जयपुर। एनएसयूआई कार्यकर्ताओं को बीजेपी के शहर कार्यालय के बाहर प्रदर्शन करना महंगा पड़ गया। बीजेपी कार्यकर्ताओं ने एनएसयूआई कार्यकर्ताओं की ठुकाई भी और उन्हें बंद भी करवा दिया । दरअसल विरोध प्रदर्शन की ये परिपाटी ही गलत है । लेकिन कुछ नेताओं ने मीडिया सुर्खियां बटोरने के लिए इस तरह से एक दूसरे की पार्टी मुख्यालय, कार्यालयों पर यह विरोध प्रदर्शन करना शुरू कर दिया। जिससे आए दिन टकराव बढ़ रहा है। कम से कम कांग्रेस बीजेपी और जो भी प्रदेश स्तर की राजनीतिक पार्टियां हैं उन्हें तो अपने कार्यकर्ताओं को समझाना होगा कि विरोध प्रदर्शन के लिए किसी पार्टी का मुख्यालय नहीं चुना जाना चाहिए। जिला मुख्यालय, जिला प्रशासन द्वारा तय निर्धारित स्थान पर ही प्रदर्शन किया जाना चाहिए। जब आप किसी घर के बाहर जाकर मुर्दाबाद के नारे लगाओगे तो आपके स्वागत में लड्डू और फूलों की बरसात तो होगी नहीं,लट्ठ ही मिलने हैं। इससे पूर्व भी एनएसयूआई कार्यकर्ताओं ने एक बार भारतीय जनता पार्टी मुख्यालय पर जोरदार धरना प्रदर्शन किया था और उस दिन भी एनएसयूआई के कार्यकर्ताओं को भगा-भगा कर मारा था।

बीजेपी कार्यकर्ताओं ने एनएसयूआई कार्यकर्ता और उनके खिलाफ मुकदमा दर्ज करा दिए इसके बावजूद एन एसयूआई के नेताओं ने उससे सबक नहीं लिया। आज फिर एनएसयूआई कार्यकर्ता प्रदर्शन करने बीजेपी के शहर कार्यालय पहुंच गए। न तो वे संख्या बल में ज्यादा थे और न ही उनका यहां पर प्रदर्शन करने का कोई पूर्व निर्धारित कार्यक्रम लेकिन जब बीजेपी कार्यालय पर प्रदर्शन कर रहे थे। बीजेपी नेताओं के खिलाफ नारेबाजी करने लगे। खासतौर पर वे हाल ही मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के खिलाफ केंद्रीय मंत्री के बयान का विरोध करने गए थे। बीजेपी कार्यकर्ताओं ने उनका विरोध किया । इस दौरान बीजेपी और एनएसयूआई कार्यकर्ताओं में आपसी झड़प हुई । कार्यकर्ताओं ने एक दूसरे पर लट्ठ बरसा दिये। बीजेपी की महिला कार्यकर्ताओं ने तो एनएसयूआई कार्यकर्ताओं पर सोने की चेन तोड़ने और छेड़छाड़ , महिलाओं पर फब्तियां कसने का आरोप लगा दिया । यदि आरोप दर्ज हुए तो कई छात्रों की जिंदगी खराब हो जाएगी । हो सकता है कुछ को तो पता भी नहीं है कि वह कहां पर प्रदर्शन करने जा रहे हैं ,लेकिन जो लोग इन को लेकर आए उन लोगों को कम से कम इतनी तहजीब और तमीज होनी चाहिए कि वह किसी दूसरी पार्टी के के कार्यालय कैसे जाकर उनके ही नेताओं के खिलाफ नारेबाजी क्या बयान बाजी कर सकते हैं।

वरिष्ठ नेताओं को अपने कार्यकर्ताओं को बताना होगा रास्ता

भारतीय जनता पार्टी हों या कांग्रेस पार्टी या कोई अन्य दूसरी पार्टी सभी पार्टियों के वरिष्ठ नेताओं को स्वच्छ राजनीति का पाठ को अपने कार्यकर्ताओं को पढ़ाना ही पड़ेगा । जिससे कार्यकर्ता साफ-सुथरी राजनीति कर सके और एक दूसरे का सम्मान भी कर सके। क्योंकि एक दूसरी पार्टियों के खिलाफ सरकारों के खिलाफ धरना प्रदर्शन करना उनका अपना अधिकार है । लेकिन किसी के घर पर या कार्यालय में घुसकर प्रदर्शन करना यह कहां का न्याय है? और इस तरह से यदि किसी के यहां पार्टी मुख्यालय पर जाकर प्रदर्शन करने की एक बार परिपाटी डल गई तो, यह परिपाटी आने वाले समय में बहुत ही ज्यादा खतरनाक साबित होगी। कार्यकर्ता एक दूसरे के सर फोड़ते रहेंगे, मुकदमे दर्ज होते रहेंग ऐसे में कांग्रेस और बीजेपी के वरिष्ठ नेताओं को आगे आकर एनएसयूआई एबीपी के कार्यकर्ताओं को और अपनी पार्टी के कार्यकर्ताओं को भी समझाना होगा। विरोध करना आपका अधिकार है लेकिन दोनों ही पार्टियां भविष्य में एक दूसरे के पार्टी मुख्यालय पर इस तरह का विरोध प्रदर्शन नहीं करेगी। उनके नेताओं के खिलाफ यदि विरोध करना है तो उसके लिए जिला प्रशासन द्वारा निर्धारित स्थान पर ही किया जाना चाहिए जिससे टकराव को टाला जा सके।

बीजेपी कार्यकर्ताओं ने भी कई बार घेरा था कांग्रेस मुख्यालय

यूपीए सरकार के दौरान बीजेपी कार्यकर्ताओं ने दी कई बार कांग्रेस मुख्यालय पर प्रदर्शन किया। कई बार बीजेपी कांग्रेस के कार्यकर्ता के आमने-सामने हुए। लेकिन इस तरह से एक दूसरे के साथ मारपीट का मामला कभी नहीं हुआ। ऐसे में सभी राजनीतिक पार्टियों को एक दूसरे का सम्मान करते हुए इस तरह एक दूसरे के मुख्यालयों पर कम से कम प्रदर्शन करने की परिपाटी तो छोड़नी ही पड़ेगी।

राघव शर्मा का बयान

बीजेपी के शहर अध्यक्ष राघव शर्मा ने कहा यदि एनएसयूआई और कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने इस तरह से पार्टी मुख्यालय, शहर कार्यालय या किसी नेता के घर के बाहर प्रदर्शन करने का यह सिलसिला बंद नहीं किया, तो आने वाले समय में बीजेपी कार्यकर्ता भी कांग्रेस मुख्यालय और मंत्रियों के घरों में घुसकर प्रदर्शन करेंगे । जिससे टकराव बढ़ेगा। ऐसे में पार्टी के वरिष्ठ नेताओं को समय रहते पर इसे रोकना चाहिए।

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