जयपुर। राजस्थान सरकार की और से शुरु की महात्मा गांधी अंग्रेजी माध्यमिक स्कूलों में अब सरकार निजी मास्टरों की भर्ती करेगी। जिन्हें पढ़ाने के बदले 21 हजार से लेकर 31 हजार रुपये तक मासिक मिलेगे। लेकिन शिक्षा विभाग इन टीचर्स की भर्ती कैसे करेगा इसका कोई खास खाका तैयार नहीं किया गया है। क्या विभाग इसके लिए अंग्रेजी माध्यम से स्नातक बच्चों को उनकी पर्सेंटेज के आधार पर चयन करेगा। या फिर उनकी अंग्रेजी बोलने की कला के माध्यम से सलेक्शन करेगा। राज्य सरकार को चाहिए की अंग्रेजी मास्टरों की भर्ती के लिए नियम कायदे जरुर तय किेए जाए। वरना तो सब अपने- अपने लोगों को भर लेंगे। जिसका सबसे ज्यादा खामियाजा आरक्षित वर्ग के लोगों को होगा। क्योंकि जब नियम – कायदों में होने वाली भर्तियों में ही आरक्षित वर्ग के साथ न्याय नहीं होता तो ये सीधी- सीधी नौकरी ही हैड मास्टर के हाथ में देने की ताकत है जिससे आरक्षित वर्ग के युवाओं के साथ अन्याय होगा। इसलिए सरकार को शिक्षित वर्ग के साथ न्याय करते हुए इसके लिए कोई न कोई मापदंड तय करने चाहिए। जिसमें सभी वर्गों को उनकी योग्यता के आधार पर ही भर्ती किया जाना चाहिए।

संविदा पर नहीं होती आरक्षण के नियमों की पालना

सरकारी अस्पतालों, सरकारी कॅालेजों, अऩ्य सरकारी महकमों में संविदाकर्मियों की भर्ती के समय आरक्षित वर्ग के हितों की रक्षा नहीं की जाती है। आज भी मेडिकल कॅालेजों, अस्पतालों , नगर निगम, बोर्ड, आयोगों में जो संविदाकर्मी काम कर रहे है वहां का रिकार्ड खंगाल कर देख लो एससी, एसटी, ओबीसी, एमबीसी और ईडब्लूूूयूसी के आरक्षण नियमों की पालना नाम मात्र की भी नहीं हो रही ङै। एससी, एसटी, ओबीसी, अल्पसंख्यक महासंघ के अध्यक्ष राजपाल मीणा और आरक्षित वर्ग कर्मचारी महासंघ के अध्यक्ष रामस्वरुप मीणा का कहना है कि संविदा पर आरक्षण नियमों की पालना नहीं होने से आरक्षित वर्ग के लोग रोजगार से वंचित रह जाते है। जबकि कुछ दिनों बाद सरकार संविदाकर्मियों को ही नियमित कर देती है। महासंघ के नेताओं ने महात्मा गांधी स्कूलों में भी होने वाली भर्ती में आरक्षण नियमों की पालना की मांग की है।

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