जयपुर । भारतीय जनता पार्टी की पोस्टर पॉलिटिक्स पार्टी को कहां ले जाएगी? आजकल बीजेपी कार्यकर्ताओं के जेहन में यह सवाल गूंजने लगा है! अभी हाल ही में झुंझुनू में जिला मुख्यालय पर हुई भाजपा की जन आक्रोश रैली में पोस्टर पॉलिटिक्स पर जोरदार हंगामा हुआ। भाजपा के बिसाऊ मंडल के नेताओं ने इस पर कड़ी चेतावनी देते हुए राष्ट्रीय अध्यक्ष तक को शिकायत तक भेज दी। राजस्थान की दो बार मुख्यमंत्री रही वसुंधरा राजे का पोस्टर हटाने की निंदा की। पोस्टर हटाने को सरासर गलत बताया। इस तरह की घटनाओं से कार्यकर्ताओं का मनोबल डाउन होता है । जांगिड़ ने कहा कि वसुंधरा राजे की फोटो वाला पोस्टर पहले लगाया गया , फिर हटा कर दूसरा लगाया गया। जिसकी वे निंदा करते हैं। अलवर में भी जन आक्रोश रैली में पूर्व में मंच पर जो फोस्टर लगाए गए थे उसने वसुंधरा राजे का फोटो था, बाद में वह फोटो हटा कर उस पर गुलाब सिंह कटारिया जी का फोटो लगाया गया। पार्टी के कार्यकर्ताओं में इस तरह की घटनाओं आए आक्रोश है।

सतीश पूनियां के भी हटाए थे होर्डिंग

ऐसा नहीं है कि सिर्फ वसुंधरा राजे के पोस्टर ही बीजेपी के कार्यक्रमों से हटाए गए हैं। कुछ दिनों पूर्व पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया के जन्मदिन पर उनके समर्थन में लगे होर्डिंग को धौलपुर करौली के सांसद मनोज राजोरिया हटवा दिया था। मनोज राजोरिया ने होर्डिंग लगाने वाले स्थानीय नेताओं को फटकार के लगाई थी । भरतपुर में भी कुछ ऐसा ही हुआ था, जहां सतीश पूनिया के होल्डिंग और पोस्टरों को स्थानीय नेताओं ने हटवा दिया था। ऐसा माना जा रहा कि भारतीय जनता पार्टी में दो गुटों में वर्चस्व की लड़ाई जोरों पर है। सतीश पूनिया गुट जहां अपने नेता को स्थापित करना चाहता है , वसुंधरा राजे की खिलाफ काम कर रहा है।। वही वसुंधरा राजे गुट सतीश पूनिया गुट को बिल्कुल भी पसंद नहीं करता है। जहां वसुंधरा राजे के समर्थकों का बस चलता है वे सतीश पूनिया के पोस्टर और होर्डिंग पर अपने गुस्सा जाहिर करते हैं। ऐसा ही कुछ राजस्थान के कई जिलों में देखा गया है। लेकिन इससे पार्टी के वरिष्ठ नेता पर अभी तक कोई फर्क नहीं पड़ रहा है । लेकीन उनमें कहीं न कहीं आक्रोश है। पार्टी का अध्यक्ष कोई भी हो वह सब के लिए नेता होता है। पार्टी के पुराने वरिष्ठ नेता कोई भी है वह भी सबके लिए सम्मानीय हैं । ऐसी स्थिति में भारतीय जनता पार्टी के वर्तमान नेताओं में वर्चस्व की लड़ाई के चलते बीजेपी को तार-तार करना नेताओं के चक्कर में कार्यकर्ताओं को अलग-अलग गुटों में बांटना सरासर गलत है। लोगों का यहां तक कहना है कि यदि बीजेपी के लोग आपस में इसी तरह से लड़ते रहे तो आने वाले विधानसभा चुनाव में बीजेपी की पार नहीं पड़ने वाली है। जिस तरह से विधानसभा उपचुनाव में 8 सीटों पर से दो ही सीटों पर बीजेपी जीती है, और 6 पर कांग्रेस पार्टी जीती है । यह सब आपसी फूट का ही नतीजा है। यदि बीजेपी में इसी तरह होर्डिंग और पोस्टर पॉलिटिक्स चलती रही तो आने वाले विधानसभा चुनाव भी नतीजे इसी तरह से हो सकते हैं। पार्टी के वरिष्ठ नेता इसकी रिपोर्ट बनाकर जल्दी ही राष्ट्रीय नेतृत्व को भेजेंगे, जिससे पार्टी की दुर्गति होने से बच सकें। पार्टी पार्टी दोनों ही बड़े नेताओं को अपने अपने समर्थकों को इस बात के लिए फटकार लगानी पड़ेगी। वे अपने अपने समर्थकों को समझाएं और सिर्फ पार्टी हित की बात करें। पार्टी को बचाना है तो पार्टी में इस तरह की हरकत को कोई भी नेता यदि बढ़ावा देता है तो यह बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। फिलहाल तो विरोधी भारतीय जनता पार्टी की पोस्टर पॉलिटिक्स का आनंद ले रहे हैं और नेताओं की आपसी फुट का मजा लूट रहे हैं।

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