जयपुर । संकट के समय मनुष्य उसका का साथ देता है ,लेकिन यहां इंसान जब किसी पर संकट आता है तो अपनी मांगों का रोना रोकर उस संकट को दुगना बढ़ा देता है। कई बार डॉक्टर बीमारियां चरम पर चलती है तो हड़ताल कर देते हैं । इन दिनों राजस्थान में गायों में लंपी नामक बीमारी पशुओं पर भारी पड़ रही है । इस समय पशु चिकित्सकों की जरूरत जानवरों को ज्यादा है। जिससे बीमारी से पीड़ित पशुओं का इलाज हो सके। लेकिन जैसे ही पशु चिकित्सकों को बीमारी की जानकारी मिली उन्होंने अपनी मांगों को लेकर सरकार को ब्लैकमेल करना शुरू कर दिया । हो सकता पशु चिकित्सकों की मांगे जायज हो लेकिन अभी उनकी जरूरत उन बीमार पशुओं को ज्यादा थी बजाए हड़ताल पर जाने के लेकिन पशु चिकित्सकों ने ली मौके का फायदा उठाया और पिछले 5 दिन से राजस्थान के सभी पशु चिकित्सक हड़ताल पर चले गए पशु चिकित्सकों की इस हठधर्मिता को लेकर लोगों में गहरा आक्रोश है और लोगों का कहना है कि सरकार इन सब को बर्खास्त कर दें और फिर नए सिरे से भर्तियां करें।

डॉक्टरों पशु चिकित्सकों की इंसानियत शर्मसार

हम गाय को माता मानते हैं, ऐसे समय में सिर्फ अपनी मांगों को ध्यान में रखकर गायों का जीवन को संकट में डालने वाले पशु चिकित्सकों को लेकर समाज के लोगों की धारणा बदल रही है । जो लोग एक पशु की बीमारी को नहीं समझ पा रहे हैं आखिरकार उन्हें मानवता का परिचय देते हुए सबसे पहले बीमार गायों की देखभाल करनी चाहिए थी। विरोध स्वरूप अपने काम के घंटों के अलावा भी बीमार गायों की सेवा करते तो आम जनता भी उनकी मांगों के समर्थन में उनके साथ खड़ी हो जाती । लेकिन पशु चिकित्सकों ने तो मानवता क की सारी हदों को पार कर दिया कि पिछले 5 दिनों से सारे काम छोड़कर सिर्फ अपनी मांगों को लेकर हड़ताल पर है।

नर्सिंग स्टाफ और पशुधन सहायकों ने निभाया धर्म

भला हो पशुधन सहायकों, नर्सिंग स्टाफ का जिन्होंने बीमार गायों की इलाज की कमान संभाल रखी है । पशुधन सहायक को नर्सिंग स्टाफ लगातार बीमार गायों की सेवा सुरक्षा में लगे हुए हैं । उन लोगों की सेवा सुरक्षा का नतीजा है कि गायों की बीमारी में सुधार हो रहा है। लेकिन इस दौरान पशु चिकित्सकों की हठधर्मिता के कारण वे आम जनता के भी निशाने पर आ गए। राज्य सरकार नए पशु चिकित्सकों की मांगे मान ली है और उन्होंने हड़ताल भी समाप्त कर दी है लेकिन चिकित्सकों का यह रवैया किसी को भी पसंद नहीं आया।

फील्ड में काम पशुधन सहायक और नर्सिंग स्टाफ ही करता है

लोगों का कहना है कि वैसे भी पशु चिकित्सक अपने कार्यालयों में व्यस्त रहते हैं। फील्ड में काम तो पशुधन सहायक और नर्सिंग स्टाफ ही करता है । इसलिए लोगों को पशु चिकित्सकों की ज्यादा जरूरत महसूस नहीं हुई।

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