जालंधर। राजनीतिक दबाव के चलते पंजाब इस्तीफा देने वाले पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने 3 दिन चुप रहने के बाद बड़ा राजनीतिक हमला बोला है । उन्होंने एक तरह से पार्टी आलाकमान के खिलाफ भी मोर्चा खोल दिया है ।उन्होंने नवजोत सिंह सिद्धू को लेकर कहा कि राहुल गांधी और प्रियंका गांधी की राजनीति में अनुभवहीन और परिपक्वता के कारण ही इस तरह के लोग हावी हो जाते हैं । उन्हें यह समझ ही नहीं है कि कौन पार्टी के लिए वफादार और मजबूत है ,और कौन घातक सिद्ध हो सकता है । उन्होंने राहुल और प्रियंका गांधी को अपने बच्चों जैसा बताते हुए कहा कि उन्हें भी राजनीति का अनुभव नहीं है

नवजोत सिंह सिद्धू को सीएम नहीं बनने दूंगा

कैप्टन ने यह भी कह दिया कि वह नवजोत सिंह सिद्धू को किसी भी सूरत में मुख्यमंत्री नहीं बनने देंगे । यदि कांग्रेस पार्टी ने नवजोत सिंह सिद्धू को विधानसभा में मुख्यमंत्री का चेहरा घोषित कर दिया तो पंजाब में कांग्रेस double-digit लाइक भी नहीं बचेगी । यानी की कांग्रेस पार्टी को 10 सीटें भी जीतना मुश्किल हो जाएगा। कैप्टन ने सोशल मीडिया के जरिए अपनी बात कही। कैप्टन की बातों से साफ लगता है कि वह अब अपनी अलग सियासी पर खुद चलेंगे। खुद ही पार्टी बनाएंगे, या भाजपा में जाएंगे ,या किसी और दल का दामन थामेंगे। इसको लेकर अभी तक उन्होंने खुलासा नहीं किया है। इस पर संशय बरकरार है। लेकिन उनका सिद्धू के खिलाफ मोर्चा खोलना पार्टी के खिलाफ बगावत का संकेत जरूर है। कैप्टन अमरिंदर का कहना है कि जिस तरह से नवजोत सिंह और उनके समर्थकों की तरफ से जो माहौल तैयार किया गया है। माहौल के बादअपमानित करके हटाने की जो साजिश चली थी। अब कैप्टन शांत नहीं रहेंगे ।

सोनिया गांधी को मिसगाइड किया

कैप्टन ने बताया कि उन्होंने सोनिया गांधी को 10 दिन पहले ही अपना इस्तीफा ऑफर किया था। लेकिन सोनिया गांधी ने उन्हें कंटिन्यू रहने की बात कही थी। इसके बाद वे अपना काम कर रहे थे । लेकिन राहुल गांधी और प्रियंका गांधी को जिस तरह से नवजोत सिंह सिद्धू और दूसरे लोगों ने फीडबैक दिया ,उस फीडबैक के आधार पर सोनिया गांधी को मिसगाइड किया गया। मिसगाइड करने से जो माहौल बना उसके चलते मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा। वे हार कर बैठने वाले नहीं हैं । वह अब जीतने के लिए काम करेंगे । पंजाब में जीत के बाद ही राजनीति छोड़ेंगे। उन्होंने यह भी कहा कि सोनिया गांधी पहले ही इस्तीफा स्वीकार कर लेती तुमन अपमानित होना नहीं पड़ता लेकिन अब वह हार हार कर पीछे हटने वाले नहीं हैं अब जीत कर ही लौटेंगे ।

