मुंबई। महाराष्ट्र में शिवसेना के बगावती नेता एकनाथ शिंदे मुख्यमंत्री बन चुके हैं राज्यपाल भगत कोश्यारी ने उन्हें पद एवं गोपनीयता की शपथ दिलाई है। वहीं भाजपा के देवेंद्र फडणवीस ने उपमुख्यमंत्री के तौर पर शपथ ग्रहण की है। अब से पूर्व यह माना जा रहा था कि देवेंद्र फडणवीस मुख्यमंत्री बनेंगे और एकनाथ शिंदे उपमुख्यमंत्री। लेकिन शपथ ग्रहण के एक घंटे पूर्व जिस तरह से भारतीय जनता पार्टी के शीर्ष नेताओं ने शिवसेना के एकनाथ शिंदे को महाराष्ट्र का नया मुख्यमंत्री बनाने का ऐलान किया। यह खबर सबके लिए चौंकाने वाली थी ।यहां तक कि बीजेपी के नेताओं को भी इस बात का अंदेशा नहीं था कि पार्टी यह निर्णय कर सकती है। लेकिन इसके साथ ही यह साफ हो गया कि भारतीय जनता पार्टी ने एकनाथ शिंदे को मुख्यमंत्री बना कर एक तीर से कई शिकार किए हैं।

भाजपा सत्ता की भूखी नहीं

भारतीय जनता पार्टी के इस फैसले से आम लोगों में यह संदेश जाएगा कि भारतीय जनता पार्टी केवल सत्ता की भूखी नहीं है वह जन भावनाओं के अनुसार काम करती है ।यदि भारतीय जनता पार्टी देवेंद्र फडणवीस को मुख्यमंत्री बनाती और एकनाथ शिंदे को उपमुख्यमंत्री बनाती तो जनता में गलत संदेश जाता। लेकिन भाजपा की एकनाथ शिंदे को मुख्यमंत्री बनाने के साथ ही आम लोगों में साफ तौर पर यह संदेश गया कि भाजपा ने सरकार बदलने के लिए सब खुद की पार्टी की सरकार बनाने के लिए यह काम नहीं किया है ।इसके साथ ही दूसरे राजनीतिक दलों को भी अब भाजपा पर आरोप प्रत्यारोप लगाने का मौका नहीं मिलेगा, क्योंकि भाजपा नेता कह सकेंगे कि वह सत्ता लोलुप नहीं है और उन्होंने हिंदुत्व की विचारधारा का समर्थन करने वाली सबसे बड़ी पार्टी होने के नाते शिवसेना को समर्थन दिया है ।जिससे लोगों की भावनाओं कद्र हो सके।

शिवसेना नहीं करेगी विरोध

महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने भी बगावती नेता और मौजूदा मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे को इस बात के लिए ऑफर किया था कि वह मुख्यमंत्री पद छोड़ने को तैयार है और एकनाथ शिंदे मुख्यमंत्री बन जाए। यहां तक की खुद एनसीपी प्रमुख शरद पवार ने भी उद्धव ठाकरे को यही कहा था कि वह मुख्यमंत्री पद छोड़ दें और एकनाथ शिंदे को ही मुख्यमंत्री बना दे। ऐसे में यह संदेश साफ था कि यदि एकनाथ शिंदे अपने बगावती विधायकों के साथ वापस शिवसेना में लौटते तो भी उन्हें मुख्यमंत्री पद मिलना तय था। अब जब उन्होंने ने मुख्यमंत्री पद की शपथ ली तो शपथ भी बाला साहब ठाकरे के नाम पर ही ली। एकनाथ शिंदे ने साबित कर दिया कि वह असली शिवसेना है और बाला साहब ठाकरे के नाम को ही आगे बढ़ाएंगे। उनके शपथ ग्रहण से पूर्व उन्होंने इस बात का ऐलान कर दिया था कि वे अब तक आघाडी सरकार खुलकर काम नहीं कर पा रहे थे। एकनाथ चंदे के शपथ ग्रहण के बाद महाराष्ट्र के कई इलाकों में शिवसैनिकों ने जश्न मनाया और शिंदे के पक्ष में नारेबाजी की। माना जा रहा है कि आने वाले दिनों में शिवसेना से जुड़े हुए दूसरे विधायक भी शिंदे के साथ जुड़ सकते हैं। क्योंकि उन्होंने शपथ भी बाला साहब ठाकरे के नाम ली है ,तो अब शिवसैनिक उनका विरोध नहीं कर सकेंगे। शिंदे मुख्यमंत्री भी है और केंद्र सरकार का पूरा समर्थन भी है, ऐसे में उप द्रवियो की हिम्मत भी नहीं हो पाएगी।

