जयपुर ।दुर्गापुरा स्थित सियाराम स्ट्रीट में 40 साल से रह रहे जयपुर के प्रसिद्ध समाजसेवी और व्यापारी सतीश कट्टा और उनके भाई गोविंद स्वरूप कट्टा उर्फ लक्ष्मण स्वरूप कट्टा जेडीए की कार्यवाही से परिवार सहित सड़क पर आ गए।

पीड़ित सतीश कट्टा ने बताया कि दुर्गापुरा स्थित चंद्रकला कॉलोनी प्लॉट नंबर 6 में वह और उनका परिवार पिछले 40 वर्षों से रह रहे हैं जिस पर जीडीए ने मनमानी तरीके से कार्यवाही करते हुए मकान को सींस कर पूरे परिवार को घर के बाहर निकाल दिया ।

क्या है पूरा मामला

पीड़ित सतीश कट्टा ने बताया कि प्लॉट नंबर 6 में 40 सालों से आया है वर्तमान में खसरा नंबर 94, 95, 96, 101, 102 रकबा 0 .82 एक हेयर से बढ़ाकर 0.92 कर दिया है । जिस कारण इंदिरा गृह निर्माण सहकारी समिति की योजना चंद्रकला कॉलोनी विकसित की गई। जिसमें भूखंड संख्या 6 जो सतीश चंद्र कट्टा के नाम से है । प्रभावित हो गए , जबकि भूखंड संख्या है सतीश चंद्र कट्टा ने शिमला से 30 अप्रैल 1989 में खरीदा था। जिसका कुल क्षेत्रफल 633 वर्ग गज है। परंतु सोसायटी द्वारा खरीदी जमीन खसरा नंबर 9 का रकबा 0.10 हेयर कम कर दिया। जिसके बाबत सांगानेर एसडीओ के यहां दुरुस्तीकरण का दावा सांगानेर के यहां विचाराधीन था। लेकिन जेडीए द्वारा द्वेषतापूर्ण कार्यवाही कर नाजायज रूप से प्रभाव में आकर एसडीओ ने टीआई खारिज कर दिया। जबकि वह और उनका परिवार 1989 से यहां पर रह रहा है। जहां एक और सरकार प्रशासन शहरों के संग अभियान चलाकर आमजन को सालों से काबिज होने पर उन्हें उनकी जमीन के पट्टे बना कर दे रही है। यहां तक कि चारागाह की जमीन पर बसे हुए लोगों को भी पट्टे दी जा रहे हैं । सोसाइटी की जमीनों पर बसे हुए लोगों को भी पट्टे दिए जा रहे हैं। ऐसी स्थिति में जयपुर विकास प्राधिकरण के अधिकारी ना जाने किनके प्रभाव में आकर एक समाजसेवी जिन्होंने अपना जीवन दान पुण्य में ही खफा दिया हो। उनके परिवार के छोटे-छोटे बच्चों की तरफ भी नहीं देखा और उन्हें घर से बेदखल कर घर को सीज कर दिया गया। जेडीए अधिकारी कह रहे हैं कि इस मामले में ऊपर का दबाव है।

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जेडीए ने घर को किया सीज

जेडीए ने मकान नंबर 6 में बनी सभी संपत्तियों को सीज कर अपनी सील लगा दी है। जेडीए अधिकारियों का कहना है कि सब कार्यवाही नियमानुसार की गई है ।जेडीए ने किसी भी तरह की गैर कानूनी कार्रवाई नहीं की है।

कट्टा का परिवार सड़क पर

समाजसेवी सतीश कट्टा का परिवार जेडीए की इस कार्रवाई से अचानक सड़क पर आ गया है। कट्टा ने कहा कि जेडीए अधिकारियों ने आज दल बल के साथ पुलिस कर्मियों के साथ मकान पर सील लगा दी। जेडीए की कार्यवाही से लक्ष्मण स्वरूप और सतीश चंद्र कट्टा जो पिछले 40 साल से यहां रह रहे थे अचानक बेघर हो गए। लोग जेडीए कार्रवाई से दहशत में आ गए। परिवार की महिलाओं और बच्चों ने अधिकारियों पर धमकाने और डराने का भी आरोप लगाया है। सरकार एक तरफ प्रशासन शहरों के संग अभियान में सबको पट्टे दे रही है । वही 40- 40 सालों से कब्जा शुदा परिवारों को बेदखल करने का काम कर रही है। जबकि न केवल जयपुर में ही नहीं पूरे राजस्थान में करोड़ों लोग सोसाइटी की जमीनों पर ही मकान बनाकर रह रहै है। जयपुर में ही लाखों मकान गृह निर्माण सोसायटियों के द्वारा ही प्लॉट काटकर कॉलोनिया बसाई गई है। जिनमें से अभी भी 50 फ़ीसदी से ज्यादा कॉलोनियों का नियमन नहीं हुआ है । ऐसे में जेडीए को और सरकार को मानवता को ध्यान में रखते हुए कार्यवाही करने से पूर्व जांच पड़ताल तो करनी चाहिए। जिससे कोई व्यक्ति मरने को तो मजबूर नहीं हो ,क्योंकि ऐसे हालात में जो आदमी 40 साल में अपने जीवन की सारी कमाई एक घर बनाने में लगा दे और अचानक जेडीए उसे अवैध बता दे और कहे कि यह संपत्ति सरकार की है और उस पर सील लगा दे तो फिर व्यक्ति जाए तो जाए कहां?

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