भजनलाल सरकार ने की अधिकांश योजनाएं बंद

आम आदमी को नहीं मिल रहा योजनाओं का लाभ

लोकसभा चुनाव में पड़ेगा इसका असर

जयपुर। राजस्थान के एक नागरिक समाज समूह (भारत जोड़ो अभियान – राजस्थान) द्वारा 16 लोकसभा चुनाव-क्षेत्रों में किए गए एक सर्वेक्षण ने पाया है कि कांग्रेस की गहलोत सरकार के समय की योजनाओं के लाभ अधिकांश उत्तरदाताओं को नहीं मिल रहे हैं। इस सर्वेक्षण में IVR तकनीक द्वारा सर्वेक्षण में भाग लेने की सहमति देने वाले लोगों से सिर्फ़ तीन सवाल पूछे गए। पहला सवाल यह मापने की कोशिश किया कि गेहलोत सरकार की योजनाओं का लाभ कितने लोगों को अब नहीं मिल रहा है। दूसरे प्रश्न में यह पूछा गया कि इस समस्या से प्रभावित उत्तरदाता इसके लिए किसे ज़िम्मेदार मानते हैं और अंततः, आगामी लोकसभा चुनाव में उत्तरदाता किसको अपना वोट देना चाहते है।

56% उत्तरदाताओं ने योजनाओं का लाभ ना मिलने का दोष राज्य में भजनलाल शर्मा की भाजपा सरकार को दिया जबकि 80 फ़ीसद उत्तरदाताओं ने बताया कि उन्हें योजनाओं के लाभ नहीं मिल रहे हैं । यहाँ ध्यान देने वाली बात यह है कि जिन लोगों को उनके हक़/लाभ ना मिल पाने से परेशानी हो रही है उनमें से अधिकतर लोगों का आगामी लोकसभा चुनावों में मतदान सम्बंधी रुझान कांग्रेस की ओर है। योजनाओं का लाभ ना मिल पाने से परेशानी झेल रहे लोगों में से 60% ने कांग्रेस को वोट डालने का इरादा ज़ाहिर किया जबकि एक-तिहाई लोगों ने भाजपा को वोट देने की मंशा बताई।

योजनाओं का लाभ ना मिल पाने की समस्या सबसे ज़्यादा बाँसवाड़ा लोकसभा क्षेत्र में देखी गई जहाँ 90% उत्तरदाताओं को लाभ नहीं मिला, वहीं भरतपुर और टोंक में 86% लोगों ने योजनाओं का लाभ रुक जाने सम्बंधी परेशानी बताई। वहीं दूसरी ओर, अलवर लोकसभा क्षेत्र में इसका प्रभाव कम देखने को मिला जहाँ 75% उत्तरदाताओं ने गहलोत सरकार के समय की कम-से-कम एक योजना के तहत लाभ ना मिलने की समस्या बताई।

यह सर्वेक्षण राज्य के 25 में से 16 लोकसभा चुनाव-क्षेत्रों के 3,968 लोगों के बीच किया गया। ये चुनाव-क्षेत्र राज्य के सभी अंचलों में स्थित हैं। सर्वेक्षण में शामिल चुनाव-क्षेत्रों में कुछ जगहों पर चुनाव प्रथम चरण में होंगे और कुछ जगहों पर द्वितीय चरण में। इस IVR सर्वेक्षण में पद्धति सम्बंधी बंदिशों के चलते उत्तरदाताओं के प्रोफ़ाईल सम्बंधी कोई जानकारी नहीं पूछी गई।

इस सर्वेक्षण के नतीजों को इस संदर्भ में समझना ज़रूरी है कि इन योजनाओं का लाभ पाने वाले लाभार्थी अधिकतर आर्थिक तौर पर कमज़ोर वर्गों से हैं और ऐतिहासिक दृष्टि से देखा जाए, तो वे कांग्रेस को प्राथमिकता देते हैं। राजस्थान की भाजपा सरकार ने ज़ोर देकर कहा है कि कोई भी कल्याणकारी योजना रोकी नहीं गई है लेकिन अधिकतर उत्तरदाताओं ने कहा कि जो लाभ उन्हें मिलने चाहिए थे वे उन्हें नहीं मिल रहे हैं। लाभ ना मिलने वाले लाभार्थियों की मतदान सम्बंधी प्राथमिकताओं का ट्रेंड सभी चुनाव-क्षेत्रों में कमोबेश एक जैसा देखा गया।

पिछले साल के अंत में राज्य में भाजपा के सत्ता में आने के बाद पूर्ववर्ती गहलोत (कांग्रेस) सरकार की कई कल्याणकारी योजनाओं के लाभ लोगों को मिलना बंद हो गए हैं। कई योजनाओं के नाम बदल दिए गए और कुछ योजनाओं में संरचना-गत बदलाव कर दिए गए हैं। इनमें सामाजिक सुरक्षा पेंशन (जिसमें लाभार्थियों की संख्या 95 लाख है), मुख्यमंत्री आयुष्मान आरोग्य योजना (जिसका नाम पहले चिरंजीवी योजना था और इसका लाभ 1.25 करोड़ परिवारों को मिल रहा था), अन्नपूर्णा फ़ूड पैकेट योजना (जिसका लाभ 1.10 करोड़ परिवारों को मिल रहा था), और रोज़गार सम्बंधी योजनाएँ शामिल हैं।

यह सर्वेक्षण जाने-माने राजनीतिक विश्लेषक प्रोफ़ेसर संजय लोढ़ा के मार्गदर्शन में किया गया जो सलाहकार के तौर पर इससे जुड़े थे।

Spread the love

Leave a Reply

Your email address will not be published.