जयपुर। जयपुर लोक सभा सीट चुनाव पर भाजपा उम्मीदवार मंजू शर्मा और कांग्रेस उम्मीदवार प्रताप सिंह खच्चरियावास के बीच होना है। लेकिन अब तक के चुनाव प्रचार अभियान को देखा जाए तो कांग्रेस उम्मीदवार प्रताप सिंह खाचरियावास इसमें कहीं नजर नहीं आते। कुछ विधानसभा इलाकों में प्रताप सिंह खाचरियावास ने कार्यालय जरूर खोले हैं । लेकिन वे काफी डरे और सहमें नजर आ रहे हैं ।खास तौर पर उन्होंने चुनाव लड़ने से पहले ही जैसे हार मान ली हो। वह यह कहते भी सुन जा रहे हैं कि जयपुर की मालवीय नगर, सांगानेर ,विद्याधर नगर ,झोटवाड़ा ,हवा महल , जयपुर ग्रामीण सीट पर बीजेपी का कब्जा है, कांग्रेस सिर्फ किशनपोल और आदर्श नगर सीट पर ही काबिज है। ऐसे में उन्हें अपनी संभावित हार नजर आ रही है और इसलिए उन्होंने लड़ने से पहले ही घुटने टेक दिए। वैसे प्रताप सिंह खाचरियावास को तेज सर्राग और लड़ाकू नेता माना जाता है । लेकिन इस बार लोकसभा चुनाव में तो जैसे उनकी बोलती बंद हो गई। उनकी अपील भी आ रही है तो काफी घबराई हुई सी आ रही है ,जिसमें जोश नाम की बिल्कुल भी चीज नहीं है। माना की जयपुर शहर बीजेपी का गढ़ है और यहां अधिकांश बार भारतीय जनता पार्टी के ही सांसद चुने गए हैं। सिर्फ तीन बार कांग्रेस के सांसद चुने गए हैं । लेकिन उनसे पहले कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ने वाले नेताओं ने चुनाव से पूर्व यानी मतदान से पूर्व कभी भी बैक फुट पर नहीं आए लास्ट तक लड़े भले चुनाव हारे लेकिन बीजेपी से चुनाव लड़ने वाले उम्मीदवारों को हमेशा टेंशन में रखा। मतदान के अंतिम दिन तक पूरी ताकत लगते थे जबकी उन्हें पता था कि जयपुर शहर में कांग्रेस का उम्मीदवार कभी जितता नहीं है। इससे पूर्व एक बार पहले खुद प्रताप सिंह ने लोक सभा चुनाव लड़ा था और बड़ी मजबूती के साथ चुनाव लड़ा था और बहुत ही कम मार्जिन यानी कि लगभग 1 लाख वोटो से ही वह चुनाव का हारे थे। प्रताप सिंह खाचरियावास नहीं तो इस बार पहले चुनाव लड़ने वाले उम्मीदवारों ने लड़ाई से पहले ही मैदान छोड़ दिया हो इस बार तो प्रताप सिंह खाचरियावास लड़ाई से पहले ही मैदान छोड़ चुके हैं जबकि जयपुर शहर में कांग्रेस पार्टी के कार्यकर्ताओं की कमी नहीं है लेकिन मैं तो कांग्रेस के कार्यकर्ताओं में जोश है और नहीं चुनाव लड़ने वाले प्रताप सिंह खच्चरियावास में जब टीम का लीडर खुद पहले ही हार मान चुका हो तो फिर टीम में जोश कहां से रहेगा कांग्रेस की कार्यकर्ताओं का कहना है कि हमारे लीडर ने तो मुकाबला करने से पहले ही मैदान छोड़ दिया अब जो कांग्रेस को वोट मिलेगा वह सिर्फ कांग्रेस के परंपरागत वोट ही मिलने वाले हैं क्योंकि कांग्रेस पार्टी भले ही किसी को टिकट देती हो जो परंपरागत वोट है वह कांग्रेस पार्टी के उम्मीदवार के नाम नहीं जाकर पार्टी के नाम ही पढ़ते हैं जब पहली बार सुनील शर्मा का टिकट काटकर प्रताप सिंह का नाम सामने आया था तब लोगों को लग रहा था कि अब मुकाबला रोचक होगा और प्रताप सिंह खच्चर आवास इस मुकाबले को टक्कर पर लेंगे लेकिन प्रताप सिंह खाचरियावास ने जिस तरह से चुनाव अभियान की शुरुआत की है सुस्त गति से वे कहीं प्रचार में बहुत ज्यादा आक्रामक में नहीं हो रहे भाग थोड़ी भी नहीं कर रहे यानी उन्होंने सोच लिया कि यह उन्हें दिख रहा है कि मैं चुनाव हार रहा हूं पार्टी चुनाव हार रही है ऐसे में उन्होंने अपने आप को मुकाबले से ही दूर कर लिया लेकिन ऐसा नहीं है कि कांग्रेस पार्टी ने जयपुर शहर में कभी चुनाव नहीं जीत हो जब महेश जोशी जयपुर शहर से चुनाव लड़े थे तब भी ऐसा लग रह महेश जोशी चुनाव हारने वाले हैं क्योंकि उनका मुकाबला दिग्गज नेता घनश्याम तिवारी से था लेकिन महेश जोशी और उनके समर्थकों ने जयपुर शहर में पहले दिन से ही लड़ाई को लड़ाई की तरह लड़ा और युद्ध में जब टीम लीडर में जोश होता है तो टीम में भी जोश होता है लेकिन यहां तो प्रताप सिंह खाचरियावास का जोश पहले दिन से ही हताश और निराश नजर आता है। इसीलिए वे मुकाबले में भी कहीं नजर नहीं आ रहे हैं और कांग्रेस के लोगों का कहना है कि जब टीम का लीडर हताश निराश और लड़ने से पहले ही मैदान छोड़ चुका हो, उसे उम्मीद नहीं की जा सकती।

