धारीवाल, बयानों से चलाए बाण, आलाकमान क्यों है खामोश,

मुख्यमंत्री गहलोत की शह तो कैसे चले आलाकमान का डंडा

पायलट पर साधते रहते है खुले आम निशाना

जयपुर। यूडीएच मंत्री शांति धारीवाल बेबाक, बेलगाम और बड़बोले हो गए है। आए दिन कोई न कोई विवादास्पद बयान देते रहते हैं। हालांकि वे विधानसभा में भी जब बोलते है तो विपक्ष की बोलती बंद कर देते है। लेकिन इऩ दिनों उन्होंने सचिन पायलट के खिलाफ  हल्ला बोलने में कोई कसर नहीं छोड़ रखी है। जब मौका लगता है तब वे पायलट के खिलाफ जहर उगलते है। हालांकि पिछले लंबे समय से सचिन पायलट और उनके समर्थकों का धर्य भी लाजवाब है। पायलट खेमा चूपचाप सुन रहा है और पार्टी आलाकमान तक शांति धारीवाल सहित अन्य नेताओं के बड़बोलेपन के बयान रिकार्ड करके दिल्ली भेज रहा है। लेकिन आखिर क्यों नहीं पार्टी आलाकमान शांति धारीवाल को चुप रहने को बोल रहा है या घर भेज रहा है ये समझ से परे है। आलाकमान से शिकायत पर 2001 में छिना था यूडीएच मंत्रालय

शांति धारीवाल पहली बार 1998 में गहलोत सरकार में यूडीएच मंत्री बने थे। यूडीएच मंत्री के तौर पर उऩ्होंने जयपुर, कोटा, जोधपुर और उदयपुर में जो कार्य आज भी धारीवाल को याद किया जाता है। लेकिन उस दौरान उन पर  विधायकों ने कई आरोप लगाए। भ्रष्टाचार के आरोप लगे । उन आरोपों की शिकायत दिल्ली तक हुई तो उन्हें मुख्यमंत्री गहलोत ने यूडीएच महकमे से हटा दिया था। इसके यूडीएच का महकमा  स्वर्गीय तकीऊद्दीन अहमद के पास आया। लेकिन उऩ पर लगे आरोपों के बाद आज क्या हुआ किसी को पता नहीं चला। इसके बाद जब फिर 2008 में सरकार बनी तो फिर से शांति धारीवाल को यूडीएच मंत्री बनाया गया। मंत्री बनने के बाद फिर से उन पर खूब आरोप लगे। लेकिन मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने उनका महकमा नहीं बदला। अब फिर तीसरी बार मुख्यमंत्री अशोक गहलोत बने हैं तो यूडीएच का महकमा शांति धारीवाल को ही बनाया गया।  धारीवाल भी तमाम विवादों के बाद विकास कार्यों में अव्वल रहे है। इसमें कोई दो राय नहीं है। जितने आधूनिकीकरण के कार्य हुए जयपुर. अजमेर, कोटा, झालावाड़, जोधपुर, उदयपुर और बीकानेर में वे शांतिधारीवाल के यूडीएच मंत्री रहते हुए ही हुए। इसमें कोटा में तो क्या काम हुए कोटा को जिसने 20 साल पहले देखा था और अब देखे तो उसे लगेगा कि वाकई में बदलाव हुआ है। लेकिन इस दौरान शांति धारीवाल पर भ्रष्टाचार के आरोप तो खूब लगे लेकिन साबित कोई भी नहीं हो सका। विधानसभा में भी विपक्ष उऩ्हें घेरने में विफल ही रहता है। लेकिन वे पार्टी के कई विधायकों के निशाने पर जरुर रहते है। 

धारीवाल की बदजूबानी बढ़ती गई

धारीवाल लंबे समय से यूडीएच मंत्री  रहे है इस दौरान उनकी बदजूबानी के कई किस्से सामने आए । एक बार तो विधानसभा में शांति धारीवाल ने कुत्ते को गोली किसने मारी बोल दिया था। जिसके विरोध में विपक्ष ने सदन में दो दिन तक धरना दिया। सदन की कार्यवाही ठप्प हो गई। आखिरकार सदन से ये बयान हटाना पड़ा और धारीवाल को माफी मांगनी पड़ी। ये ही नहीं धारीवाल कई बार अपनी ही पार्टी के विधायकों और मंत्रियों के खिलाफ भी उल्टे सीधे बयान देकर फंस चुके है। 

सचिन पायलट के खिलाफ बयानबाजी

जबसे गहलोत और सचिन पायलट के बीच दरार बढ़ी है , उसके बाद से तो शांति धारीवाल कोई मौका  ही नहीं छोड़ते ,जब वे उन पर जूबानी हमला करते है। आए दिन सचिन पायलट के खिलाफ बयान देना शांति धारीवाल की फितरत बन गई है। कई बार उऩके बयानों को लेकर विवाद हो गया। इसके बावजूद आलाकमान की चूपी पार्टी के लिए खतरनाक साबित होगी। लोगों का कहना है कि कहीं न कहीं  धारीवाल पार्टी को सींच तो नहीं रहे। पार्टी के बड़े नेताओं तक खेल तो नहीं चल रहा है। जब ही तो धारीवाल इस तरह के बयान देते है। अभी हाल में उन्होंने गजेंद्र सिंह शेखावत केंद्रीय मंत्री और सचिन पायलट की मिली भगत को लेकर कहा कि ये सच ही है दोनों मिले हुए है। दरअसल में खुद केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ये बयान देकर फंस गए कि सचिन पायलट से चूक हो गई वरना राजस्थान में भी मध्य प्रदेश के हालात होते । ईआरसीपी लागू हो चुकी होती तो 13 जिलों में सिंचाई और पीने का पानी पहुंच जाता।

 अशोक गहलोत की चूपी

जिस तरह की बयानबाजी धारीवाल कर रहे है। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को भी पता है ,इसके बावजूद गहलोत ने भी कभी उऩके बयानों को लेकर कोई खंडन या विरोध जाहिर नहीं किया। जिससे साफ है कि धारीवाल गहलोत की शह पर ही पायलट के खिलाफ बयानबाजी कर रहे है। पार्टी आलाकमान ने भी आज तक कोई एक्शन नहीं लिया। यहां तक की मुख्यमंत्री तो ये भी कहते है यदि मुझे चौथी बार मुख्यमंत्री बनने का मौका मिला तो यूडीएच मंत्री शांति धारीवाल ही होंगे। जब इस तरह के बयान सीएम देंगे तो फिर शांतिधारीवाल डरेंगे क्यों। यही कारण है कि विधायकों की शिकायतों के बावजूद न तो धारीवाल का महकमा बदला गया और न फर कतरे गए। धारीवाल पर एक्शन लेने से पार्टी आलाकमान और मुख्यमंत्री गहलोत भी डरते है। क्योंकि सदन में और सदन के बाहर बयानों के तीर शांति धारीवाल ही चलाते है। धारीवाल के बयानों के तीरों से विपक्ष भी ढेर हो जाता है। गहलोत का सदन में भी और सदन के बाहर भी ढ़ाल बनकर रक्षा करने में धारीवाल ही आगे रहते है। इसलिए पार्टी में प्रदेश स्तर पर जिस पर अशोक गहलोत का हाथ हो तो फिर उनका कौन क्या बिगाड़ सकता है। इसलिए वे सचिन पायलट सहित कई नेताओं के खिलाफ बेबाक बयान जारी करते रहते है। 

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