जयपुर। विश्व मातृभाषा दिवस पर आखर पोथी कार्यक्रम में राजस्थानी भाषा की तीन पुस्तकों धाराळी कलम, भटकै ’विज्ञ’ चकोर और गाम परगाम ने मौसर का लोकार्पण किया गया। लोकार्पण किया गया। इस कार्यक्रम में मायड़ भाषा के मधुर गीतों की प्रस्तुति को श्रोताओं ने सराहा।
इस अवसर पर वरिष्ठ व्यंग्यकार यशवंत व्यास ने मालवी में बोलते हुए कहा कि मातृभाषा में सृजन स्थाई और समाज के जीवन मूल्यों को संरक्षित करने वाला होता है। इसके माध्यम से हमारी सभ्यता और संस्कृति की रक्षा होतीे है। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए राजस्थान लोक सेवा आयोग के पूर्व अध्यक्ष ललित के. पंवार ने राजस्थानी भाषा में प्रस्तुत किए गए गीतों और काव्य पाठ की प्रशंसा की। उन्होंने कहा कि राजस्थानी भाषा हमारे जीवन का अभिन्न हिस्सा है। हम अभी भी अपनी भाषा को भूले नहीं है।


मायड़ भाषा पर राजस्थानी के नाद सौंदर्य से श्रोताओं का परिचय करवाते हुए विभिन्न अंचलों हाड़ौती, मेवाड, मारवाड़, शेखावाटी आदि के कवियों और गीतकारों ने कविताएं और गीतकारों ने कविताएं और गीत गाकर सुनाएं। इनमे देवीलाल महिया ने मोर पपीहा काग चिड़ी, कोटा के मुरलीधर गौड़ ने गुरू महिमा और बालिका शिक्षा, और विमला महरिया ने गणेश निमंत्रण और सामाजिक कुरीतियां, मोहन पुरी ने गांव के जन जीवन को अभिव्यक्त किया। इस अवसर पर फारूख आफरीदी, ईश्वर दत्त माथुर, महेश शर्मा, साधना गर्ग, कैलाश शर्मा, तनया गडकरी आदि उपस्थित रहे।


प्रारंभ में प्रदक्षिणा पारीक ने मातृभाषा दिवस का महत्व बताने के साथ अतिथियों और लेखकों का परिचय दिया। अंत में ग्रासरूट मीडिया के फाउंडेशन प्रमोद शर्मा ने प्रभा खेतान फाउंडेशन की प्रेरणा से होने वाले कार्यक्रमों की जानकारी देते हुए धन्यवाद ज्ञापित किया।

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