जयपुर। राज्य सरकार के आला अधिकारी ही सरकार को करोड़ों के राजस्व का चूना लगा रहे हैं। मामला आबकारी विभाग का है। जहां आबकारी विभाग के अधिकारियों ने शराब कंपनियों से एडवांस एक्साईज डयूटी के नाम पर करीब 584 करोड़ रुपये अतिरिक्त जमा कर लिए। लेकिन अफसर फिर भी आबकारी विभाग के अधिकारी शराब ठेकेदारों से 1173 करोड़ के राजस्व वसूलनें में पूरी तरह से फेल साबित हुए।

आबकारी विभाग 13370 करोड़ रुपये का राजस्व ही वसूल सका। कोरोना के चलते विभाग ने 500 करोड़ की छूट दे दी थी। लेकिन इसके बाद बावजूद अधिकारी शराब ठेकेदारों से बकाया 1173 करोड़ रुपये का बकाया राजस्व वसुलने में पूरी तरह से विफल रहे। लेकिन आबकारी विभाग के अधिकारी सरकार की नजर में अपनी फरफोरमेंस सुधारने के लिए शराब निर्माता कंपनियों से 584 करोड़ रुपये की अतिरिक्त एक्साईज डयूटी वसूल ली। जिससे सरकार की नजर में अफसर अपनी छवि चमका सके। अफसरों का नकरापन देखिए अधिकारियों ने कंपनियों से उस शराब का एडवांस एक्साईज ड्यूटी वसूल ली जो उन्होंने कभी बेची ही नहीं। इसलिेए उसे दूसरे प्रोडक्ट में एडजस्ट करना पड़ रहा है। लेकिन जिन ठेकेदारों से वसुलना था उऩ्हें छूट- पर छूट दी जा रही है। लेकिन ये बड़ा अमांउट है। जिसे सरकार वसुलती तो कहीं न कहीं लोगों के जन कल्याण के कार्य होते।

सरकार क्यों नहीं कर ऐसे लापरवाह और भ्रष्ट अफसरों के खिलाफ कार्रवाई। जिससे ठेकेदारों से बकाया राशि वसुली जा सके। जबकि ठेकेदार शराब के धंधे में मालामाल हो रहे हैं। लेकिन सरकार के पैसों को चुकाने में आना- कानी कर रहे हैं। आबकारी विभाग की सबसे बड़ी लापरवाही है कि अधिकारी सिर्फ अपनी छवि चमकानें में लगे है। उन्हें सरकार के राजस्व घाटे से कोई सरोकार ही नहीं है।

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