जयपुर.।ग्रासरूट मीडिया फाउंडेशन की पहल पर राजस्थान फोरम के सहयोग से हुए कार्यक्रम ʿसम्मुख’ में कवियों ने अपनी रचनाओं से रंग जमाया। साहित्य व कला के क्षेत्र में युवाओं को प्रोत्साहित करने के लिए यह कार्यक्रम जेएलएन मार्ग स्थित कलानेरी आर्ट गैलरी में रविवार को आयोजित किया गया। इस कार्यक्रम में बारां के अश्विनी कुमार त्रिपाठी ने कब ये धरती और कब अंबर बचाना चाहती है शाइरी इंसान का तेवर बचाना चाहती है
शब्दजालों के लिए कुछ वर्ण चुनती मकड़ियों से वर्णमाला प्रेम के आखर बचाना चाहती है
वो जवानी और थी जो सर कटाना चाहती थी यह जवानी सिर्फ़ अपना सर बचाना चाहती है
अनगिनत अपनों ने चाहा घर को मेरे तोड़ देना माँ मगर हर हाल में यह घर बचाना चाहती है
जो कि आँसू बन के बहने के लिए बेताब से हैं आँख मेरी वो हसीं मंजर बचाना चाहती है
यह ग़ज़ब की बात है डरती है वो भी आदमी से पर सियासत आदमी में डर बचाना चाहती है की की प्रस्तुति से श्रोताओं की प्रशंसा पाई। इसके साथ ही उन्होंने लाभ का हिस्सा बड़ा जाता है जिन व्यापारियों तक वो फटकते भी नहीं हैं खेत की उन क्यारियों तक
वृक्ष के देवत्व को स्वीकार करके जो चला था वह प्रगति रथ आ चुका है लौह निर्मित आरियों तक
वक्त रहते छोड़ दो कुंठा, घृणा के रास्ते को अन्यथा यह ले चलेगा मानसिक बीमारियों तक
हमने उन हाथों में खंजर और तमंचे दे दिए हैं जो पहुँचना चाहते थे रंग और पिचकारियों तक
जो कि जलकर हर अँधेरे को मिटाना जानती हैं उन मशालों को चलो हम ले चलें चिंगारियों तक सहिंत अनेक कविताओं का पाठ किया।
वहीं हेमराज सिंह ’हेम’ ने मैं कवि हूँ
मैं ध्वनि का संचरण हूँ,
शब्द वीणा का त्वरण हूँ।
मैं समय चक्र हूँ सदियों से इतिहास बदलते देखा है।
मैंने उगता सूरज देखा,
सूरज को ढलते देखा है।
हार कर जीतना जिन्दगी दोस्तों
जीतते ही रहे जिन्दगी तो नहीं।
जब उम्मीदों के पंख लगा उड़ता है नील गगन में खग,
तब खुद पर किए भरोसे को सच कहता मंजिल दूर नहीं की अभिव्यक्ति दी।
कवि हेम ने जब बात हो पुरुषार्थ की
निज वंश के अभिमान की सहित कई कविताएं और गीत गाकर सुनाएं।
इस कार्यक्रम का संचालन प्रदक्षिणा पारीक ने किया। संयोजक प्रमोद शर्मा ने बताया कि इस अवसर पर कोटा के साहित्यकार कथाकार विजय जोशी, महेश शर्मा, कलानेरी आर्ट गैलरी के विजय शर्मा, डॉ अल्का गौड़ , जितेंद्र निर्मोही, जोधराज मधुकर, अनामिका कली आदि उपस्थित रहे।