जयपुर । देश के अलग-अलग हिस्सों में अक्षय तृतीया का पर्व मनाया जा रहा है ।अक्षय तृतीया को आखातीज के नाम से भी जाना जाता है। हिंदू और जैन धर्म में अक्षय तृतीया को मनाया जाता है ।राजस्थान ,मध्य प्रदेश ,छत्तीसगढ़ में आखा तीज के दिन सबसे ज्यादा विवाह होते हैं। अक्षय का शाब्दिक अर्थ स्वयं अविनाशी या अमर इसका मतलब है कि आज के दिन किया हुआ काम सफल होगा और उसको अच्छा आशीर्वाद भी प्राप्त होगा । इसीलिए आज के दिन बगैर किसी मुहूर्त के शादी विवाह करने की परंपरा है । आज के दिन लोग कुंडलिया भी नहीं मिलाते और विवाह करते हैं। उनका मानना है कि आज के दिन किया हुआ विवाह सफल होता है । हिंदू पंचांग के अनुसार वैशाख माह के तीसरी तिथि को ही अक्षय तृतीया कहा जाता है। यह वैसाख माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया कहलाती है । इस दिन को लेकर लोगों में बहुत सारी मान्यताएं हैं। जिनमें प्रमुख है कि आज के दिन किया हुए कार्य शुभ होते हैं ।इस दिन धन योग के साथ रवि योग शुक्र, मालवीय योग और कई शुभ योग बनते हैं । इसलिए राजयोग में मां लक्ष्मी और भगवान कुबेर की पूजा करने से कई गुना अधिक शुभ की प्राप्ति होती है।

आज के दिन ही भगवान परशुराम की जयंती भी होती है भगवान परशुराम को भगवान विष्णु का अवतार माना जाता है।

आखा तीज

आखा तीज अक्षय तृतीया यानी की आखातीज आज के दिन राजस्थान में खासतौर पर ग्रामीण इलाकों में वैवाहिक कार्यक्रमों की भरमार है । लोग आखातीज के दिन विवाह करने के लिए पूरे साल भर इंतजार करते हैं और इस दिन बगैर किसी मुहूर्त के बगैर किसी कुंडली मिलाए ही लोग विवाह करते हैं ।आज के दिन बड़ी संख्या में विवाह होते हैं ।पहले लोग बाल विवाह भी आज के दिन सबसे ज्यादा करते थे ।लेकिन पिछले कुछ सालों से शिक्षा का विस्तार हुआ है । लोगों में सामाजिक जागरूकता बड़ी है और प्रशासन की कठोर कार्रवाई के चलते अब लोग बाल विवाह काम करने लगे हैं । क्योंकि सरकार ने पंडित जी से लेकर हलवाई ,टेंट वाला, फोटोग्राफर ,वीडियोेाग्राफर और समस्त रिश्तेदारों पर भी इस बात की पाबंदी लगा दी है कि यदि कोई भी व्यक्ति इस तरह के बाल विवाह में शामिल होता है तो उसके खिलाफ भी मुकदमा दर्ज किया जाएगा । इसके साथ ही गांव के सरपंच ,वार्ड पंच, जिला परिषद सदस्य, महिला बाल विकास विभाग की आंगनवाड़ी की कार्यकर्ताओं को भी इस पर निगरानी रखने की जिम्मेदारी दी गई है। इसके चलते इसका असर यह है कि अब बाल विवाह कम होते हैं। लेकिन कई गांव में लोग अपनी बड़ी बेटियों के साथ-साथ छोटी बेटियों का एक दिन पहले या एक दिन बाद विवाह कर ही देते हैं ।लोगों की सोच है कि अक्षय तृतीया पर किया गया विवाह सफल होगा और यह विवाह खंडित नहीं होगा ऐसी मान्यता है।

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