माधुसिंह गोरा की खास रिपोर्ट

बाड़मेर ।राजस्थान के सरहदी जिला- बाड़मेर से 75 किलोमीटर दूर पश्चिम दिशा से गांव सियाई आज आधुनिक भारत की तस्वीर बयां कर रहा है। गांव का न सिर्फ आधुनिकीकरण हुआ है बल्कि सरकारी योजनाओं की ग्रामीणों को जानकारी है और उनके बीच पारदर्शिता भी है तो स्थानीय ग्राम पंचायत के युवा सरपंच जीत परमार महज 21 वर्ष दो महीने की की उम्र में सरपंच बनकर देश के युवाओं के लिए प्रेरणा स्रोत बने हैं।

दरअसल जीत परमार ने पाँचवी कक्षा उत्तीर्ण करने के बाद शिक्षा ग्रहण करने के लिये गांव छोड़कर जयपुर गये थे,वापस गांव आकर महज 21 वर्ष की उम्र में सरहद पर बसे जहां संसाधनों का अक्सर अभाव रहता है, ऐसे गांव सियाई के सरपंच बनकर मिसाल कायम की। गाँव आकर परमार ने एक पुस्तक लिखी और अशिक्षित गांव को शिक्षा व डिजिटलीकरण से जोड़ने के लिये सरपंच का चुनाव लड़ा और 16 वोट से जीत हासिल की।

साहित्यकार से सरपंच का सफ़र
डॉ.जीत परमार ने पंचायती राज चुनाव में रामसर पंचायत समिति की नवगठित ग्राम पंचायत सियाई से सरपंच का चुनाव लड़ने का निश्चय किया और शिक्षा तथा मॉडल गाँव बनाने के मुद्दों को लेकर चुनाव लडा़ और महज 16 मतों से जीत परमार की जीत हुई। इसी के साथ जीत ने पूरे गाँव का दिल जीतते हुए मात्र 21 वर्ष 2 माह की आयु में सियाई ग्राम पंचायत के पहले व राजस्थान के सबसे युवा सरपंच बनने का रिकॉर्ड बना डाला। जीत परमार बताते है सियाई ग्राम पंचायत बॉर्डर पर स्थित है । शिक्षा के क्षेत्र में बहुत पीछे है। अतः एक युवा सरपंच होने के नाते वो मुख्य तौर पर गाँव में शिक्षा तथा युवाओं को लेकर कार्य करना चाहते है, क्योंकि सही मायने में मानव संसाधन का विकास ही किसी गाँव या क्षेत्र का वास्तविक विकास होता है।

सरपंच की सीढ़ी तक पहुंचने की चुनौती-
जीत परमार ने जब सरपंच का चुनाव लडने का निश्चय किया तब विभिन्न चुनौतियों का सामना करना पड़ा। मुख्य तौर पर जो चुनौती थी कि एक 21 साल के लड़के को सम्पूर्ण गांव में सामंजस्य स्थापित करना था। आमतौर पर जिस उम्र में युवा विद्यालय व महाविद्यालय की पढ़ाई कर रहे होते है, जीत परमार ने उस उम्र में संपूर्ण गांव की कमान संभालने का निर्णय ले लिया था।

सियाई ग्राम पंचायत-
सियाई ग्राम पंचायत बाड़मेर जिला मुख्यालय से 75 किमी दूर भारत-पाक बॉर्डर पर स्थित है,वर्ष 2020 में गागरिया ग्राम पंचायत से अलग से होकर नवगठित ग्राम बनी, ग्राम पंचायत में सियाई,नई सियाई,भीलों का पार व सगराणी कुल चार राजस्व गांव है ।ग्राम पंचायत में तकरीबन 6000 आबादी है।मुस्लिम जनसंख्या बाहुल्य क्षेत्र है। इसके अलावा भील जाति की जनसंख्या है ।ग्राम पंचायत के ग्रामीण मुख्य तौर पर खेती का काम करते है,मुख्य तौर पर धाटी भाषा बोली जाती है,।जीत परमार गांव के पहले युवा सरपंच निर्वाचित हुए।

एक परिचय-
भारत-पाक बॉर्डर पर स्थित रामसर पंचायत समिति के सीमावर्ती ग्राम पंचायत सियाई के युवा सरपंच जीत परमार का जन्म 28 जुलाई 1999 को भीलों का पार गाँव में अध्यापक जानु राम के घर हुआ। परमार अपने घर में तीन भाईयों में सबसे बड़े है।पिता का नाम जानु राम है, जो अध्यापक है, माता का नाम-सुशीला देवी व दो छोटे भाई हरीश परमार और मनोज परमार है।

शिक्षा
डॉ. जीत परमार ने बाड़मेर से माध्यमिक शिक्षा बोर्ड राजस्थान के बाहरवी कला वर्ग के परिणाम में 87.40 प्रतिशत के साथ उत्तीर्ण की।इसके बाद प्रशासनिक सेवा की तैयारी हेतु राजस्थान विश्वविद्यालय जयपुर में दाखिला लिया तथा राजस्थान महाविद्यालय की प्रथम प्रवेश सूची में सम्पूर्ण प्रदेशभर में 16 वें नम्बर तथा सम्पूर्ण राजस्थान में एस टी वर्ग में प्रथम नम्बर पर चयन हो गया।