भाजपा करेगी उद्धव ठाकरे को कमजोर

भाजपा की कोशिश रहेगी कि वह एकनाथ शिंदे को मजबूत करें और उद्धव ठाकरे को कमजोर करें ।भाजपा का पूरा फोकस उद्धव ठाकरे को पूरी तरह से तोड़ना रहेगा और इसके लिए लोगों में यह संदेश जाएगा कि भाजपा शिवसेना को आगे बढ़ाना चाहती है लेकिन उद्धव ठाकरे अब शिवसेना की मूल भावना से अलग हो गए हैं। जबकि एकनाथ शिंदे आज भी हिंदुत्व के मुद्दे पर डटे हुए हैं । वही हिंदुत्व की लड़ाई लड़ रहे हैं । क्योंकि शिवसेना का उदय ही हिंदुत्व की रक्षा के लिए हुआ है। ऐसे में तो शिवसेना से जुड़े हुए लोग हैं जो अब तक उद्धव ठाकरे के साथ थे वह भी अब टूटकर एकनाथ शिंदे के साथ एक मंच पर आने लगेंगे और इसका फायदा बीजेपी को मिलेगा।

बीएमसी चुनाव में बीजेपी को फायदा

भारतीय जनता पार्टी आज भी मुंबई के बीएमसी चुनाव में शिवसेना के मुकाबले कमजोर ही रहती है। ऐसे में बीजेपी को उम्मीद है कि वह एकनाथ शिंदे के साथ मिलकर उद्धव ठाकरे को इन चुनावों में पूरी तरह विफल कर देगी । शिवसेना एकनाथ शिंदे के साथ मिलकर बीजेपी ,बीएमसी चुनाव मिलकर लड़ेगी औऱ बीएमसी पर भाजपा का कब्जा हो सकेगा। भाजपा का एक बार बीएमसी पर कब्जा हो गया तो फिर भाजपा की पकड़ मजबूत हो जाएगी अभी तक भाजपा की पकड़ बीएमसी में बिल्कुल भी नहीं है।

मराठाओं को भी सादा

भारतीय जनता पार्टी ने एकनाथ शिंदे को मुख्यमंत्री बना कर महाराष्ट्र की मराठी मानुष की भावनाओं की भी कदर की है। क्योंकि शिवसेना का जन्म ही मराठी मानुस की रक्षा के लिए हुआ था ।उसके बाद वह हिंदुत्व की तरफ बढ़ी थी ।ऐसे में देवेंद्र फड़नीस को मुख्यमंत्री बनाने से भाजपा का हित नहीं सध रहा था। लेकिन एकनाथ शिंदे को मुख्यमंत्री बनाने के साथ ही उन्होंने महाराष्ट्र की जनता का दिल जीत लिया, इसका फायदा भाजपा को आने वाले चुनाव में जरूर मिलेगा।

शिवसेना का था कांग्रेस, एनसीपी से बेमेल

शिवसेना का जन्म ही कांग्रेस के विरोध में हुआ था और कांग्रेस के खिलाफ भी बालासाहेब ठाकरे ने शिवसेना को खड़ा किया था। पहले दिन से ही मराठी मानुस और मराठी लोगों की बात करती थी। उनके हकों की लड़ाई लड़ती थी ।इसके बाद शिवसेना हिंदुत्व के मुद्दे पर देश की पावरफुल पार्टी बन गई। ऐसे में शिवसेना का कांग्रेस और एनसीपी के साथ मिलकर सरकार बनाना बेमेल विवाह के समान था। जिसमें शिवसेना के पुराने नेता घुटन महसूस कर रहे थे। एकनाथ शिंदे सहित कई नेता ऐसे थे जो कभी भी एनसीपी ,कांग्रेस के साथ मिलकर सरकार बनाना नहीं चाहते थे। यही कारण है कि एकनाथ शिंदे जो पार्टी में काफी वरिष्ठ नेता है, उन्हें मौका मिलते ही उन्होंने अपनी पार्टी से भी बगावत कर दी और भाजपा के साथ मिलकर भी फिर से सरकार बना ली। लेकिन सबसे खास बात है कि उन्होंने अपनी विचारधारा नहीं छोड़ी। उन्होंने आज भी बाला साहब ठाकरे के नाम पर शपथ लेकर बता दिया कि वे असली शिवसैनिक है और शिवसेना ही उनकी पार्टी है।

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