जयपुर। झालाना डूंगरी लेपर्ड सेंचुरी से निकलकर एक तेंदुआ झलाना डूंगरी लेपर्ड सेंचुरी से सटे मालवीय नगर इंडस्ट्रियल एरिया में घुस गया। यहां पर एक फैक्ट्री के गार्ड पर हमला कर दिया जिससे फैक्ट्री का गार्ड घायल हो गया। इसके बाद आसपास की फैक्ट्री में तेंदुए की जानकारी मिलने के बाद दहशत का माहौल पैदा हो गया।
वहीं फैक्ट्री में मां ,बेटी और एक महिला ने अपने आप को घर में कैद किया । लोगों की सूचना पर मौके पर पहुंची वन विभाग की टीम ने बड़ी मुश्किल से लेपर्ड को ट्रेंकुलाइज कर पकड़ कर उसे वापस झालाना डूंगरी लेपर्ड सेंचुरी में छोड़ दिया।
लेकिन इस दौरान पूरे इलाके में दहशत का माहौल रहा। लोग फैक्ट्री में कैद रहे। बाहर पुलिस , दमकल विभाग के कर्मचारी और वन विभाग के कर्मचारी तेंदुए को खोजते रहे बाद में वन विभाग की टीम ने तेंदुए को ट्रेंकुलाइज करने की कोशिश की, दो निशाने फेल होने के बाद तीसरी बार जाकर तेंदुए को ट्रेंकुलाइज किया गया।
इसके बाद बेहोशी की हालत में उसे पड़कर वन विभाग की टीम झालाना डूंगरी से लेपर्ड सेंचुरी में ले गई ,जहां उसे होश आने पर छोड़ दिया गया । लेकिन इससे पूर्व लेपर्ड ने वहां दो-तीन लोगों पर हमला किया। जिनमें से दो लोगों की हालत गंभीर है। एक गार्ड के सर में कई टांके आए हैं, वहीं दूसरे के भी गंभीर चोट आई है। माना जा रहा है कि गर्मी के चलते कई बार पानी की तलाश में लेपर्ड पार्क से निकलकर आसपास के इलाके में घुस जाते हैं।
मालवीय नगर इंडस्ट्रियल एरिया बिल्कुल सटा हुआ है जो कभी झालाना डूंगरी का ही हिस्सा हुआ करती थी। लेकिन अब वह मालवीय नगर इंडस्ट्रियल एरिया का हिस्सा है ।इसलिए वहां लेपर्ड का आना कोई नई बात नहीं है ।
स्थानीय लोगों ने बताया कि सुबह उन्होंने दो लेपर्ड देखे थे एक लेपर्ड नाले में कूद गया और दूसरा फैक्ट्री एरिया में घुस गया, जिसके चलते इतनी दहशत हो गई । 2 घंटे तक इलाके में कर्फ्यू जैसा माहौल रहा ।लोग अपनी अपनी फैक्ट्री में कैद रहे और वन विभाग और अन्य लोग भी बचने की जगह तलाशते रहे।
तेंदूएं ने नहीं लोगों ने किया उनके घरों पर कब्जे लोगों का कहना है कि झालाना डूंगरी इलाका जवाहर नगर कच्ची बस्ती से लेकर मालवीय नगर इंडस्ट्रियल एरिया तक फैला हुआ है और यहां पर बड़ी संख्या में तेंदुए और दूसरे जंगली जानवर निवास करते हैं। लेकिन समय के साथ आए बदलाव ने झालाना डूंगरी की तरह से लेकर जवाहर नगर में लाखों की संख्या में बसे कच्ची बस्तियों में लोगों ने और मालवीय नगर इंडस्ट्रियल एरिया में भी बड़ी संख्या में फैक्ट्रियां बनी हुई है जिनमें काम चल रहा है,और लोग रह रहे हैं ।दरअसल लोगों ने तेंदुआ और जंगली जानवरों की टेरिटरी पर कब्जे कर लिए हैं । ऐसे में जब जंगली जानवरों की संख्या बढ़ती है तो वह अपनी टेरिटरी ढूंढने के लिए आगे बढ़ते हैं, ऐसी स्थिति में यह नहीं कर सकते कि तेंदुआ ने जंगल छोड़कर लोगों पर हमला किया, बल्कि लोग यह कहते हुए सुने गए कि जब तुम किसी के घर पर कब्जा करोगी तो वह पलटवार तो करेगा ही और तेंदुए कई बार झालाना में, कई बार जवाहर नगर में कई बार टोंक रोड तक और कई बार कपूरचंद कुलिस गार्डन तक भी वार कर चुके हैं । लेकिन मनुष्य बोल सकता है इसलिए उसकी भाषा सब समझते हैं ।वह पशु है ,जानवर है, जंगल का प्राणी है।
इसलिए वह अपनी भाषा में समझाना चाहता है लेकिन वह अपने ही इलाके में विचरण करता है। जब विचरण करता हुआ रियासी इलाके में घुस जाता है तब उसे भगाने के लिए लोग कई तरह के साधन अपनाते हैं। शुक्र है कि वह शहर के हिस्से में था जहां वन विभाग के लोगों ने ट्रेंकुलाइज करके उसे से सकुशल जंगल में छोड़ दिया। यदि वही किसी ग्रामीण इलाके में तो होता तो ग्रामीण तो लट मार कर उसे मार ही देते, तो हमें सोचना होगा कि वाकई में कब्जा किसने किसके घर पर किया है और दोषी कौन है?