
सीपी जोशी का रहा कांग्रेस से नाता
जयपुर । भाजपा के नए प्रदेश अध्यक्ष सीपी जोशी वर्ष 1995 में चित्तौड़गढ़ में एनएसयूआई के टिकट पर एक बार उपाध्यक्ष और एक बार अध्यक्ष रह चुके हैं। इसके बाद वे भाजपा से जुड़ गए लेकिन एनएसयूआई के टिकट पर जीतने से पहले भी वे संघ के स्वयंसेवक रहे हैं ।संघ के स्वयंसेवक रहने के कारण ही आगे जाकर भाजपा से जुड़े और भाजपा में कई पदों पर रहे ।पार्टी ने उन्हें भाजपा युवा मोर्चा का प्रदेश अध्यक्ष बनाया ।चित्तौड़गढ़ से दो बार बार सांसद रहे। इस बार तो चित्तौड़गढ़ से सर्वाधिक वोटों से जीतने वाले सांसद बने। साफ और निष्पक्ष छवि के सीपी जोशी विवादों से दूर रहते हैं और अपने काम से काम रखते हैं । अपने कार्यकर्ताओं के लिए लड़ना और उनके लिए संघर्ष करना सीपी जोशी से सीखना होगा ।यही कारण है कि सीपी जोशी कभी लाइमलाइट में नहीं रहे। लेकिन केंद्रीय नेतृत्व का आशीर्वाद हमेशा मिलता रहा ।अमित शाह और पीएम नरेंद्र मोदी की पसंद रहे सीपी को पार्टी ने बहुत बड़ा मौका दिया। संसद में भी जिस तरह से विषय उठाते हैं यह उनकी अलग से पहचान बनाता है ।
सबको साथ लेकर चलना सीपी के सामने बड़ी चुनौती
विधानसभा चुनाव से पूर्व सतीश पूनिया को हटाया जाना और सीपी जोशी को प्रदेश अध्यक्ष बनाया जाना सीपी जोशी के लिए परीक्षा की घड़ी होगी। करीब 8 महीने बाद चुनाव होने हैं ,ऐसे में सीपी के सामने भाजपा संगठन को एकजुट रखना बड़ी चुनौती होगी। वसुंधरा राजे , सतीश पूनिया और गजेंद्र सिंह शेखावत सहित तमाम नेताओं को एक मंच पर लाना यह सीपी के लिए बड़ा चुनौती भरा काम है। हालांकि पार्टी ने स्पष्ट कर दिया है कि सभी को सभी के साथ चलना होगा। लेकिन यह बात तो सतीश पूनिया के दौरान भी कही गई थी। लेकिन सतीश पूनिया के कार्यकाल के दौरान एक धड़े ने हमेशा सतीश पूनिया का विरोध किया और इस धड़े के विरोध के चलते ही उन्हें चुनाव से ठीक पहले प्रदेश अध्यक्ष पद से हटा दिया गया। इसलिए सीपी जोशी के सामने पार्टी के वरिष्ठ नेताओं के साथ-साथ युवा नेताओं को भी साधना होगा। व पूरी पार्टी को एकजुट कर चुनाव लड़ना होगा। क्योंकि जो लोग मुख्यमंत्री का दावेदार समझ रहे हैं, वे भविष्य में भी असयोगात्मक रवैया अपनाएंगे तो सीपी की परेशानी बढ़ सकती है।