प्रथम काव्य संग्रह का प्रकाशन:-
जयपुर में रहते डॉ.जीत परमार में कविता लेखन की रुचि जागी और कविता लिखना शुरु किया, शुरूआत में ही इनकी रचनाओं की काफी सराहना हुई तथा इसी प्यार के बदौलत 6 महीनों में 50 कविताओं की रचना कर मात्र 19 साल की उम्र में प्रथम काव्य संग्रह ‘सोनल-काव्य संग्रह’ का प्रकाशन करवाया। साहित्य के क्षेत्र में प्रवेश लिया, प्रथम काव्य संग्रह के प्रकाशन के साथ ही जीत परमार को ‘पैसेफिक मैनेजमेंट संस्थान’ ने युवा कवि की सराहना करते हुए ‘युवा लेखक सम्मान 2019’ से नवाजा । रामसर उपखंड अधिकारी और तहसीलदार द्वारा स्वतंत्रता दिवस 2019 पर सम्मान किया।

शॉर्ट फिल्म मेकिंग में स्क्रिप्ट राईटर:-
एक कवि के रूप में काम करते हुए डॉ.जीत परमार ने ‘हैसलों की उडा़न’ शॉर्ट फिल्म के साथ, शॉर्ट फिल्म मेकिंग में पटकथा लेखक के रूप में काम करना शुरु किया। इसके साथ ही कई फिल्मों का निर्माण किया और इसी बीच कई गानों के बोल लिखे जिनकी दर्शकों द्वारा काफी सराहना की गई।

राजस्थान का सबसे युवा सरपंच का राष्ट्रीय रिकॉर्ड मिला और विश्व की चौथी सबसे बड़ी रिकॉर्ड बुक में नाम दर्ज किया।
महज 21 वर्ष 2 माह की उम्र में सरपंच निर्वाचित होने की वजह से सितंबर 2021 में विश्व की चौथी सबसे बड़ी रिकॉर्ड बुक में नाम दर्ज किया। ‘राजस्थान का सबसे युवा सरपंच’ का राष्ट्रीय रिकॉर्ड अपने नाम करके सम्पूर्ण राजस्थान को गौरवान्वित किया। इस अवसर पर जिले के प्रथम नागरिक जिला प्रमुख महेंद्र चौधरी ने निवास स्थान पर पहुंचकर बधाई दी। विभिन्न राज्य मंत्री, विधायक, सांसद, प्रधान तथा जनप्रतिनधिगण द्वारा बधाई दी गई।

डॉक्ट्रेट की मानद उपाधि:-
युवा सरपंच डॉ. जीत परमार को मुंबई के ताज होटल में आयोजित राष्ट्रीय सम्मेलन 2021 में साउथ वेस्टर्न अमेरिकन यूनिवर्सिटी USA द्वारा सोशल वर्क में डॉक्टरेट की मानद उपाधि से सम्मानित किया गया। यह सम्मान उनको राजस्थान के सबसे युवा सरपंच के राष्ट्रीय रिकॉर्ड तथा साहित्य के क्षेत्र में योगदान हेतु प्रदान किया गया।

राजस्थान करेंट अफेयर्स में राजस्थान सामान्य ज्ञान में नाम-
राजस्थान का सबसे युवा सरपंच का राष्ट्रीय रिकॉर्ड मिलने और OMG बुक ऑफ रिकॉर्ड में नाम दर्ज होने पर उत्कर्ष क्लासेज जोधपुर, संकल्प क्लासेज बाड़मेर तथा अन्य कोचिंग संस्थानों द्वारा राजस्थान करेंट अफेयर्स के तहत प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी युवाओं के बीच में राजस्थान करेंट अफेयर्स के सवाल के रूप में इस उपलब्धि को पढ़ाया गया।

उपन्यास लेखन
दिसंबर 2022 में दूसरी पुस्तक व पहले उपन्यास ‘रेगिस्तान का रांझणा’ का प्रकाशन करवाया जिसमें आत्महत्या तथा युवाओं में बढ़ रही नशे तथा विभिन्न गंदी प्रवृत्तियों के खिलाफ संदेश दिया।उपन्यास में कुल 15 अध्याय है ,कहानी एक विद्यार्थी के खिलाफ घूमती है,उपन्यास का केंद्रबिंदु आत्महत्या को लेकर है।

जनता से क्या वादे किए ,कितने पूरे हुए कितने अधूरे रहे?
मुख्य तौर पर शिक्षा और मॉडल ग्राम पंचायत को लेकर वादे किए थे, सरपंच निर्वाचित होने के बाद सबसे पहले गांव के विद्यालय विकास को लेकर काम किया ।विद्यालय चारदीवारी ऊंचाई व मरम्मत कार्य,खैल मैदान,मुख्य सड़क से विद्यालय तक सीसी रोड निर्माण कार्य आदि करवाए ।मॉडल ग्राम पंचायत को लेकर मॉडल ग्राम पंचायत भवन का निर्माण करवाया, वादों पर खरा उतरने का प्रयास जारी है।

गांव की प्रमुख समस्या-
गांव में मुख्य तौर पर जल आपूर्ति की समस्या है। सीमावर्ती गांव होने के कारण कई मूलभूत सुविधाओं की कमी है।

ग्राम पंचायत में यह काम करवाए-
मुख्य तौर पर नवनिर्मित मॉडल ग्राम पंचायत भवन का निर्माण करवाया, इसके अलावा गांव के विद्यालयों को मुख्य सड़क से जोड़ने का कार्य करवाया।

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