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जयपुर। आपने राजस्थान हाई कोर्ट ,दिल्ली हाई कोर्ट ,मद्रास हाई कोर्ट, ईलाहाबाद हाई कोर्ट सहित कई हाईकोर्ट के नाम सुने होंगे। एक ऐसी सामाजिक पंच अथाई के बारे में जिसे राजस्थान में मीना हाईकोर्ट के नाम से जाना जाता है। जी हां राजस्थान के दौसा जिले के नांगल प्यारिवास गांव में बनी है मीणा हाईकोर्ट । मीणा हाईकोर्ट का नाम ऐसे ही नहीं पड़ा है इसके पीछे बड़ा रहस्य हैं ।

स्वर्गीय भैरो सिंह शेखवात तत्कालीन मुख्यमंत्री राजस्थान

मीना समाज के लोगों का कहना है कि वर्ष 1990-1991 में जब राजस्थान में भैरों सिंह शेखावत जी की सरकार थी । उस समय चूडियावास गांव जो दोसा जिले में पड़ता है। पचवारा इलाका है और मीणा समाज का बहुत बड़ा बाहुल्य भी है। गांव में होने वाले सामाजिक स्तर के छोटे मोटे फैसले समाज की पंचायत ही करने का रिवाज था। चुडियावास गांव में एक युवक की उसके ससुराल में मौत हो जाती है और युवक के परिजनों का आरोप होता है कि उसकी मौत नहीं हत्या की गई है। जब यह बात मीणा समाज के पंच पटेलों के पास पहुंचती है, तो मीणा समाज के बंच पटेल इस नतीजे पर पहुंचते हैं कि इस मामले में युवक के ससुराल वाले दोषी हैं ऐसे में उन्हें समाज और गांव से बहिष्कृत कर दिया जाता है । आज भी गांव में समाज के बहुत बड़े फैसले पंच पटेलों के द्वारा किए जाते हैं । जिन्हें हरियाणा में खाप पंचायत बोलते हैं यहां सभी समाजों की अलग-अलग पंचायतें होती है और समाज में होने वाली छोटे-मोटे अपराधों के फैसले भी समाज के पंच पटेल ही कर देते हैं । नांगल प्यारी वास मैं मीणा समाज के पंच पटेलों के फैसले के खिलाफ पुलिस में मुकदमा दर्ज होता है और पुलिस तत्कालीन रूप से इस फैसले में शामिल सभी समाज के प्रमुख पंचों को गिरफ्तार कर लेती है। इसके खिलाफ मीणा समाज के लोगों ने आंदोलन छेड़ दिया और नांगल प्यारीवास में मीणा समाज के लोग 13 दिनों तक धरने प्रदर्शन पर टिके रहे । इस धरने प्रदर्शन का नेतृत्व वर्तमान में राज्यसभा सांसद ,पूर्व मंत्री विधायक रहे डॉक्टर किरोडी लाल मीणा ने किया । वैसे तो भैरों सिंह शेखावत जी को उनका राजनीतिक गुरु माना जाता है और वह शेखावत जी को अपना राजनीतिक गुरु भी मानते हैं । लेकिन जब समाज की बात आई तुम्हें इस आंदोलन की अगुवाई करने धरने पर बैठ गए । इस पर मुख्यमंत्री के तौर पर भैरों सिंह शेखावत ने डॉक्टर किरोडी लाल मीणा को वार्ता के लिए बुलाया और धरना समाप्त करने का आग्रह किया । लेकिन डॉक्टर को लाल मीणा ने धरना समाप्त करने से इंकार कर दिया । मीणा समाज के 84 गांव की पंचायत ने नांगल प्यारियावास में सरकार के फैसले को ठुकरा दिया ।इसी बीच पंचों की जमानत को न्यायपालिका ने ठुकरा दिया और पंचों की जमानत रद्द हो गई। इससे गुस्साए मीणा समाज के लोगों ने आंदोलन और तेज किया और मीणा समाज के लोगों में इस फैसले को लेकर आक्रोश बढ़ता गया। आखिरकार राजस्थान की तत्कालीन भैरों सिंह शेखावत सरकार को मीणा समाज की पंच पटेलों की ताकत के आगे झुकना पड़ा और सरकार ने पंच पटेलों के खिलाफ दर्ज एफआईआर को रद्द कर दिया और कोर्ट से मामला वापस लिया ।

इस पर जब भैरों सिंह शेखावत से मिलने के लिए डॉक्टर किरोडी लाल मीणा और पंच पटेल गए तब शेखावत जी ने कहा था यह तो मीणा हाईकोर्ट है। इसका पैसा सब को मानना पड़ेगा और इसका नाम मीणा हाईकोर्ट पड़ गया । डॉक्टर किरोडी लाल मीणा ने और मीणा समाज के लोगों ने भी इसे मीणा हाईकोर्ट के तौर पर प्रसारित कया किया । आज यह मीणा समाज की सबसे बड़ी धरोहर बन गई है। यह मीणा हाईकोर्ट बन गई है। जहां पर एक करोड़ की लागत से तो पंचों के लिए पंच अथाई बनाई गई है। और सारी सुख सुविधाएं यहां पर है । जब भी समाज के पर किसी तरह का कोई संकट आता है तब मीणा समाज के लोग मीणा हाईकोर्ट में बैठकर ही उस पर सामूहिक निर्णय करते हैं। सारे सामाजिक निर्णय मीणा हाई कोर्ट में किए जाते हैं जो सभी को मंजूर है। कोई भी मीणा हाइकोर्ट के फैसले के खिलाफ नहीं जाता है। सभी को समाज का फैसला मंजूर होता है। ये है मीणा समाज की हाई कोर्ट जो समाज के सभी छोटे बड़े फैसले करती है। मीणा हाई कोर्ट का मौजूदास्वरूप भी डॉक्टर और लाल मीणा की मेहनत का ही परिणाम है जिसमें समाज के लोग बढ़-चढ़कर सहयोग कर रहे हैं। सरकार भी सहयोग कर रही है और इसे समाज की सबसे बड़ी महापंचायत के बोल पर स्थापित किया गया है। जल्दी ही मीणा समाज का पैनोरमा मी बनाया जाएगा जिसमें मीणा समाज की प्राचीन सभ्यता एवं संस्कृति यहां पर साकार होगी।

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