जयपुर। जयपुर नगर निगम हैरिटेज की महापौर मुनेश गुर्जर और उनके साथ कांग्रेसी पार्षदों की मन की बात जब नगर निगम में कार्यरत जोन उपायुक्त राजेंद्र वर्मा ने नहीं मानी तो महापौर और उनके साथी पार्षद गुस्से में नाराज हो गए। बताया जा रहा है कि अब वर्मा मेयर सहित करीब 10 पार्षदों के खिलाफ एससी, एसटी एक्ट की धाराओं में मुकदमा दर्ज कराएंगे। इसके लिए उन्होंने अनुमति मांगी है। वहीं दूसरी और आयुक्त को बंधक बनाने और उसके साथ जातिसूचक शब्दों का उपयोग कर प्रताड़ित करने की जानकारी बाहर आने के साथ ही राजस्थान में कार्यरत एससी, एसटी के कर्मचारी- अधिकारी संगठनों ने सरकार को मेयर सहित अन्य पार्षदों के खिलाफ कार्यवाही करने की मांग की है। आयुक्त ने बताया कि उन्हें 16 जून को कार्यायल में काम रहा था। उस समय मेयर कार्यालय से 3 बजे फोन आया था। 10 मिनट में मेयर के समक्ष हाजिर होने का मैसेज आया। इसी बीच 5 मिनिट बाद ही कुछ पार्षद और कुछ बाहरी लोग कार्यालय में आए और टेंडर की फाइल पर साइन नहीं करने की बात को लेकर जोर- जोर से चिल्लाने लगे। करीब 30 की संख्या में लोग थे जो धमका रहे थे। रात में 9 बजे बंधक बनाया गया। जबकि वास्तविक जानकारी मेयर को दे दी थी। 15 जून को इस फाइल को कमिश्नर के पास भिजवा दिया था। इसलिए फाइल मेरे पास पेंडिंग नहीं थी। लेकिन मेयर मुनेश गुर्जर उनके पति सुशील गुर्जर, उपमहापौर असलम फारुखी, पार्षद उमर दराज और अन्य पार्षदों ने मेरे से अभद्र व्यवहार किया।

वर्मा ने बताया कि 600 अस्थाई कर्मचारियों के लिए पिछले दिनों टेंडर किए गए थे। जिसकी मंजूरी के लिए मेयर और उनके पार्षद अतिरिक्त आयुक्त राजेंद्र आर्य से साइन करवाना चाहते थे। इसमें 5-5 अस्थाइ सफाईकर्मी हर पार्षद को उपलब्ध कराए जाते। जबकि 100 अतिरिक्त बिटस कहां खपाई जाएगी इसका कोई जिक्र नहीं था। बिटस अस्थाई कर्मचारी का कोई रिकार्ड नहीं होता। जिसका अधिकांश लोग पैसा उठा लेते है। ये ही सबसे बड़ा भ्रष्टाचार होता है। इस मामले में उपायुक्त ने थोड़ी सख्ती बरती और नियम कायदों का हवाला दिया तो सभी पार्षद और महापौर नाराज हो गए। मुझे भला बुरा कहा गया। गाली- गलौच की गई। जबकि हकीकत इस तरह के बिटस कर्मचारी कहीं पर काम नहीं करते पार्षद उनका भुगतान उठाना चाहते है। इसे देखते हुए जयपुर नगर निगम में बिटस सिस्टम 2018 में पूरी तरह से खत्म कर दिया गया। इसलिए अब ये पार्षद इसे फिर से लागू करवाना चाहते है। जबकि ये नियम विरुद्द है। इसलिेए ये सब लोग इसे मुद्दा बना रहे हैं। लेकिन मैं ये गैर कानूनी काम नहीं कर सकता था। इसलिेए सबने जातिसूचक गालियां दी। सस्पेंड कराने की धमकी दी।

एससी, एसटी कर्मचारी संगठनों ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से इस मामले में लिप्त मेयेर और अन्य पार्षदों के खिलाफ कार्यवाही की मांग की है। साथ ही उपायुक्त राजेंद्र वर्मा को सुरक्षा मुहैया कराने की अपील की है। जिससे वर्मा बेखौफ होकर काम कर सके। संगठनों ने वर्मा के खिलाफ एक तरफा कार्यवाही करने पर आंदोलन की चेतावनी दी है। वहीं खुद वर्मा ने भी सरकार से मेयर सहित अन्य पार्षदों के खिलाफ एससी, एसटी एक्ट की धाराओं सहित राजकाज में बाधा डालने का मुकदमा दर्ज कराने की अपील की है। वर्मा का कहना है कि सबको बिटस कर्मचारियों के नाम पर भ्रष्टाचार करना है इसलिए सब हल्ला मचा रहे है। सरकार को इस पर अंकुश लगाना चाहिए। और दोषियों पर कार्रवाई करनी चाहिए।

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