यही कारण है कि भारतीय जनता पार्टी जयपुर शहर से अपनी जीत 8 लाख से ऊपर मान कर चल रही है। पिछली जीत का आंकड़ा 5 लाख तक था। इस बार जयपुर शहर के बहुत सारे कार्यकर्ता कांग्रेस के नेता पार्षद कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में शामिल हो चुके हैं इसके बावजूद भी कांग्रेस पार्टी को कांग्रेस का परंपरागत वोट मिलना तय है ।लेकिन अब लोगों में भी इस बात को लेकर निराशा आने लगी है कि जब हमारे लिए लड़ने वाला खुद ही बैक फुट पर है तो फिर आखिरकार वह किसके लिए लड़ेंगे और वह किसके लिए वोट देंगे।

दूसरी और भारतीय जनता पार्टी ने पूर्व मंत्री स्वर्गीय भंवर लाल शर्मा की बेटी मंजू शर्मा को चुनाव मैदान में उतारा है। उनकी छवि इस कदर है कि हर आदमी उनमें अपनी बड़ी बहन देखता है । भले ही वह किसी भी पार्टी का हो और अब उन्हें लगता है कि क्यों नहीं मंजू दीदी के साथ ही खड़ा हुआ जाए। लेकिन सबसे बड़ी बात है कि भारतीय जनता पार्टी इस चुनाव को बिल्कुल भी हल्के में नहीं ले रही है। वह पहले दिन से ही चुनाव को बहुत मजबूती के साथ लड़ रही है। दिन में 20- 25 अलग-अलग स्थान पर जनसंपर्क हो रहे हैं। कई कई सभाएं हो रही है। छोटे से लेकर बड़ा नेता ,पार्षद से लेकर मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा तक मंजू शर्मा के लिए काम कर रहा है। वह यह जानते हैं कि जयपुर शहर में हम मजबूत है। जयपुर शहर भाजपा का गढ़ है और वह यह भी जानते हैं कि पिछला चुनाव 5:30 लाख से जीते थे और अभी जयपुर में ही नहीं पूरे देश में मोदी की हवा चल रही है, तो उसका लाभ भी स्वाभाविक रूप से जयपुर में भी प्रत्याशियों को मिलेगा। लेकिन इसके बावजूद उन्होंने इस चुनाव को बिल्कुल भी हल्के में नहीं लिया और पहले दिन से ही पूरी पावर और ताकत के साथ भाजपा चुनाव को लड़ रही है । उनके कार्यकर्ताओं में जोश है और इस जोश का फायदा चुनाव में जरूर मिलता है। जब सामने वाली टीम हार मान चुकी हो और अपने आप को दौड़ से ही बाहर कर चुकी हो तो फिर यह जोश कई गुना बढ़ जाता है। देखना यह है कि चुनाव तक क्या प्रताप सिंह इस चुनाव को चुनाव की तरह लड़ते हैं या सिर्फ खाना पूर्ति करने के लिए लड़ते हैं ।फिलहाल तो उनके रूख और कांग्रेस पार्टी कार्यकर्ताओं का निराशाजनक माहौल इस बात को जाहिर करता है कि कांग्रेस पार्टी जैसे चुनाव लड़ना ही नहीं चाहती, वह तो सामने वाले को थाली मैं सेट पुरस्कार देना चाहती हो परोस कर पुरस्कार देना चाहती है।

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