नागौर। राजस्थान में राजपूत समाज के लिए हमेशा मुख्य होकर आवाज उठाने वाले श्री राजपूत करणी सेना के संस्थापक लोकेंद्र सिंह कालवी मंगलवार को पंचतत्व में विलीन हो गए। उनकी सोमवार को देर रात अस्पताल में इलाज के दौरान मृत्यु हुई थी जहां से उनके शव को उनके पैतृक गांव ले जाया गया । जहां पर नागौर जिले के उनके पैतृक गांव कालवी में पूरे विधि विधान से उन्हें मुखाग्नि दी गई। उनके पुत्र भवानी सिंह, प्रताप सिंह ने मुखाग्नि दी। कालवी की अंतिम यात्रा में प्रदेश भर के लोग शामिल हुए। कालवी का सोमवार को देर रात निधन हो गया था। लोकेंद्र सिंह कालवी का जयपुर के एसएमएस अस्पताल में लंबे समय से इलाज चल रहा था, हृदय गति रुकने से उनका निधन हुआ।

बात स्वाभिमान पर आई तो थोड़ी छोडी पार्टियां

लोकेंद्र सिंह कालवी भारतीय जनता पार्टी के सक्रिय सदस्य रहे । लेकिन जब उन्हें भारतीय जनता पार्टी में दरकिनार करने की कोशिश की तो उन्होंने पार्टी को एक ही झटके में छोड़ दिया और उसके बाद वह भारतीय जनता पार्टी से कभी नहीं जुड़े। पिछले लोकसभा चुनाव में जब कांग्रेस पार्टी ने उन्हें दरकिनार किया तब भी उन्होंने एक ही झटके में कांग्रेस पार्टी छोड़ दी और सरकार के 5 साल सत्ता में रहने के बावजूद भी उन्होंने कांग्रेस पार्टी की तरफ किसी तरह का रुख अख्तियार नहीं किया। हालांकि उन्होंने इस दौरान कोई दूसरी पार्टी भी ज्वाइन नहीं की लेकिन उनकी यह फितरत थी जब भी कोई चैलेंज करता था तो वह उसे स्वीकार कर लेते थे और अपने स्वाभिमान पर जब बात आती है तो बड़े से बड़े राजनीतिक पार्टी को भी छोड़ने में समय नहीं लगाया।

सामाजिक न्याय मंच की स्थापना

लोकेंद्र सिंह कालवी ने भाजपा छोड़कर देवीसिंह भाटी के साथ मिलकर राजस्थान में सामाजिक न्याय मंच की स्थापना की और इसे राजनीतिक पार्टी बनाया। दोनों ने मिलकर सामाजिक न्याय मंच के बैनर तले प्रदेश में विधानसभा चुनाव भी लडे । हालांकि विधानसभा चुनाव में कालवी और भाटी को आशातीत सफलता नहीं मिली।औ ऐसे में यह सामाजिक न्याय मंच बंद करना पड़ा लेकिन वह समाज हेतु और अपने साथियों के लिए हमेशा समर्पित रहे।

जोधा अकबर से मिली थी करणी सेना को पहचान

फिल्म जोधा अकबर का प्रसारण हुआ पहली बार श्री राजपूत करणी सेना का चेहरा सामने आया। उस समय लोकेंद्र सिंह कालवी इसके संस्थापक हुआ करते थे और अजीत सिंह मामडली प्रदेश अध्यक्ष । लोकेंद्र सिंह कालवी खुद हर संघर्ष में मौजूद थे और देशभर में फिल्म जोधा अकबर का विरोध किया। फिल्म का प्रसारण रोकना पड़ा उसके बाद लोकेंद्र सिंह कालवी राजपूत समाज के बड़े नेता के तौर पर उभरे । जिनकी पहचान देशभर में करणी सेना के राष्ट्रीय संस्थापक के तौर पर हुई हालांकि इस दौरान करणी सेना के कई टुकड़ों में टूट गई लेकिन फिर भी वे करणी सेना के संस्थापक ही रहे और समाज हित उन्होंने सर्वोपरि रखा।

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