निजी अस्पतालों के नहीं खुले ताले

जयपुर । राइट टू हेल्थ बिल के विरोध में बुधवार को पूरे राज्य में निजी डॉक्टर में सरकारी अस्पतालों के भी हड़ताल में शामिल होने की अपील की थी। लेकिन इस अपील का सरकारी अस्पतालों में ज्यादा असर नहीं देखा गया । जयपुर के अधिकांश सरकारी अस्पतालों में सीनियर डॉक्टर्स में मरीजों का इलाज किया हां रेजिडेंट हड़ताल में शामिल रहे लेकिन वरिष्ठ लोगों ने और पैरामेडिकल स्टाफ में मरीजों की सेवा की। थीसीस

जयपुर के अस्पताल की इमरजेंसी में सीनियर डॉक्टर ही इलाज कर रहे हैं रेजिडेंट नहीं होने से परेशानी ज्यादा बड़ी हुई है ट्रॉमा सेंटर में भी सीनियर डॉक्टरों ने मोर्चा संभाल रखा है हालांकि रेजिडेंट नहीं होने से परेशानी है। पीएचसी ,सीएचसी में भी वरिष्ठ डॉक्टरों ने मोर्चा संभाला। निजी अस्पतालों के हड़ताल पर जाने से सरकारी अस्पतालों पर मरीजों का दबाव बढ़ गया है। सारे मरीजों को इलाज नहीं मिलने से मरीज और तीमारदार दोनों परेशान हो रहे हैं ।सरकार को जल्दी ही डॉक्टर से हड़ताल की सुलह निकालनी चाहिए। वही s.m.s. मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल डॉ राजीव बगरहट्टा ने बताया कि s.m.s. मेडिकल कॉलेज की सभी 4:30 बजे जूनियर रेजिडेंट को ड्यूटी ज्वाइन करने की अनुमति दे दी गई है सभी 3:00 से 5:00 के बीच आज से ड्यूटी ज्वाइन कर लेंगे उनके आने से हमारे सुविधाओं में सुधार होगा।

रेजिडेंट का रजिस्ट्रेशन रद्द करने की चेतावनी

सरकार ने आंदोलन की आड़ में अस्पतालों की सरकारी संपत्ति को नुकसान पहुंचाने जांच पड़ताल की आड़ में मरीजों को नुकसान पहुंचाने पर रेजिडेंट का रजिस्ट्रेशन रद्द करने की चेतावनी दी है मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल को अधिकार दिया है कि जो भी रेजिडेंट डॉक्टर आंदोलन के दौरान मरीजों के परिजनों से धन्यवाद करें राज्य संपत्ति को नुकसान पहुंचाए और अपने कर्तव्य के प्रति लापरवाही बरते हैं तो उनका तुरंत प्रभाव से रद्द करें।

निजी अस्पतालों का रेजिडेंट क्यों कर रहे हैं समर्थन

सरकार के राइट टू हेल्प बिल का विरोध कर रहे हैं निजी अस्पतालों का आखिरकार क्यों समर्थन कर रहे हैं रेजिडेंट डॉक्टर यह समझ से परें है।

राइट टू हेल्थ बिल में 50 बेड से ऊपर के अस्पताल ही सामने शामिल राजस्थान सरकार से राइट टू हेल्थ दिल्ली सिर्फ 50 मिनट स ऊपर वाले स्थानों पर ही लागू होगा इससे नीचे वाले क्लीनिक और अस्पतालों पर यह नियम कायदा बिल्कुल भी लागू नहीं होगा इसके बावजूद भी प्रदेश के सभी निजी अस्पतालों को बड़े अस्पताल वाले हड़ताल पर जाने को मजबूर कर रहे हैं राइट टू हेल्थ दिल में जो कमियां थी वह सरकार दूर कर चुकी है लेकिन इसमें कई निजी अस्पताल संचालक जो सरकार विरोधी विचारधारा के हैं उन्होंने इसे अपनी मूंछ का सवाल बना लिया है और सरकार को विफल करने के चक्कर में इस बिल को वापस करवाना चाहते हैं इसके लिए निजी अस्पताल संचालक प्राइवेट अस्पताल और मेडिकल कॉलेजों के स्टूडेंट्स को भी आंदोलन से जोड़ रहे हैं और आंदोलन में शामिल कर रहे हैं लेकिन जनता इन डॉक्टर्स के खिलाफ नाराज है और जनता में आक्रोश भी बढ़ रहा।

डेंटिस्ट , आई स्पेशलिस्ट के पास हार्ट पेशेंट क्यों जाएगा फीरंज़ी

कुछ लोगों का कहना था कि जब राइट टू हेल्प बिल लागू हो जाएगा तो आई स्पेशलिस्ट, डेंटिस्ट के पास भी हार्ट के पेशेंट और अन्य गंभीर मरीज आएंगे। तो डॉक्टर कैसे इलाज करेंगे । लेकिन इस तरह की बातें बोलने वालों को यह बात अच्छी तरह से समझ देनी होगी कि कोई भी व्यक्ति या किसी मरीज का अभिभावक कितना पागल यह मूर्ख नहीं है कि वह जच्चा-बच्चा को लेकर किसी आंखों के अस्पताल में जाएगा। या जब किसी को हार्टअटैक आएगा तो वह डेंटिस्ट को दिखाने जाएगा ।ऐसा कभी भी नहीं होगा लेकिन ऐसा कहकर डॉक्टर भ्रम पैदा कर रहे हैं।

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