राहुल प्रियंका गांधी बच्चे जैसे

कैप्टन ने कहा कि प्रियंका गांधी और राहुल गांधी मेरे बच्चों जैसे हैं। यह सब इस तरह खत्म नहीं होना चाहिए था । मैं हार कर बैठने वाला नहीं हूं मैं जीत कर ही लौटूंगा। भाई बहन को अभी राजनीति का अनुभव नहीं है । उन्हें उनके सलाहकारों ने उन्हें स्पष्ट तौर पर मिसगाइड किया है । मैं जीत के बाद राजनीति छोड़ने की तैयारी कर रहा था ,लेकिन हारने के बाद कभी नहीं । मैंने 3 हफ्ते पहले ही सोनिया गांधी को अपना इस्तीफा ऑफर किया था । लेकिन उन्होंने कहा आप अपना काम जारी रखें। यदि वह मुझे कह देती तो मैं वह भी कर देता । अगर सिद्धू सुपर सीएम की तरह काम करेगा तो पंजाब कांग्रेश काम नहीं कर पाएंगे ।

कैप्टन ही क्यों इससे पूर्व जब जब कांग्रेस पार्टी ने अपने लोकल लीडरशिप को और नेतृत्व को खत्म करने का कोशिश है तब- तब पार्टी को नुकसान उठाना पड़ा है ।

वाईएसआर रेड्डी की उपेक्षा आंध्र प्रदेश सूपड़ा साफ

आंध्र प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री राजशेखर रेड्डी के निधन पर कांग्रेस पार्टी ने वहां पर राजशेखर रेड्डी के परिवार की उपेक्षा कर ,अन्य को कुर्सी सौंपी ,उसका खामियाजा कांग्रेस पार्टी भुगतना पड़ा। आज कांग्रेस पार्टी वहां साफ है। उस समय भी स्थानीय लोगों ने रेडी परिवार पर विश्वास जताया था और यदि कांग्रेस पार्टी वाईएस जगमोहन रेड्डी पर भरोसा करती, तो वह सत्ता से दूर नहीं होती। लेकिन कांग्रेस पार्टी आलाकमान ने उनकी नहीं सुनी और आज कांग्रेस की आंध्र प्रदेश में जो हालत है, किसी से छुपी हुई नहीं है । कांग्रेस पार्टी से निकाले गए वाईएस रेडी वहां अपनी पार्टी के दम पर पूर्ण बहुमत के साथ मुख्यमंत्री है, और कांग्रेस पार्टी विपक्ष में बैठने लायक भी नहीं बची है ।

ममता बनर्जी की उपेक्षा कांग्रेस साफ

पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी को दरकिनार किया गया था ।उन्हें धकेलने की कोशिश की गई तब भी उन्होंने पार्टी का दामन छोड़कर अपनी पार्टी का गठन किया और आज तुम मूल कांग्रेस पश्चिम बंगाल में सुपर पावर है । लगातार सत्ता में है और कांग्रेस पार्टी यहां पर खत्म होने की कगार पर है। यहां भी यदि पार्टी आलाकमान ने थोड़ा स्थानीय नेतृत्व के बारे मे थोड़ा सोचा होता ओर ममता बनर्जी को दरकिनार नहीं किया जाता तो पश्चिम बंगाल में आज की हालत नहीं होते।

शरद पवार की अपेक्षा महाराष्ट्र हालत खराब

महाराष्ट्र की बात करें तो वहां भी शरद पवार को कुचलने का प्रयास किया गया। शरद पवार ने पार्टी छोड़ी, अपने पार्टी बनाई और महाराष्ट्र में आज भी अपने दम पर दूसरी लार्जेस्ट पार्टी है। सरकार में कांग्रेस के बराबर भागीदारों साझीदार है । ऐसे कई उदाहरण है जहां पर कांग्रेस पार्टी ने अपने स्थानीय नेताओं की उपेक्षा की जो जनाधार वाले नेता थे तब तक वहां पार्टी को मुंह की खानी पड़ी यह पार्टी को हार का सामना करना पड़ा या पार्टी फिर उन्हें लोकल नेताओं की लोकल पार्टियों पर निर्भर होकर रह गई ऐसे में पंजाब को लेकर भी यही माना जा रहा है कि पंजाब में कांग्रेस पार्टी को अमरिंदर सिंह की नाराजगी आने वाले समय में भारी पड़ सकती है।

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