपने समर्थकों को खुश करने के लिए इस तरह की भाषा का उपयोग करते हैं लेकिन इन दोनों नेताओं के बीच की तल्खी कभी ना कभी कार्यकर्ताओं में सिर फोड़ने का का काम कर देगी ,जिसका अंदाजा दोनों नेता नहीं लग रहे हैं और एक दूसरे को नीचा दिखाने के लिए जो मूंह से जो निकलता है बोल देते हैं। समाज पर क्या असर होगा, युवाओं पर क्या असर होगा ,दूसरे लोगों पर क्या होगा और जो दूसरे जूनियर नेता आ रहे हैं वे इनसे क्या सीखेंगे समझ नहीं आता? इन दोनों नेताओं की आपसी बयान बाजी को देखकर यह लगता है कि अभिनेताओं के बीच में बयान बाजी से आगे बात बढ़कर अब हाथापाई तक पहुंच सकती है । या फिर इनके समर्थक आपस में कभी भी भिड़ सकते हैं इनकी हंसी मजाक कभी भी गंभीर हो सकती है। ऐसे में इन दोनों नेताओं को अपनी वरिष्ठ का ख्याल रखते हुए अपने-अपने काम को बखूबी निभाने चाहिए और जो गलती यदि डोटासरा जी ने की है या गड़बड़ी डोटासरा जी की सरकार के समय हुई है। तब राठौड़ साहब की सरकार आ चुकी है राठौड़ साहब इस मामले की जांच कर ले और यदि डोटासरा जी गलत है तो उनको सजा दें की रोज-रोज की बहन बड़ी ठीक नहीं है।

डोटासरा और राठौड़ के बीच ट्विटर व्हाट्सएप्
दोनों नेताओं की भाषा को देखकर लगता है कि अब इनके बीच में सिर्फ सड़क पर आपस में लड़ाई होना ही बाकी रह गया है लेकिन यह इस तरह की बयान बाजी ठीक नहीं है जब भी डोटासरा शिक्षा मंत्री थे तब उन पर उनके परिवार के लोगों को परीक्षा में पास करने और नौकरी दिलवाने के आरोप लगे अब राजेंद्र सिंह राठौड़ की पार्टी राजस्थान और केंद्र दोनों जगह सरकार में है अगर यह आरोप में कुछ दम है तो इसकी जांच कराई जाए और जो भी दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की जाए लेकिन दोनों नेता क्योंकि सदन के पुराने साथी भी रहे हैं सिर्फ पूरी सोशल मीडिया पर फॉलोवर्स बढ़ाने के लिए इस तरह की बयानबाजी नहीं करें तो ज्यादा अच्छा है क्योंकि आप लोगों को जनता की नजर में बहुत सम्मान है दोनों को गंभीरता से भी दिया जाता है ऐसे ऐसे में दोनों नेताओं को भी जब आप एक दूसरे को भाई मानते हो दोस्त बताते हो कभी डोटासरा जी राठौड़ जी को बड़ा भाई बताते हैं और फिर इस तरह की बयान बाजी करते हैं तो यह सारा सब ठीक नहीं।
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