जयपुर। जयपुर नगर- निगम ग्रेटर और हेरिटेज में इन दिनों सौंदर्यकरण के नाम पर करोड़ों रुपये खर्च किए जा रहे है। दरअसल आपने शहर के इलाकों में इन दिनों सड़क किनारे लगी पुरानी टाइल्स को हटाकर नई टाइलें लगाते देखा होगा। जयपुर के राजापार्क, जवाहर नगर, दिल्ली बाईपास, मालवीय नगर, सिंधी कॅालोनी सहित अधिकांश इलाकों में सड़क किनारे लगी पुरानी टाइलों को उखाड़कर उनके स्थान पर नई टाइलें लगाने का काम किया जा रहा है। जबकि वास्तव में उनको हटाने की आवश्यकता नहीं है। लेकिन नगर निगम में बैठे अधिकारियों को जनता का पैसा कैसे ठिकाने लगाया जाए और कैसे कमीशन कमाया जाए इसकी चिंता है। यही कारण है कि ठेकेदार निगम अधिकारियों की मिली भगत से इस तरह के काम को अंजाम दे रहे है। सबसे खास बात है कि ठेकेदार भी इन टाइल्स लगाने के काम से दोहरा लाभ कमा रहा है। एक तो नई टाइल्स लगाकर निगम से इसका पैसा वसूल रहा है। दूसरा पुरानी टाइल्स को हटाकर उन्हें अपने काम में ले रहा है। जिसे दूसरे स्थान पर लगाकर पैसा कमा सकता है। सबसे खास बात है कि इन टाइल्स को लगाने में किसी भी तरह की सीमेंट बजरी का उपयोग नहीं किया जाता है। इसलिए इन टाइल्स के नीचे मिटी ही बिछाई जाती है। साइड वाली टाइलों को जोड़ने के जरुर मसाले का उपयोग किया जाता है। इसमें भी मोटी कमाई हो रही है। क्योंकि सब जगह कमीशन फिक्स है। सबसे खास बात है कि इऩ टाइल्स का पैसा कहीं पर विधायक कोष से खर्च हो रहा है तो कहीं पर सांसद कोटे तो कहीं पर ये पैसा खुद नगर निगम भी लगा रहा है। लेकिन इन अधिकारियों से कौन पूछे की आखिर साल- या छह महीने पहले फुटपाथ पर डाली गई सही टाइल्स को भी सौंदर्यकरण के नाम पर क्यों हटाया जा रहा है। जबकि वे सही है। लेकिन सब जगह लेन- देन का खेल चल रहा है। जहां ठेकेदार नई टाइल्स लगाने के नाम पर भी पैसा वसूल रहा है और पुरानी टाइलों को बेचकर भी अपनी जेब भर रहा है।

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